पटना, दो नवम्बर (भाषा) ‘भाजपा को जानें’ पहल के तहत जापान, इंडोनेशिया, डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, भूटान और दक्षिण अफ्रीका के राजनयिक आगामी दो और तीन नवम्बर को बिहार दौरे पर आ रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा द्वारा शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य विदेशी राजनयिकों को भाजपा की चुनावी प्रक्रिया, संगठन की कार्यशैली और पार्टी की जनसंपर्क शक्ति से अवगत कराना है।
पार्टी मुख्यालय की ओर से यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह प्रतिनिधिमंडल बिहार के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव अभियानों का प्रत्यक्ष अनुभव करेगा और वरिष्ठ भाजपा नेताओं से मुलाकात भी करेगा।
विज्ञप्ति के अनुसार, विदेशी राजनयिकों को भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था और बिहार में होने वाले चुनावी गतिविधियों की जमीनी हकीकत को समझने का अवसर भी मिलेगा।
इससे पहले भी इसी तरह के राजनयिक प्रतिनिधिमंडलों ने गुजरात, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा की चुनावी रणनीति और प्रबंधन को समझने के लिए इन राज्यों का दौरा किया था।
इस पहल की देखरेख भाजपा के विदेश मामलों के प्रभारी, डॉ. विजय चौथा वाले द्वारा की जा रही है।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जहां राजनीतिक दलों ने पूरा जोर लगा रखा है, वहीं कई विदेशी राजनयिकों की नजर भी इस चुनावी प्रक्रिया पर है। भाजपा की पहल से इतर कई देशों के राजनयिक हाल के महीनों में राज्य का दौरा कर चुके हैं, ताकि वे बिहार की सियासत, समाज और बदलते राजनीतिक परिदृश्य को करीब से समझ सकें।
नॉर्वे की राजदूत एलिन स्टेनर बिहार चुनाव की घोषणा से पहले नौ जुलाई, 2025 को बिहार के दौरे पर आई थीं। अपने दौरे के दौरान उन्होंने जनसुराज अभियान के प्रमुख प्रशांत किशोर से मुलाकात की थी। वहीं, भारत में इंडोनेशिया की राजदूत इना हगनिंग्यास कृष्णमूर्ति 18 अगस्त को पटना पहुंचीं। उन्होंने पटना म्यूजियम में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और बिहार की संस्कृति, समाज तथा राजनीतिक परिदृश्य को समझने का प्रयास किया।
बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुधांशु ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘बिहार से कई बार राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव की लहर उठी है। ऐसी स्थिति में राजनयिकों की नजर इस राज्य के चुनाव पर कायम रहना स्वाभाविक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बिहार जैसे बड़े राज्यों के चुनाव से अक्सर राष्ट्रीय स्तर के नये नेतृत्व उभरते हैं। ऐसे में राजनयिक समय रहते संभावित नेताओं से संबंध विकसित करने की कोशिश करते हैं, ताकि भविष्य में अपने देश के नेतृत्व को भारत की राजनीतिक दिशा और उभरते चेहरों के बारे में अद्यतन कर सकें।’’
डॉ. सुधांशु के मुताबिक, ‘‘इन दौरों का एक उद्देश्य भारत की दूसरी पंक्ति के नेतृत्व के साथ संवाद कायम करना भी होता है, जिससे ये देश भारत के साथ भविष्य के संबंधों की नई धुरी तय कर सकें।’’
भाषा कैलाश सिम्मी सुरेश
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