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Friday, 19 April, 2024
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RBI ने कहा-‘भारत को शुरुआत में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा का बुनियादी मॉडल अपनाने की जरूरत’

आरबीआई ने कहा कि वित्तीय प्रणाली एक हाइब्रिड व्यवस्था की तरफ बढ़ रही है जिसमें गैर-बैंकिंग मध्यवर्तियों को अहमियत मिल रही है. आने वाले सालों में इसकी प्रगति जारी रहने की संभावना है.

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मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि भारत को शुरुआत में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का बुनियादी मॉडल अपनाने और भुगतान प्रणाली ढांचे के इस्तेमाल की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. इस तरह अत्याधुनिक डिजिटल मुद्रा का आधार तैयार किया जा सकेगा.

आरबीआई ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट ‘भारत में बैंकिंग का रुझान और प्रगति 2020-21’ में कहा कि सीबीडीसी अपने बुनियादी स्वरूप में भौतिक मुद्रा का एक सुरक्षित, सशक्त और सुविधाजनक विकल्प देता है. विभिन्न डिजाइन विकल्पों को देखते हुए इसे एक वित्तीय साधन का जटिल रूप भी माना जा सकता है.

रिजर्व बैंक ने कहा, ‘वृहद-आर्थिक नीति-निर्माण पर अपने प्रभाव को देखते हुए शुरुआत में बुनियादी मॉडल को अपनाना जरूरी है ताकि इसे अच्छी तरह परखा जा सके. इस तरह मौद्रिक नीति और बैंकिंग प्रणाली पर इसका कम-से-कम असर होगा.’


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केंद्रीय बैंक ने कहा कि अपने नागरिकों और वित्तीय संस्थानों को अत्याधुनिक सीबीडीसी मुहैया कराने के लिए भुगतान प्रणालियों में प्रगति करना जरूरी है. परंपरागत मुद्रा की तुलना में डिजिटल मुद्रा तरलता, स्वीकार्यता और लेनदेन की सुगमता जैसे लाभ उपयोगकर्ताओं को दे सकती है.

आरबीआई ने वित्तीय क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने के लिए सावधानीपूर्वक रणनीति बनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी संबंधी नवाचारों के साथ ही कोविड महामारी से उपजी चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार रहना होगा.

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रिपोर्ट कहती है कि अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता पर जलवायु परिवर्तन के प्रणालीगत असर का आकलन अभी विकास के दौर में है. दुनिया भर के केंद्रीय बैंक इससे निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर अभी स्पष्ट नहीं हैं.

आरबीआई ने कहा, ‘संक्षेप में कहें, तो भारत का वित्तीय क्षेत्र अभी चौराहे पर है।. महामारी के दुष्प्रभाव अल्पकालिक असर डालेंगे लेकिन जलवायु परिवर्तन और तकनीकी नवाचारों से संबंधित कहीं बड़ी चुनौती के लिए ध्यानपूर्वक बनाई गई रणनीति की जरूरत होगी.’

केंद्रीय बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के आने वाले समय में भी तेज बने रहने की उम्मीद है. अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार और टीकाकरण की तेज होती रफ्तार से एनबीएफसी क्षेत्र को समर्थन मिलने की उम्मीद है.

आरबीआई ने कहा कि वित्तीय प्रणाली एक हाइब्रिड व्यवस्था की तरफ बढ़ रही है जिसमें गैर-बैंकिंग मध्यवर्तियों को अहमियत मिल रही है. आने वाले सालों में इसकी प्रगति जारी रहने की संभावना है.


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