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Thursday, 25 April, 2024
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3 वर्षो में तांबे के निर्यातक से आयातक बन गया भारत और इसका फायदा पाकिस्तान को मिला

भारत तांबे का एक प्रमुख निर्यातक था, लेकिन स्टर्लाइट प्लांट के बंद होने से, अब वो एक आयातक में तब्दील हो गया है. निर्यातकों का कहना है, कि इससे पाकिस्तान को फायदा पहुंचा है.

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नई दिल्ली: भारत, जो कुछ साल पहले तक रिफाइंड तांबे का एक प्रमुख निर्यातक हुआ करता था, अब लगातार तीसरे साल एक शुद्ध आयातक बनने जा रहा है, क्योंकि पर्यावरण चिंताओं के चलते, तमिलनाडु के तूतुकुड़ी में एक प्लांट, निरंतर बंद चल रहा है.

व्यापार आंकड़ों और निर्यातकों के अनुसार, भारत के निर्यात में तेज़ी से आई गिरावट, पड़ोसी पाकिस्तान के लिए मुफ़ीद साबित हुई है, जो इस गैप को आंशिक रूप से पूरा करने के लिए आगे आया है, ख़ासकर चीन जैसे देशों के लिए.

भारत के शुद्ध आयातक में तब्दील होने की वजह, आयात में तेज़ी से वृद्धि और निर्यात में आई कमी दोनों हैं. ऐसा प्रमुख रूप से इसलिए है, कि वेदांता की एक सहायक कंपनी, स्टरलाइट कॉपर का एक प्लांट बंद हो गया है, जिसकी उत्पादन क्षमता 4 लाख टन थी.

राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सिफारिश के बाद, तमिलनाडु सरकार ने तूतुकुड़ी में स्टरलाइट कॉपर के स्मेल्टर प्लांट को, मई 2018 में बंद कर दिया था. इससे पहले यहां पर्यावरण को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी, कि प्लांट से क्षेत्र में रहने वाले लोगों के, स्वास्थ्य को ख़तरा पैदा हो सकता है, जिसके बाद यहां के निवासियों ने हिंसक प्रदर्शन किए थे

18 फरवरी की अपनी एक रिपोर्ट में, केयर रेटिंग्स ने कहा, ‘घरेलू तांबा उद्योग पिछले दो वित्त वर्षों से, तक़रीबन अपनी आधी क्षमता पर काम कर रहा है, जिसका कारण टूटिकोरिन में वेदांता लि. के, 4 लाख टन क्षमता के स्मेल्टर का बंद होना है’. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि भारत एफवाई 21 में भी, तांबे का शुद्ध आयातक बना रहेगा, जब तक कि वेदांता की तांबा गलाने की सुविधा, फिर से चालू नहीं हो जाती.

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Graphic: Ramandeep Kaur/ThePrint
चित्रण: रमणदीप कौर/दिप्रिंट

सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, परिष्कृत तांबे का आयात 2017-18 में 44,245 टन से बढ़कर, 2018-19 में 92,290 टन हो गया, जबकि निर्यात 2017-18 में 3.78 लाख टन से घटकर, 2018-19 में 47,917 टन रह गया. इसके नतीजे में 2017-18 का 3,34,310 टन शुद्ध निर्यात, 2018-19 में 44,373 टन के शुद्ध आयात में बदल गया.

मूल्य के मामले में, 2017-18 में भारत का परिष्कृत तांबे का शुद्ध निर्यात, 2 बिलियन डॉलर से अधिक था, जबकि 2018-19 के आते आते, वो शुद्ध आयातक में बदल गया.

तांबे का मूल्य

बहुत से उद्योगों में तांबा एक प्रमुख इनपुट होता है. बिजली और दूर संचार उद्योग की तांबे के उपभोग में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है, जिसके बाद ट्रांसपोर्ट, टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं, बिल्डिंग और निर्माण, तथा इंजीनियरिंग वस्तुएं आती हैं.

लगातार तीन महीने तेज़ी से सिकुड़ने के बाद, सितंबर के आरंभ में भारत का तांबा आयात फिर से बढ़ना शुरू हो गया, चूंकि स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की ओर से मांग बढ़ गई, जो महामारी से उपजे लॉकडाउन के बाद फिर से खुल गईं हैं.

स्टील उत्पादों की तरह, चालू वित्त वर्ष के शुरूआती महीनों में, ख़ासकर चीन को भारत के तांबा निर्यात में, तेज़ी से वृद्धि हुई थी, चूंकि महामारी की वजह से उद्योग बंद पड़े थे, और स्थानीय मांग लगभग न के बराबर थी.

लेकिन, घरेलू उद्योगों के फिर से चालू होने से, निर्यात धीमे पड़ गए हैं.

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चित्रण: रमणदीप कौर/दिप्रिंट

दुनियाभर में परिष्कृत तांबे के भंडारों में कमी, और चीन की ओर से मांग में तेज़ी के चलते, इसकी वैश्विक क़ीमतों में तेज़ी देखी जा रही है. इसकी वजह से उन स्थानीय उद्योगों के लिए लागतें बढ़ गई हैं, जो अपने उत्पादन के लिए तांबे पर निर्भर हैं. इसके चलते कुछ स्थानीय उद्योग निकायों की ओर से, स्टरलाइट प्लांट को फिर से चलाने की मांग उठ रही है.

अपने नोट में केयर रेटिंग्स ने कहा, कि ऊंची मांग और आपूर्ति में कमी की वजह से, स्टॉक्स के स्तरों में तेज़ी से गिरावट आ गई. उसने ये भी कहा कि तांबा अयस्क खनन में समस्या, और ख़ासकर चीन की ओर से भारी मांग की वजह से, अगली तिमाही में भी तांबे की क़ीमतें, ऊंची ही बनी रहने की संभावना है.

उसमें कहा गया, ‘हम अपेक्षा करते हैं कि वित्त वर्ष 21 में, परिष्कृत तांबे की औसत क़ीमतें, 6,500-6,800 डॉलर प्रति टन रहेंगी, जोकि वित्त वर्ष 20 में 5,923 डॉलर थीं’.


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पाकिस्तान को बढ़त

कुछ साल पहले, भारत के परिष्कृत तांबा निर्यात के लिए, चीन एक प्रमुख बाज़ार था. लेकिन भारत के इस जगह को छोड़ने से, भले ही सीमांत रूप से सही, अलबत्ता पाकिस्तान इस जगह की भरपाई के लिए आगे आ गया है.

संबंधित देशों के व्यापार आंकड़ों से पता चलता है, कि चीन के तांबा आयात में 2019 में भारत की हिस्सेदारी, 1 प्रतिशत से भी कम रही गई, जो 2017 में 5 प्रतिशत से अधिक थी. चीन की तांबा आयात टोकरी में पाकिस्तान की हिस्सेदारी, इसी अवधि में 0.1 प्रतिशत से बढ़कर, 0.6 प्रतिशत हो गई.

भारतीय निर्यात संगठन संघ के महानिदेशक, अजय सहाय ने कहा कि चीन को निर्यात के मामले में, भारत के पास एक भौगोलिक फायदा था, लेकिन अब ये फायदा पाकिस्तान की तरफ चला गया है.

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उन्होंने कहा, ‘कुछ साल पहले तक, भारत तांबे का एक प्रमुख सप्लायर था. हम मुख्य रूप से चीन को सप्लाई कर रहे थे. लेकिन फिर स्टरलाइट प्लांट बंद हो गया, और हमने उस बाज़ार का काफी हिस्सा खो दिया’.

सहाय ने आगे कहा, ‘पाकिस्तान भी तांबे का उत्पादन करता है, और वो भी भारत के भौगोलिक लाभ को साझा करता है, ख़ासकर जब चीन को निर्यात करना हो. लेटिन अमेरिकी देश भी तांबे का निर्यात करते हैं. लेकिन उनके मामले में माल ढुलाई लागत ज़्यादा हो जाती है’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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