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Saturday, 20 April, 2024
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छत्तीसगढ़ चला दिल्ली की राह, इसी सत्र से चालू होंगे सरकारी अंग्रेजी माध्यम के मॉडल स्कूल

सभी जिलों में होगा एक मॉडल स्कूल, विशेष भर्ती के तहत वर्तमान में कार्यरत 3000 प्राचार्यों और एक लाख से भी ज्यादा शिक्षकों से ही होगा मॉडल स्कूलों के लिए टीचरों का चयन.

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रायपुर: एक सफल मॉडल के रूप में स्थापित हो चुका दिल्ली के केजरीवाल सरकार का स्कूल शिक्षा मॉडल अब छत्तीसगढ़ सरकार के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गया है. भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने निर्णय लिया है कि 15 जून से शुरू होने वाले नये शिक्षा सत्र में प्रदेश के सभी 27 जिलों में कम से कम एक पूर्ण सुविधा युक्त उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम का सरकारी स्कूल खोला जाएगा जिनका प्रबंधन निजी पब्लिक स्कूलों से भी ज्यादा पेशेवर तरीके से होगा. सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों से अपने क्षेत्रों में ऐसे स्कूलों का चयन कर उन्हें विकसित करने का प्लान तैयार करने को कहा है जिससे इन्हें इसी सत्र में चालू किया जा सके.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार सरकार इन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को ऐसे मॉडल शिक्षण संस्थान के रूप में विकसित करेगी जो छात्रों के पठन पाठन के उद्देश्य से सर्वसुविधा युक्त हों और वहां पढ़ाई का पूर्ण वातावरण निर्मित रहे जिससे ये स्कूल पब्लिक स्कूलों से किसी मायने में निम्न न हों. राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ के ये मॉडल स्कूल दिल्ली की कार्बन कॉपी तो नही होंगे लेकिन इनके गठन के पीछे दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षा के लिए विकसित की गयी मूलभूत सुविधाएं एक प्रेरणा स्रोत जरूर हैं.


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दिप्रिंट के सवाल पर कि क्या राज्य सरकार द्वारा यह मॉडल दिल्ली की केजरीवाल सरकार के शिक्षा के सफल मॉडल से लिया गया है, स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ल ने माना की दिल्ली सरकार ने स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय काम किया है जो सबके लिए प्रेरणादायक है और उन्हें इस सच्चाई को स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं है.

शुक्ला ने कहा ‘इसमें कोई शक नहीं है कि दिल्ली सरकार ने एक उम्दा काम किया और यदि किसी ने अच्छा काम किया है तो हम सबको उसकी प्रशंसा करना चाहिए. लेकिन छत्तीसगढ़ दिल्ली नहीं है. दिल्ली में तो हर जगह मेट्रो है. छत्तीसगढ़ में सुकमा, पोंटा, नारायणपुर बस्तर हैं. यहां घने जंगल और पहाड़ हैं. छत्तीसगढ़ का अपना ही मॉडल होगा.’

क्या है दिल्ली का शिक्षा मॉडल

ज्ञात हो कि दिल्ली में स्कूली शिक्षा को सुदृढ़ करने और छात्रों के लिए अधिक रोचक बनाने के लिए केजरीवाल सरकार ने करीब 30 नए स्कूल भवन और 800 से ज्यादा चालू स्कूलों में ही कक्षाओं का निर्माण कराया है. इन नए स्कूल भवनों को छात्रों के रुचि अनुसार मूलभूत सुविधाओं जैसे किताबों से युक्त लाइब्रेरी, प्रयोगशाला और नए फर्नीचर से परिपूर्ण किया है. इसके अलावा शिक्षा को अधिक गुणवक्ता परख बनाने के लिए शिक्षकों के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाये गए और छात्रों को सरकारी स्कूलों के प्रति आकर्षित करने के लिए कुछ प्रबंधकीय कोर्स भी चलाये गए.

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केजरीवाल सरकार के उठाए गए इन कदमों को एक ओर जहां शिक्षा के एक सफल मॉडल के रूप में देखा जा रहा है वहीं दूसरी ओर इसे आप के लिए 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत का एक बड़ा मुद्दा भी माना गया. शिक्षा के इस केजरीवाल मॉडल को अपनाने के लिए महाराष्ट्र और झारखंड सरकारों ने पहले ही अपनी मंशा जताई है.

शुक्ला ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि मुख्यमंत्री द्वारा पिछले कुछ दिनों में शिक्षा से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. इसी के तहत राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि सभी बड़े शहरों में अंग्रेजी माध्यम के उत्कृष्ट स्कूल आगामी शिक्षा सत्र से प्रारंभ किए जाएंगे. पत्र के अनुसार इन मॉडल अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की कोई न्यूनतम संख्या निर्धारित नहीं की गई है, परंतु अपेक्षा यह है कि ऐसे स्कूल अधिक से अधिक संख्या में होंगे और प्रत्येक जिले में कम से कम एक ऐसा स्कूल अनिवार्य रूप से हो.

कलेक्टरों से कहा गया है कि इन स्कूलों के लिए नवीन भवन का निर्माण नहीं किया जाना है, बल्कि वर्तमान में संचालित स्कूलों के भवनों में ही यह स्कूल संचालित किए जाने हैं. इन स्कूलों में कक्षा एक से 12वीं तक की कक्षाएं एक साथ प्रारंभ की जाएंगी. शुक्ला ने बताया कि सभी जिला कलेक्टरों को इस संबंध में स्कूलों का चयन कर प्रत्येक स्कूल के सुधार के लिए पूरी योजना बनाकर एक सप्ताह में शासन को अवगत कराने के निर्देश दिए हैं. कलेक्टरों से योजना को बेहतर बनाने के लिए सुझाव भी मांगे गए हैं.

प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा द्वारा जिला कलेक्टरों को जारी पत्र में कहा गया है कि इस संबंध में तत्काल कार्य प्रारंभ किया जाएगा जिससे 15 जून के पहले सभी तैयारियां पूरी हो सकें. कलेक्टरों से यह ध्यान रखने को कहा गया है कि जिले के बड़े शहरों के स्कूलों का भ्रमण कर, ऐसे स्कूलों का चयन करें जहां पर योजना तुरंत प्रारंभ की जा सकती है. शुक्ला ने कहा कि ऐसे स्कूलों का चयन किया जाएगा जो शहर के बीच में हों जहां पर वर्तमान विद्यार्थिओं के बीच दर्ज संख्या कम हो.

पुस्तकालय, प्रयोगशाला और स्वच्छता पर विशेष ध्यान

दिप्रिंट से बातचीत में शुक्ला ने बताया कि इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि स्कूल में कक्षा पहली से 12वीं तक की पढ़ाई के लिए उपर्युक्त उच्चस्तरीय कैंपस के साथ पुस्तकालय और प्रयोगशालाओं के लिए भी पर्याप्त स्थान हो. प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने आगे बताया कि जिलाधिकारियों द्वारा स्कूल का चयन करने के बाद उसके भवन में उचित सुधार एवं संरचनात्मक संशोधन के लिए छोटे-छोटे सिविल कार्य कराए जा सकते हैं. मॉडल अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में इमारतों के रंग रोगन के कार्य, विशेष रूप से शौचालयों को साफ-सुथरा रखने, प्रयोगशालाओं और पुस्तकालयों को अधिक सिदृढ़ बनाने के लिए किए जाएंगे.

विभाग द्वारा कलेक्टरों से कहा गया है कि वही कार्य कराए जाएं जो मई तक पूरे हो जाएं क्योंकि 15 जून से इन मॉडल स्कूलों का सत्र अनिवार्य रूप से चालू हो जाएगा. कक्षाओं में अच्छी क्वालिटी का फर्नीचर, प्रयोगशालाओं के लिए आवश्यक उपकरण स्कूल में उपलब्ध कराए जाएं. पुस्तकालय में अच्छी क्वालिटी के सेल्फ फर्नीचर और सभी विषयों की अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकें उपलब्ध हों. पुस्तकालय के साथ एक रीडिंग रूम भी होगा और उसमें अंग्रेजी के अखबार और मैगजीन भी रखे जाएं.

जैसा कि अन्य विभागीय अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि इस प्रयोग के पीछे मुख्यतः सरकार द्वारा ऐसे स्कूलों की स्थापना करना है जो पब्लिक स्कूलों से किसी भी स्तर पर चाहे वह मूलभूत सुविधा हो या फिर अध्यन कार्य, में कम ना रहें.

चयनित स्कूलों में उत्कृष्ट प्राचार्यों की पदस्थापना की जाएगी

शुक्ला ने दिप्रिंट को आगे बताया कि संरचनात्मक सुविधओं के साथ-साथ इन चयनित स्कूलों में शासन द्वारा उत्कृष्ट प्राचार्यों की पदस्थापना भी एक महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि इन पाठशालाओं के संचालन और व्यवस्थापन की पूर्ण जिम्मेदारी उनकी होगी.

प्रमुख सचिव कहते हैं, ‘राज्य में वर्तमान समय में 3000 प्राचार्य हैं और लाखों शिक्षक. हमें इन्ही में उत्कृष्ट प्राचार्यों को खोजना है, बाहर से नियुक्ति की जरूरत नहीं है. इन प्राचार्यों की आगे स्कूलों को चलाने की जिम्मेदारी होगी. इन स्कूलों की जिम्मेदारी उन्ही प्राचार्यों को दी जाएगी जो सक्षम हों और अपना पूरा समय दे सकें क्योंकि फिर छुट्टी और अन्य सुविधाओं से वंचित भी होना पड़ सकता हैं.’

प्रमुख सचिव के अनुसार शासन द्वारा प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है. इन्ही चयनित हाईस्कूल और हायर सेकण्डरी स्तर पर शिक्षकों की पदस्थापना के लिए सर्वप्रथम जिले में पहले से पदस्थ ऐसे शिक्षक खोजे जाएंगे जिन्होंने अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त की हो. इन शिक्षकों को बुलाकर उनका साक्षात्कार कर टेस्ट कर लें कि किन शिक्षकों का उपयोग इन स्कूलों में किया जा सकता है.

चयनित शिक्षकों का इंडक्शन प्रोग्राम मई में

विभाग की अपनी चिट्ठी में लिखा है की शिक्षकों की चयन प्रक्रिया अप्रैल तक पूर्ण की जाएगी. इसके बाद चयनित शिक्षकों का एक महीने का इंडक्शन कार्यक्रम निजी पब्लिक स्कूलों के मापदंड और संचालन के कार्यक्रम के अनुसार मई में चलाया जाएगा. विभागीय अधिकारियों के अनुसार शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया अप्रैल के अंत तक पूरी की जानी है जिससे चयनित शिक्षकों के लिए एक इंडक्शन प्रशिक्षण प्रोग्राम आगामी सत्र से पहले आयोजित किया जा सके.

चयनित स्कूलों के छात्रों की नजदीकी हिंदी माध्यम स्कूल में होगी व्यवस्था…

जिला कलेक्टरों से कहा गया है कि इन स्कूलों में वर्तमान में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए आस-पास के हिन्दी माध्यम के शासकीय स्कूलों में पढ़ने की व्यवस्था करनी होगी. इस बात का ध्यान रखा जाए कि हिन्दी माध्यम के शासकीय स्कूलों के गुणवत्ता सुधार की योजना साथ में बनाई जाए, जिससे हिन्दी माध्यम में पढ़ने वाले बच्चे भी उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त कर सकें. इसके लिए आवश्यकतानुसार हिन्दी माध्यम के स्कूलों में भी सिविल कार्य, अच्छी क्वालिटी के फर्नीचर, प्रयोगशालाओं और हिन्दी माध्यम के पुस्तकालयों की पूर्ण व्यवस्था की जाए. इनका सुधार भी जिले की योजना का अभिन्न अंग होना चाहिए.


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पहली कक्षा में भर्ती के लिए प्रवेश परीक्षा नहीं

कलेक्टरों से कहा गया है कि अंगेजी माध्यम में चयनित स्कूलों में विद्यार्थियों की भर्ती के लिए किसी प्रकार की परीक्षा का आयोजन नहीं किया जाए. कक्षा पहली से तीसरी तक के लिए किसी भी माध्यम से पढ़े हुए बच्चों को भर्ती किया जा सकता है, परंतु इसके बाद की कक्षाओं में उन्हीं बच्चों को भर्ती करना होगा, जिन्होंने अंग्रेजी माध्यम से इसके पूर्व की शिक्षा प्राप्त की है, जिससे वें कक्षा में पिछड़ न जाएं. यदि उपलब्ध सीटों से अधिक संख्या में भर्ती के आवेदन प्राप्त होते हैं तो पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर भर्ती की जा सकती है.

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