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Saturday, 20 April, 2024
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PM मोदी कपास से आयात शुल्क वापस लें, इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर से अधिक पहुंची: कपड़ा उद्योग

इससे निर्यातकों को निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और आगे के ऑर्डर लेने में कठिनाई हो रही है.

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नई दिल्ली: कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सिटी) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से घरेलू उद्योग के संरक्षण के लिए कपास पर आयात शुल्क हटाने की अपील की है. उसका कहना है कि भारत में कपास की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर से अधिक हो गई हैं.

सिटी ने कहा कि कपास की आसमान छूती कीमत ने कपड़ा मूल्य श्रृंखला के संभावित विकास को रोक दिया है और मौजूदा बाजार परिदृश्य में अनिश्चितता पैदा हो रही है.

उसने कहा, ‘कपास की कीमत सितंबर, 2020 के दौरान प्रति कैंडी 37,000 रुपए थी. वो अक्टूबर, 2021 के दौरान बढ़कर 60,000 रुपए प्रति कैंडी हो गई. एक कैंडी में 355 किलोग्राम कपास होता है. नवंबर, 2021 के दौरान, कीमत 64,500 रुपए और 67,000 रुपए के बीच थी. 31 दिसंबर, 2021 को प्रति कैंडी कपास की कीमत 70,000 रुपए के अपने उच्चस्तर पर पहुंच गई.’

कपड़ा उद्योग निकाय ने तर्क दिया कि बजट 2021-22 में पांच प्रतिशत मूल प्रतिपूर्ति शुल्क, पांच प्रतिशत एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (एआईडीसी) और 10 प्रतिशत समाज कल्याण उपकर लगाने के चलते कपास पर आयात शुल्क 11 प्रतिशत हो गया है. भारतीय कपास की कीमत पहली बार अंतरराष्ट्रीय मूल्य से अधिक होने लगी है.

इससे निर्यातकों को निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और आगे के ऑर्डर लेने में कठिनाई हो रही है.

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सिटी के अध्यक्ष टी राजकुमार ने कहा कि 31 दिसंबर, 2021 तक बाजार में सिर्फ लगभग 121 लाख गांठ कपास की आवक हुई थी जबकि 170-200 लाख गांठें आमतौर पर पहले के मौसमों के दौरान आती थीं. मात्र 121 लाख गांठ की आवक, आपूर्ति की कमी का संकेत दे रही है. उन्होंने कहा कि किसान कपास की फसल को रोककर बैठे हैं. इसलिए मिलों को अच्छी गुणवत्ता वाले कपास की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

उद्योग निकाय ने कहा, ‘इसलिए सिटी के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री से कपास पर लगाए गए आयात शुल्क को हटाने का अनुरोध किया है क्योंकि घरेलू कपास की कीमत अंतरराष्ट्रीय मूल्य से अधिक हो गई है और कपास की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग 65 प्रतिशत अधिक है.’ इसने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा हासिल करने और संकट से बचाव के लिए अत्यधिक श्रम और निर्यात पर निर्भरता वाले कपड़ा उद्योग की मदद करना आवश्यक है.


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