नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) विनिर्माण और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन की वजह से चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर लगभग दो साल के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई। हालांकि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। एक साल पहले की समान अवधि में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।
जीडीपी एक निश्चित अवधि में देश की सीमा में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मुल मूल्य को बताता है।
आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था धीमी होकर 5.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी। जीडीपी वृद्धि का पिछला निम्न स्तर वित्त वर्ष 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 4.3 प्रतिशत रहा था।
जीडीपी वृद्धि में आई इस सुस्ती के बावजूद भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहा। इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में चीन की जीडीपी वृद्धि 4.6 प्रतिशत रही।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर (सकल मूल्य वर्धन) पिछली तिमाही में 3.5 प्रतिशत हो गई जो एक साल पहले की समान अवधि में 1.7 प्रतिशत थी।
हालांकि आलोच्य अवधि में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत पर आ गई जो पिछले साल की समान अवधि में 14.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा था।
पिछली तिमाही में ‘खनन और उत्खनन’ क्षेत्र का सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) भी बड़ी गिरावट के साथ 0.01 प्रतिशत पर आ गया जबकि एक साल पहले की समान तिमाही में यह 11.1 प्रतिशत बढ़ा था।
हालांकि वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर बेहतर होकर 6.7 प्रतिशत हो गई जो एक साल पहले की तिमाही में 6.2 प्रतिशत थी।
इसके अलावा बिजली, गैस, जल-आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाओं में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो एक साल पहले की 10.5 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले सुस्त है।
निर्माण क्षेत्र ने दूसरी तिमाही में 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले साल की समान तिमाही के 13.6 प्रतिशत से कम है।
दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े आने के साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि छह प्रतिशत दर्ज की गई है। पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत रही थी।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.7 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनी हुई है।।
एनएसओ ने एक बयान में कहा, ‘2024-25 की दूसरी तिमाही में स्थिर कीमतों पर जीडीपी का आकार 44.10 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है जबकि 2023-24 की दूसरी तिमाही में यह 41.86 लाख करोड़ रुपये थी। यह जीडीपी में सालाना आधार पर 5.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।’
बयान के मुताबिक, बीती तिमाही में मौजूदा बाजार कीमतों पर जीडीपी का आकार 76.60 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 70.90 लाख करोड़ रुपये रही। यह 8.0 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्शाता है।
छमाही आधार पर अप्रैल-सितंबर, 2024 में स्थिर कीमतों पर वास्तविक जीडीपी 87.74 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 2023-24 की पहली छमाही में यह 82.77 लाख करोड़ रुपये रही जो छह प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
बयान के मुताबिक, वित्त वर्ष की पहली छमाही में मौजूदा बाजार कीमतों पर जीडीपी 153.91 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो 2023-24 की पहली छमाही के 141.40 लाख करोड़ रुपये से 8.9 प्रतिशत अधिक है।
इस बीच सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में केंद्र का राजकोषीय घाटा समूचे वित्त वर्ष के लक्ष्य का 46.5 प्रतिशत तक पहुंच गया।
लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-अक्टूबर में राजकोषीय घाटा 7,50,824 करोड़ रुपये रहा है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में घाटा बजट अनुमान का 45 प्रतिशत था।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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