नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेकर जल्द ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) के संबंध में धन शोधन का मामला दर्ज कर सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
मैसूरु स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान ने 27 सितंबर को दर्ज प्राथमिकी में सिद्धरमैया, उनकी पत्नी बीएम पार्वती, साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू को नामज़द किया है। स्वामी ने देवराजू से ज़मीन खरीदकर उसे पार्वती को उपहार में दिया गया था।
पिछले हफ्ते बेंगलुरू की एक विशेष अदालत ने इस मामले में सिद्धरमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस को जांच के आदेश दिए थे जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सिद्धरमैया पर एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी बी.एम. पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में अनियमितता के आरोप हैं।
उच्च न्यायालय ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा वरिष्ठ कांग्रेस नेता के खिलाफ एमयूडीए की ओर से उनकी पत्नी को 14 भूखंडों के आवंटन में अनियमितताओं के आरोपों की जांच करने की मंजूरी दिए जाने के फैसले को बरकरार रखा था जिसके एक दिन बाद विशेष अदालत के न्यायाधीश का प्राथमिकी दर्ज करने संबंधी आदेश आया।
ईडी अपनी प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) में सिद्धरमैया के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराएं लगा सकता है। सूत्रों ने बताया कि संघीय एजेंसी लोकायुक्त पुलिस की प्राथमिकी का अध्ययन कर रही है।
प्रक्रिया के अनुसार, ईडी को पूछताछ के लिए आरोपियों को बुलाने और यहां तक कि जांच के दौरान उनकी संपत्ति कुर्क करने का अधिकार है।
सिद्धरमैया (76) ने पिछले हफ्ते कहा था कि उन्हें एमयूडीए मामले में निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि विपक्ष उनसे “डरा हुआ” है। उन्होंने यह भी कहा कि यह उनके खिलाफ पहला ऐसा “राजनीतिक मामला” है।
उन्होंने यह भी दोहराया कि मामले में उनके खिलाफ अदालत द्वारा जांच के आदेश दिए जाने के बाद भी वह इस्तीफा नहीं देंगे क्योंकि उन्होंने कुछ गलत काम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वह कानूनी रूप से मुकदमा लड़ेंगे।
एमयूडीए ने मुख्यमंत्री की पत्नी की संपत्ति का ‘अधिग्रहण’ किया था और इसके कथित मुआवज़े के तौर पर मैसूरु के पौश इलाके में भूखंड आवंटित किए थे। आरोप है कि सिद्धरमैया की पत्नी बी एम पार्वती को मैसूरु के एक पॉश इलाके में मुआवजे के तौर पर जो भूखंड आवंटित किये गये थे, उनकी कीमत एमयूडीए द्वारा अधिग्रहीत की गयी जमीन की तुलना में काफी अधिक थी।
एमयूडीए ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें 50:50 के अनुपात से भूखंड आवंटित किये थे जहां उसने आवासीय लेआउट विकसित किये थे।
इस विवादास्पद योजना के तहत एमयूडीए ने उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की थी जिनकी अविकसित जमीन आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए ली गयी थी।
आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था।
भाषा नोमान मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.