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Friday, 19 April, 2024
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महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का प्रयास हुआ, अब देश गलतियों को ठीक कर रहा: मोदी

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नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ-साथ कई महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का प्रयास किया गया, लेकिन आज देश उन गलतियों को ठीक कर रहा है।

स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर इंडिया गेट पर उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में देश की स्वतंत्रता के सौवें वर्ष से पहले दुनिया की कोई भी ताकत राष्ट्र को ‘नए भारत’ के निर्माण के अपने लक्ष्य को हासिल करने से नहीं रोक सकती।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें नेताजी बोस के ‘‘कैन डू’’ और ‘‘विल डू’’ की भावना से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ कई महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का काम किया गया।’’

मोदी ने कहा कि ‘बोस ने हममें एक स्वतंत्र एवं संप्रभु भारत होने का विश्वास भरा’ और ब्रिटिश शासकों से गर्व, आत्म सम्मान तथा साहस के साथ कहा कि वह स्वतंत्रता भीख में नहीं लेंगे बल्कि इसे हासिल करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक दिन है, एक ऐतिहासिक स्थान है…यह प्रतिमा हमारे राष्ट्र के प्रति उनके योगदान के प्रति एक एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी, लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं, पर आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर ठीक कर रहा है।’’

मोदी ने अतीत की गलतियों को ठीक करने की दिशा में डॉ भीम राव आंबेडकर से जुड़े ऐतहासिक स्थानों का निर्माण करने एवं उसे बढ़ावा देने, सरदार पटेल की याद में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण करने और बिरसा मुंडा के सम्मान में जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत किये जाने जैसे कदमों का जिक्र किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों का अब लक्ष्य नेताजी के सपनों को आजादी के सौवें वर्ष में पूरा करने का होगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने अंडमान में एक द्वीप का नाम नेताजी के नाम पर रखने और उनकी जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का भी फैसला किया है।

प्रधानमंत्री ने अलंकरण समारोह में वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2022 के लिए ‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ भी प्रदान किए। समारोह के दौरान कुल सात पुरस्कार प्रदान किए गए। केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में लोगों और संगठनों के अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को पहचान देने और सम्मानित करने के लिए वार्षिक पुरस्कार की शुरुआत की है।

मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने राहत, बचाव और पुनर्वास पर जोर देने के साथ सुधार पर भी बल दिया है। हमने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को मजबूत किया, उसका आधुनिकीकरण किया, देश भर में उसका विस्तार किया। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से लेकर योजना और प्रबंधन तक, सर्वश्रेष्ठ तौर तरीकों को अपनाया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जिन्होंने भारत की धरती पर पहली आजाद सरकार को स्थापित किया था, हमारे उन नेताजी की भव्य प्रतिमा आज डिजिटल स्वरूप में इंडिया गेट के समीप स्थापित हो रही है। जल्द ही इस होलोग्राम प्रतिमा के स्थान पर ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा भी लगेगी।’’ उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा लोकतांत्रिक संस्थाओं, वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को उनके कर्तव्यों की याद दिलाएगी और उन्हें प्रेरित करेगी।

होलोग्राम प्रतिमा को 30,000 लुमेन 4के प्रोजेक्टर द्वारा संचालित किया जाएगा। एक अदृश्य 90 प्रतिशत पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन इस तरह से लगाई गई है कि यह आगंतुकों को दिखाई नहीं देती। सरकार ने कहा है कि होलोग्राम का प्रभाव पैदा करने के लिए उस पर नेताजी की थ्रीडी तस्वीर लगाई जाएगी। इस प्रतिमा का आकार 28 फुट ऊंचा और 6 फुट चौड़ा है।

भाषा सुभाष सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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