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Friday, 29 March, 2024
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जलवायु लक्ष्यों को हासिल करना है तो अधिक आय वाले देशों को इसके लिए पैसे खर्च करने होंगे: भूपेंद्र यादव

रायसीना डायलॉग में बोलते हुए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि विकसित देश विकासशील देशों के लिए अपनी तरफ से 100 अरब डॉलर के क्लाइमेट फाइनेंस के वादे को पूरा करने में असमर्थ रहे हैं.

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नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि अधिक आय वाले देशों को अपने क्लाइमेट फाइनेंस (जलवायु संरक्षण के लिए वित्तीय सहायता) के वादों को पूरा करना चाहिए, ताकि भारत जैसे विकासशील देश अपने क्लाइमेट गोल्स (जलवायु संरक्षण से संबंधित लक्ष्यों) को प्राप्त कर सकें.

क्लाइमेट फाइनेंस का संदर्भ उन फंड्स से है जो विकासशील देशों में जलवायु शमन और अनुकूलन (क्लाइमेट मिटिगेशन एंड अडॉप्टेशन) की दिशा में किये जाने वाले कार्यों में सहायता करते हैं.

जहां जलवायु शमन (क्लाइमेट मिटिगेशन) से संबंधित कार्यों में वातावरण से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने या इसे हटाने के उद्देश्य से किये गए कार्य, जैसे कि कार्बन कैप्चर और स्टोरेज या सौर ऊर्जा में निवेश, शामिल हैं, वहीं जलवायु अनुकूलन (क्लाइमेट अडॉप्टेशन) का तात्पर्य जलवायु परिवर्तन के मौजूदा प्रभावों से मुकाबला करने से है, जैसे कि पूर्व-चेतावनी प्रणालियों में निवेश करना.

भपेंद्र यादव रायसीना डायलॉग के सातवें संस्करण में बोल रहे थे, जो ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर आयोजित वैश्विक मामलों पर एक सम्मेलन है.

यादव ने कहा, ‘विकासशील देशों की एक प्रमुख मांग क्लाइमेट अडॉप्टेशन से जुडी है. अडॉप्टेशन के लिए क्लाइमेट फाइनेंस केवल 25 प्रतिशत है. कोपेनहेगन में विकसित देशों ने विकासशील देशों को इस मद में 100 अरब डॉलर की सहायता प्रदान करने का संकल्प लिया था लेकिन वे अपना ही वादा पूरा नहीं कर पा रहे हैं.’

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ज्ञात हो कि साल 2009 में विकसित देशों ने साल 2020 तक क्लाइमेट फाइनेंस के मद में 100 बिलियन डालर देने का वादा किया था लेकिन पिछले साल कॉप 26 (COP26) के दौरान जारी एक जलवायु वितरण योजना (क्लाइमेट डिलीवरी प्लान) में यह जताया गया था कि वे 2023 से पहले ऐसा करने में सक्षम नहीं होंगे. यह रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि अब तक उगाहा एवं वितरित किया अधिकांश क्लाइमेट फाइनेंस मिटिगेशन से संबंधित प्रयासों में लगाया गया है.

यादव ने बुधवार को यह भी कहा कि उच्च आय वर्ग वाले देशों को अपनी क्लाइमेट मिटिगेशन प्रौद्योगिकियों को साझा करने और उन्हें स्थानांतरित करने की भी आवश्यकता है. उनका कहना था कि यह उस तरह से नहीं किया जा रहा है जिस तरह से इसकी आवश्यकता है. हालांकि, बाद में यह पूछे जाने पर कि वह किन तकनीकों का जिक्र कर रहे हैं, यादव ने कोई जवाब नहीं दिया.

यादव ने कॉप 26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को फिर से दुहराते हुए कहा, ‘ग्लासगो में, हमारे प्रधानमंत्री ने कहा था कि $100 बिलियन की राशि भी पर्याप्त नहीं है. आज की दुनिया में, हमें विकसित देशों से क्लाइमेट फाइनेंस के रूप में $1 ट्रिलियन की आवश्यकता है.’

यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) की एक स्थायी समिति ने कहा था कि पेरिस समझौते के तहत सभी देशों को अपने 40 प्रतिशत क्लाइमेट गोल्स को पूरा करने के लिए 2030 तक 5.8 ट्रिलियन डॉलर से 5.9 ट्रिलियन डॉलर के बीच की राशि की आवश्यकता होगी.


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भारत के क्लाइमेट गोल्स

कॉप 26 में प्रधानमंत्री मोदी ने यह घोषणा की कि भारत 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म-ईंधन ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाएगा, अक्षय स्रोतों से अपनी ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत हिस्सा पूरा करेगा, अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेनिस्टी को 45 प्रतिशत तक कम करेगा और कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक कम करेगा.

कार्बन इंटेनिस्टी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को मापती है.

उन्होंने यह भी वादा किया था कि भारत 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो एमिशन) का लक्ष्य हासिल कर लेगा.

ये वादों- जिन्हें नेशनली डेटरमााइंड कंट्रिब्यूशंस (एनडीसी) कहा जाता है- पेरिस समझौते के एक अंश के रूप में 2015 में किए गए वादे से एक कदम ऊपर के प्रयास थे. रायसीना डायलॉग के दौरान यादव ने कहा कि भारत अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की ‘राह पर बने हुए’ कुछ देशों में से एक है.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन कॉप 26 के बाद भी, कुछ देश ऐसे हैं जो कहते हैं कि उन्हें अपने एनडीसी को आगे बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है. यह गंभीर मसला है.’ ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों ने अपने जलवायु लक्ष्यों को और आगे बढ़ाने के लिए कोई घोषणा नहीं की है.

हालांकि, भारत ने अपने नए वादों की घोषणा कर दी है, फिर भी उसे अपने परिवर्धित (एनहांस्ड) एनडीसी को औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र में प्रस्तुत करना बाकी है. यादव ने दिप्रिंट से साथ पहले हुई एक बातचीत में बताया था कि भारत अंतर-मंत्रालयी चर्चा, जो फिलहाल जारी है, के बाद ही अपने लक्ष्यों को अंतिम रूप देगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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