नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) संकटग्रस्त शिक्षा-प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन अमेरिकी अदालत में 2.5 अरब डॉलर का क्षतिपूर्ति दावा दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके साथ ही अल्फा फंड से 53.3 करोड़ डॉलर की रकम दूसरी जगह भेजने के आरोपों को गलत ठहराने वाले सबूत भी पेश किए जाएंगे।
अमेरिका के डेलावेयर की दिवाला अदालत ने पिछले सप्ताह रवींद्रन को एक अरब डॉलर से अधिक भुगतान करने का आदेश दिया था। अदालत का कहना था कि वह 2021 में लिए गए 1.2 अरब डॉलर के कर्ज में से आधी रकम का पता लगाने में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
रवींद्रन ने एक बयान में कहा है कि अमेरिकी अदालत ने उन्हें अपना वकील रखने के लिए 30 दिन का समय नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे और ग्लास ट्रस्ट एवं अन्य पक्षों पर अलग से 2.5 अरब डॉलर का दावा ठोंकेंगे।
उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का 53.3 करोड़ डॉलर की समूची राशि का विवरण दर्ज है। इसका बड़ा हिस्सा कर्ज व्यवस्थापक ओसीआई से रिवेरे कैपिटल और फिर विभिन्न बायजू इकाइयों से होते हुए मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (टीएलपीएल) तक पहुंचा था। इस राशि का उपयोग आकाश एजुकेशनल सर्विसेज एवं अन्य अधिग्रहणों में किया गया।
उनके मुताबिक ग्लास ट्रस्ट के पास 2025 से ही इस पूरे लेनदेन का रिकॉर्ड था और पैसे की आवाजाही के बारे में कोई सूचना न होने का दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है। रवींद्रन ने कहा कि बैंक रिकॉर्ड, ईमेल और ट्रांसफर ट्रेल जैसे नए दस्तावेज अदालत में पेश किए जाएंगे।
बायजू के संस्थापकों ने आरोप लगाया कि ग्लास ट्रस्ट और कंपनी के समाधान पेशेवर ने इस बारे में अमेरिकी और भारतीय अदालतों में गलत जानकारी दी। उनका कहना है कि रकम गायब नहीं हुई, बल्कि निवेश के रूप में इसका इस्तेमाल हुआ।
अमेरिकी अदालत ने पिछले सप्ताह अपने आदेश में रवींद्रन को 53.3 करोड़ डॉलर की मूल राशि के साथ 54 करोड़ डॉलर जुर्माने और अन्य लेनदेन के रूप में चुकाने के लिए कहा।
रवींद्रन ने बयान में कहा, “दो साल से मेरी और अन्य संस्थापकों की ईमानदारी पर अनावश्यक हमला हो रहा है। ये फंड कंपनी की वृद्धि के लिए ही खर्च किए गए थे, व्यक्तिगत उपयोग के लिए नहीं।”
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