scorecardresearch
Monday, 14 October, 2024
होमदेशहिंदी सम्मेलन में बोले विदेश मंत्री- फिजी के साथ सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती के लिए उठाएंगे कदम

हिंदी सम्मेलन में बोले विदेश मंत्री- फिजी के साथ सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती के लिए उठाएंगे कदम

विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि हिंदी को विश्व भाषा बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी हिंदी प्रेमियों को मिलजुल कर काम करना होगा.

Text Size:

नांदी (फिजी): भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उम्मीद जताई है कि विश्व हिंदी सम्मेलन आने वाले समय में हिंदी का महाकुंभ बनेगा तथा हिंदी को विश्व भाषा बनाने में लगे हिंदी प्रेमियों को महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध कराएगा.

यहां आयोजित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि हिंदी को विश्व भाषा बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए यह ज़रूरी है कि सभी हिंदी प्रेमी मिलजुल कर काम करें.

फिजी के इस प्रमुख शहर में 15 से 17 फरवरी तक तीन दिन चले सम्मेलन में तीस से अधिक देशों के एक हज़ार से अधिक हिंदी विद्वानों व लेखकों ने भाग लिया.

समापन समारोह में फिजी के उप-प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद भी मौजूद थे और उन्होंने सम्मेलन को फिजी के लिए ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सितवेनी रबूका के नेतृत्व वाली सरकार देश में हिंदी को मज़बूत करने के लिए सभी संभव कदम उठा रही है.

अपने राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने टिप्पणी की कि पिछले 10-15 वर्षों में हिंदी को यहां कमज़ोर करने की कोशिशें की गईं.

जयशंकर ने फिजी नेतृत्व से बुधवार को हुई चर्चा का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री रबूका को आश्वस्त किया है कि भारत फिजी के साथ सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूती देने के लिए कदम उठाएगा.

जयशंकर ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री रबूका ने दोनों देशों के बीच दोस्ती की तुलना के लिए सत्तर के दशक में आई बॉलीवुड की बेहद लोकप्रिय फिल्म ‘शोले’ का ज़िक्र किया.

विदेश मंत्री के अनुसार, प्रधानमंत्री रबूका ने उन्हें बताया कि ‘शोले’ उनकी सबसे पसंदीदा फिल्म है और उसका गाना ‘ये दोस्ती, हम नहीं तोड़ेंगे….’ उन्हें विशेष रूप से प्रिय है.

समापन समारोह में देश – विदेश में हिंदी के प्रचार, प्रसार व विकास के लिए काम कर रहे 25 विद्वानों व संस्थाओं को सम्मानित भी किया गया. विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधर ने बताया कि सम्मेलन के दौरान दस सत्रों में विभिन्न मसलों पर गंभीर चर्चा हुई और यह निष्कर्ष निकल कर आया कि हिंदी काफी सशक्त भाषा है और तकनीक के साथ सामंजस्य बैठाने में सक्षम है.

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


यह भी पढ़ेंः विश्व हिंदी सम्मेलन में बोले विदेश मंत्री- जब वेस्ट को प्रगति का मानक माना जाता था वो दौर अब बीत गया


 

share & View comments