scorecardresearch
Thursday, 18 April, 2024
होमएजुकेशनस्कूली शिक्षा रैंकिंग में 'सुधार' के बावजूद आख़िरी नंबर पर यूपी, मायावती ने पूछा- कौन है जिम्मेदार

स्कूली शिक्षा रैंकिंग में ‘सुधार’ के बावजूद आख़िरी नंबर पर यूपी, मायावती ने पूछा- कौन है जिम्मेदार

नीति आयोग सीईओ अमिताभ कांत के मुताबिक क्रमिक विकास के मामले में यूपी बेहतर प्रदर्शन करने वाले बड़े राज्य में शामिल है. पढ़ें, रिपोर्ट में और क्या हैं बड़ी बातें.

Text Size:

नई दिल्ली : नीति आयोग की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक भारत के तमाम राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश की शिक्षा सबसे बदहाल है. स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (एसईक्यूआई) में ये बात सामने आई है जिसके बाद सूबे की पूर्व सीएम मायावती ने यूपी की सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है. इस दौरान उन्होंने देश में सबसे लंबे समय तक सरकार चलाने वाली कांग्रेस को भी नहीं बख़्शा है.

रिपोर्ट के मुताबिक ताज़ा रैंकिंग में 76.6% स्कोर के साथ केरल पहले और 36.4% स्कोर के साथ उत्तर प्रदेश आख़िरी पायदान पर है. 2016-17 के अकादमिक साल पर आधारित रिपोर्ट को नीति आयोग, शिक्षा मंत्रालय और विश्वव बैंक ने मिलकर तैयार किया है. इसी के जरिए सामने आई यूपी की स्कूली शिक्षा की बदहाली को लेकर मायावती ने ट्वीट कर हमला बोला है.

एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘नीति आयोग की स्कूली शिक्षा संबंधी रैंकिग के मामले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड देश में सबसे निचले पायदान पर हैं. देश और प्रदेश में सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली पार्टियां खासकर कांग्रेस और भाजपा आज गांधी जयंती के दिन क्या जनता को जवाब दे पाएगी कि ऐसी शर्मनाक जन बदहाली क्यों?’


यह भी पढ़ेंः तकनीकी शिक्षा के छात्रों को योग के लिए मिलेंगे ‘नंबर’, पढ़ना होगा संविधान-भारतीय संस्कृति


सुधार के बावजूद नहीं सुधरी यूपी की तस्वीर

हालांकि, ये जानकारी भी सामने आई है कि 20 बड़े राज्यों में से जिन 18 राज्यों ने स्कूली शिक्षा के मामले में सुधार किया है उनमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है. सुधार करने वाले अन्य बड़े राज्यों में हरियाणा, असम, ओडिशा और गुजरात भी शामिल हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

उत्तर प्रदेश ने अपने स्कोर में 13.7 पर्सेंटेज प्वाइंट का सुधार किया है जिसकी वजह से 20 बड़े राज्यों की सूची में वो 18वें से 17वें नंबर पर आ गया है. वहीं, 7.3 परसेंटेज प्वाइंट के सुधार के बावजूद इसके पड़ोसी राज्य बिहार की रैंकिग में कोई बदलाव नहीं आया. बड़े राज्यों की सूची में बिहार जस का तस 19वें नंबर पर लटका हुआ है.

इससे जुड़े संदेश में शिक्षा मंत्री रमेश निशंक पोखरियाल ने लिखा है, ‘मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि और साफ़ तस्वीर देने के लिए हमने ज़िलों और स्कूलों की रैंकिंग करने की भी प्रक्रिया शुरू की है.’ शिक्षा मंत्री को उम्मीद है कि इससे देशभर के नीति निर्माताओं और हितधारकों को शिक्षा सुधार करने में मदद मिलेगी.

20 बड़े राज्यों की की रैंकिंग में सबसे ज़बर्दस्त छलांग लगाते हुए ओडिशा 13वें से सातवें, असम 15वें से 10वें, हरियाणा आठवें से तीसरे और गुजरात छठे से चौथे स्थान पर आ गया है.

रिपोर्ट जारी किए जाने के दिन यानी 30 सितंबर को किए गए एक ट्वीट में नीति आयोग प्रमुख अमिताभ कांत ने लिखा, ‘रैंकिंग में 30 बिंदुओं के सहारे अच्छी शिक्षा दिए जाने का आकलन किया गया है. रैंकिंग में क्रमिक विकास के मामले में हरियाणा, असम और उत्तर प्रदेश बेहतर प्रदर्शन करने वाले बड़े राज्य में शामिल हैं.’


यह भी पढ़ेंः आरएसएस की संस्था चाहती है 8वीं तक अनिवार्य हो संस्कृत, त्रिभाषा फार्मूले से बताया नुकसान


स्कूली शिक्षा बेहतर बनाने के लिए निवेश की है दरकार

रिपोर्ट के मुताबिक बड़े राज्यों में आउटकम (क्या हासिल हुआ) कैटगरी में 81.9% स्कोर के साथ कर्नाटक पहले और 34.1% के साथ उत्तर प्रदेश आख़िरी नंबर पर है. यानी भले ही रैंकिंग में एक अंक का सुधार आया हो लेकिन बच्चों के लिए स्थिति नहीं बदली है.

इसमें राज्यों का आकलन दो तरह से किया गया है. पहले तो बच्चे कितना सीख रहे हैं. इसके तहत शिक्षा, चीज़ों तक बच्चों की पहुंच, इंफ्रस्ट्रक्चर और सुविधाओं के अलावा सामूहिक विकास जैसी चीज़ें शामिल हैं. वहीं दूसरे हिस्से में उस सरकारी प्रक्रिया को रखा गया है जिससे परिणाम पाने में सफलता हासिल होती है. यूपी दोनों में ही अंतिम स्थान पर है.

छोटे राज्यों में सबसे बेहतर स्थिति मणिपुर त्रिपुरा और गोवा की है. वहीं, केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़, दादर नगर हवेली और दिल्ली क्रमश: पहले तीन स्थानों पर हैं. इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थिति बेहतर बनाने के लिए निवेश को काफी बेहतर बनाने की दरकार है.

share & View comments