नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में अनुमान से अधिक 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी जो पिछले डेढ़ साल में सबसे अधिक है। शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उच्च वृद्धि यह दर्शाती है कि अमेरिका की तरफ से लगाए गए 50 प्रतिशत सीमा शुल्क के असर को जीएसटी दर कटौती से खपत बढ़ने की उम्मीद में बढ़े उत्पादन ने निष्प्रभावी कर दिया।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं कि कृषि क्षेत्र की सुस्ती पर विनिर्माण गतिविधियों में तेजी और सेवा क्षेत्र का मजबूत प्रदर्शन भारी पड़ा।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही जो पिछले वर्ष की समान अवधि की 5.6 प्रतिशत वृद्धि से अधिक है। इस साल की अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही थी।
जुलाई-सितंबर तिमाही की यह वृद्धि दर पिछली छह तिमाहियों में सबसे अधिक है। इससे पहले उच्चतम वृद्धि 8.4 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में दर्ज की गई थी।
इस तीव्र वृद्धि ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में बरकरार रखा है। इसी दौरान चीन की अर्थव्यवस्था 4.8 प्रतिशत बढ़ी है।
इसके साथ वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में भारत की अर्थव्यवस्था आठ प्रतिशत की दर से बढ़ी है। पिछले साल की समान अवधि में इसकी वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी।
पहली छमाही के बेहतर प्रदर्शन के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष के वृद्धि लक्ष्य से भी आगे निकल सकती है। जनवरी में पेश आर्थिक समीक्षा में इसके में 6.3-6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीडीपी वृद्धि के इस आंकड़े को बहुत उत्साहजनक बताते हुए कहा, ‘यह हमारी वृद्धि-उन्मुख नीतियों एवं सुधारों के प्रभाव को दर्शाता है। यह हमारे लोगों की कड़ी मेहनत और उद्यमशीलता को भी बताता है। हमारी सरकार सुधारों को आगे बढ़ाने और हरेक नागरिक के लिए जीवन को आसान बनाने के प्रयास जारी रखेगी।’
प्रधानमंत्री ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती की घोषणा की थी। दर कटौती के 22 सितंबर से लागू हो जाने के बाद कारखानों ने त्योहारी मांग बढ़ने की उम्मीद में उत्पादन बढ़ा दिया था।
आंकड़ों के मुताबिक, विनिर्माण क्षेत्र ने पिछली तिमाही में 9.1 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दिखाई जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 2.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी।
इस दौरान सेवा क्षेत्र का भी प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। बैंकिंग, रियल एस्टेट और अन्य सेवाओं में 10.2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई जो एक साल पहले 7.2 प्रतिशत थी।
हालांकि दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। कृषि क्षेत्र का उत्पादन गिरकर 3.5 प्रतिशत रहा जो एक साल पहले की समान अवधि में 4.1 प्रतिशत था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘यह वृद्धि लगातार राजकोषीय मजबूती, लक्षित सार्वजनिक निवेश और उत्पादकता बढ़ाने वाले एवं कारोबारी सुगमता लाने वाले विभिन्न सुधारों के कारण संभव हुई है। 8.2 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है।’
दूसरी तिमाही में स्थिर कीमतों पर जीडीपी 48.63 लाख करोड़ रुपये और मौजूदा बाजार मूल्य पर जीडीपी 85.25 लाख करोड़ रुपये रही।
इसके साथ पहली छमाही में स्थिर कीमतों पर जीडीपी आठ प्रतिशत बढ़कर 96.52 लाख करोड़ रुपये और मौजूदा बाजार मूल्य पर जीडीपी 8.8 प्रतिशत बढ़कर 171.30 लाख करोड़ रुपये रहा।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने इन आंकड़ों पर कहा कि मौजूदा रफ्तार को देखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के इस वित्त वर्ष में चार लाख करोड़ डॉलर से अधिक हो जाने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 20224-25 के अंत में जीडीपी का आकार 3.9 लाख करोड़ डॉलर था।
वास्तविक निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) ने 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। सकल स्थायी पूंजी निर्माण 7.3 प्रतिशत बढ़ा।
दूसरी तिमाही में जीडीपी के अनुमान में उपयोग की गई विभिन्न गणना पद्धतियों के बीच अंतर 1.62 लाख करोड़ रुपये का रहा।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सितंबर तिमाही की वृद्धि दर उम्मीदों से अधिक रही है। इससे दिसंबर 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में दर कटौती की संभावना कम हो गई है।
हालांकि नायर ने कहा, ‘अमेरिका की तरफ से लगाए गए उच्च शुल्क और केंद्र सरकार की सीमित पूंजीगत व्यय की गुंजाइश को देखते हुए वृद्धि की रफ्तार धीमी हो सकती है। इसके बावजूद वित्त वर्ष 2025-26 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत से अधिक रहने की ही संभावना है।’
डेलॉयट की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि जीएसटी सुधार और त्योहारी खरीद तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों को गति देंगे और पूरे वित्त वर्ष की वृद्धि दर के अनुमान में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि जीडीपी गणना के लिए 2011-12 के बजाय 2022-23 को नया आधार वर्ष स्वीकार किए जाने के बाद अर्थव्यवस्था की बेहतर तस्वीर सामने आ पाएगी लेकिन इससे मौजूदा अनुमानों से थोड़ा विचलन भी हो सकता है।
दरअसल सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय आर्थिक आंकड़ों की गणना के लिए 2022-23 को नए आधार वर्ष के रूप में संशोधित करने की तैयारी में है।
मंत्रालय ने कहा कि तिमाही जीडीपी के प्रारंभिक अनुमानों में आगे चलकर संशोधन किए जाएंगे, क्योंकि मौजूदा एवं स्थिर कीमतों पर आंकड़ों के आकलन की नई पद्धति लागू की जा रही है।
बयान के मुताबिक, नई शृंखला के आधार पर अगली तिमाही के जीडीपी आंकड़े 27 फरवरी, 2026 को जारी किए जाएंगे।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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