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Friday, 29 March, 2024
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फूड डिलीवरी, हेयर ड्रेसर, टैक्सी, बैंक, कार सर्विस- सभी को हर समय फीडबैक क्यों चाहिए

फीडबैक फॉर्म्स जो आप भरते हैं, स्टार रेटिंग्स जिनके लिए ड्राइवर, डिलीवरी वाले और सेल्स स्टाफ आपको परेशान करते हैं. उन सबका एक मक़सद होता है, उससे आप, उन लोगों और व्यवसायों, सभी की मदद हो सकती है.

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नई दिल्ली: जो लोग अक्टूबर से दिसंबर के बीच दिल्ली के कनॉट प्लेस में पंजाबी ग्रिल रेस्टोरेंट्स के पास से गुज़रे होंगे, उन्होंने शायद तीन लोगों को रेस्टोरेंट के बाहर मुफ्त गिफ्ट कूपंस बांटते देखा होगा. अगर आपके पास वो कूपंस होते तो आप फाइन-डाइनिंग रेस्टोरेंट में एक डिश मुफ्त में ले सकते थे. कूपन लेने के लिए आपको बस करना ये था, कि रेस्टोरेंट के बारे में अपना फीडबैक देना था.

फीडबैक की लगातार मांग रहती है- टैक्सी सेवाओं से लेकर फूड डिलीवरी एप्स तक, वो सलून जहां आप बाल कटाने जाते हैं, सड़क किनारे स्थित रेस्टोरेंट और सर्विस सेंटर जहां आप अपनी कार रख-रखाव के लिए भेजते हैं.

अधिक बिक्री, ज़्यादा प्रोत्साहन

आपने देखा होगा कि जैसे ही आप एप खोलते हैं, ज़ोमाटो और स्विगी किस तरह ऐसे रेस्टोरेंट्स की लिस्ट लेकर तैयार रहते हैं जहां से आप ऑर्डर करना चाहते हैं. उनका कुछ हिस्सा एप पर आपकी पिछली गतिविधि पर आधारित होता है लेकिन फीडबैक की भी एक प्रमुख भूमिका होती है.

टेक्नोलॉजी विश्लेषक प्रशांतो कुमार रॉय कहते हैं, ‘सोशल मीडिया एग्रीगेटर्स, ई-कॉमर्स दिग्गज और सेवाएं, सिफारिशों, सुझावों और रेटिंग्स के लिए यूज़र फीडबैक पर बहुत निर्भर करती हैं. इससे बेहतर रेटिंग वाली चीज़ों की बिक्री भी बढ़ती है. यही वजह है कि लोगों को अकसर फीडबैक के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. टेक में फीडबैक का बहुत अच्छे से इस्तेमाल होता है. हालांकि, ये कहना मुश्किल है कि छोटे सेट-अप्स में यूज़र फीडबैक्स का क्या होता है’.

वास्तविक फीडबैक से व्यवसायों को अपनी वस्तुओं या सेवाओं को बेहतर ढंग से बेंचने में भी सहायता मिल सकती है.

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पंजाब ग्रिल के ऑपरेशनल मैनेजर अनिल शर्मा कहते हैं, ‘रेस्टोरेंट विंडो में रखी गई शराब की बोतलों को देखिए. ये एक ग्राहक से मिले फीडबैक के बाद किया गया, जिसने हमसे कहा कि इलाक़े में कोई महंगे बार नहीं हैं और जो लोग फाइन-डाइनिंग अनुभव के साथ एक ड्रिंक भी चाहते हैं, उनके अंदर आने की ज़्यादा संभावना है अगर वो वहां शराब रखी हुई देखेंगे. इसलिए हमने अपने डिसप्ले को रेस्टोरेंट की पिछली साइड से हटाकर सामने कर दिया और इसने हमारे लिए बहुत अच्छा काम किया है’.

शर्मा कहते हैं कि खाने के बाद, मुस्कुराता हुआ सर्वर जो फीडबैक फॉर्म आपको देता हैं, वो सिर्फ शिष्टाचारवश नहीं है. वो आगे कहते हैं कि ग्राहकों के फीडबैक के आधार पर संचालन में बदलाव लाए गए हैं.

कैब सर्विस देने वालों या फूड डिलीवरी सर्विस में काम करने वालों के लिए बुरी रेटिंग के रूप में ख़राब फीडबैक उनकी नौकरी या स्टाफ प्रोत्साहन ले सकता है.

रूप सिंह जो एक ऑटो ड्राइवर हैं. वो ओला और ऊबर दोनों के साथ पंजीकृत हैं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम में ऑटो चलाता हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि वो हमेशा अपनी रेटिंग बनाए रखने और यात्रियों को भी अच्छी रेटिंग देने का ख़्याल रखता है. चूंकि उसने वास्तव में देखा है कि दोनों कंपनियां, किसी भी पक्ष के ख़राब फीडबैक पर उससे संपर्क करती हैं और अगर उसकी कोई शिकायत हो तो उसपर काम करती हैं.

सिंह का कहना है, ‘मैंने देखा है कि अगर उन्हें लगातार निगेटिव फीडबैक मिलता है तो ओला और ऊबर दोनों कंपनियां, ग्राहक और ड्राइवर दोनों को ब्लॉक कर देती हैं’.

‘लेकिन ग्राहक की रेटिंग से हमारी प्रोत्साहन राशि पर कोई असर नहीं पड़ता. मसलन, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मुझे 4.5 स्टार मिलते हैं और मेरे साथी ड्राइवरों को कम मिलते हैं. अपनी राइड्स के लिए हमें समान प्रोत्साहन मिलते हैं और न ही इनका हमारी अगली राइड के लिए मिलने वाले नोटिफिकेशन पर कोई असर पड़ता है’.

रॉय के अनुसार, ‘जब ज़्यादा राइड्स देने की बात आती है तो ऊंची रेटिंग वाले ड्राइवरों को प्लेटफॉर्म पर प्राथमिकता मिलती है और ऊंची रेटिंग वाले ग्राहकों के साथ भी तरजीही बर्ताव किया जाता है’. हालांकि तकनीकी विश्लेषक ने ये ज़रूर कहा कि वो ‘उस प्रक्रिया के बारे में निश्चित नहीं हैं जिससे ये किया जाता है’.

दिप्रिंट द्वारा भेजे गए एक ईमेल का जवाब देते हुए, ऊबर के एक प्रवक्ता ने कहा कि अगर उनका फीडबैक एक निश्चित औसत से नीचे होता है तो वो ड्राइवरों और सवारियों दोनों के लिए अपनी एप तक पहुंच को वापस ले लेते हैं.

प्रवक्ता का कहना है, ‘हमारी कम्यूनिटी गाइडलाइन्स में उन बातों का विस्तृत ब्योरा दिया हुआ होता है जो सवारियों और ड्राइवरों का उचित व्यवहार होता है. एक उच्च-कोटि का अनुभव बनाए रखने के लिए हर शहर में सवारियों और ड्राइवरों के लिए एक न्यूनतम औसत रेटिंग होती है. हम उन्हें सबसे ऊंची रेटिंग हासिल करने और उसे बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और अगर उनकी रेटिंग ख़राब आ रही है तो उसे सुधारने के लिए उनके साथ जानकारी साझा करते हैं’. प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘कुछ मामलों में अगर सवारियों और ड्राइवरों की रेटिंग लगातार ख़राब आ रही है, और उसमें सुधार नहीं है तो वो ऊबर एप तक पहुंच को गंवा सकते हैं’.

हालांकि कैब सर्विस प्रोवाइडर ये ख़ुलासा नहीं करता कि न्यूनतम औसत मार्क क्या है.

दिप्रिंट ने ओला से भी ईमेल के ज़रिए संपर्क किया लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक उनका कोई जवाब नहीं मिला था.


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फूड डिलीवरी एप्स में ये कैसे काम करता है

फूड डिलीवरी एप्स में काम करने वालों के लिए, स्टार रेटिंग्स पर और ज़्यादा कड़ाई से नज़र रखी जाती है.

स्विगी के साथ एक डिलीवरी पार्टनर (जो लोग एप्स के ज़रिए मिले ऑर्डर्स की डिलीवरी करते हैं) अभिषेक साही कहते हैं कि एप के लिए काम करने वालों को सप्ताह के अंत में, उनकी नियमित आमदनी के ऊपर 800 रुपए का प्रोत्साहन दिया जाता है अगर वो अपनी औसत रेटिंग 4.7 से ऊपर बनाए रख पाते हैं.

साही कहते हैं, ‘अगर हफ्ते के अंत में रेटिंग घटकर 4.69 भी हो जाती है तो हमें प्रोत्साहन राशि नहीं मिलती. मैंने भी पहले इसे गंवाया है क्योंकि कभी कभी ग्राहक हमें रेट करना भूल जाते हैं या अगर डिलीवरी में देर हो जाए तो वो हमारा दर्जा घटा देते हैं’.

पंजाब ग्रिल के शर्मा के अनुसार, ख़राब रेटिंग से रेस्टोरेंट एग्रीगेटर के सर्च पन्नों पर किसी रेस्टोरेंट की दृश्यता भी प्रभावित होती है. वो कहते हैं, ‘आजकल लोगों के खाने की पसंद स्विगी या ज़ोमाटो पर रेस्टोरेंट की रेटिंग पर बहुत निर्भर करती है. रेटिंग जितनी अच्छी होगी उसे उतने ही अधिक ग्राहक मिलेंगे. अगर आपकी औसत रेटिंग अच्छी नहीं है तो इन एप्स पर आपकी विज़िबिलिटी पर भी असर पड़ता है’.

दिप्रिंट ने स्विगी और ज़ोमाटो दोनों से ईमेल के ज़रिए टिप्पणी मांगी. स्विगी ने बोलने से मना कर दिया लेकिन ज़ोमाटो के एक प्रवक्ता का कहना है: ‘स्टार रिव्यूज़ से रेस्टोरेंट्स और डिलीवरी पार्टनर्स को अपनी सेवा फीडबैक मिलता है. इस आंतरिक तंत्र से हम अपने एल्गोरिदम को सुधारते हैं और ग्राहक के अनुभव को बेहतर करते हैं. निगेटिव फीडबैक की सूरत में हम उनमें हर एक के साथ काम करते हैं. उन्हें फिर से ट्रेन करते हैं चिंताओं का समाधान करते हैं ताकि वो अपनी पूरी क्षमता के साथ ग्राहकों की सेवा कर सकें’.

डेटा सुरक्षा की चिंताएं

जब हमसे अपनी पसंद और निजी डिटेल्स साझा करने को कहा जाता है तो ज़्यादातर लोगों को पहला डर डेटा की अनचाही और अनियंत्रित शेयरिंग का लगता है.

सलून्स, रेस्टोरेंट्स, होटल्स भी अकसर उम्र, मोबाइल नंबर और ईमेल पते जैसी निजी जानकारियां मांगते हैं.

रॉय के अनुसार, बड़ी टेक कंपनियों द्वारा मांगी जाने वाली जानकारी, किसी थर्ड पार्टी यूज़र को बेंचने के लिए नहीं होती लेकिन छोटे प्रतिष्ठानों द्वारा डेटा का उल्लंघन एक चिंता बनी हुई है.

रॉय कहते हैं, ‘छोटे सेट अप्स के साथ साझा की गई जानकारी जैसे अंदर घुसते समय अपार्टमेंट बिल्डिंगें या रेस्टोरेंट्स में भरे जाने वाले फीडबैक फॉर्म्स आदि का दुरुपयोग हो सकता है और उन्हें बाहर साझा किया जा सकता है क्योंकि भारत में निजता को लेकर कोई नीति नहीं है. हालांकि, अमेज़ॉन, ज़ेमाटो जैसी बड़ी कंपनियों के पास पहले से ही आपकी डिटेल्स होती हैं इसलिए वो ऐसी जानकारी के लिए फीडबैक का रास्ता नहीं अपनातीं. इसके अलावा उनके यहां निजता को लेकर कड़े दिशा-निर्देश होते हैं जो किसी भी तरह के डेटा दुरुपयोग को रोकते हैं’.

वो आगे कहते हैं, ‘विक्रेताओं (प्लेटफॉर्म के ज़रिए अपनी वस्तु बेंचने वाले) की ओर से किसी भी संचार को रोकने के लिए ई-कॉमर्स दिग्गज पते जैसी आपकी निजी जानकारी छिपा लेते हैं ताकि अगर ग्राहक विक्रेता को निगेटिव रेटिंग देता है तो उसकी पहचान गुप्त रखी जा सके’.

इसलिए अगली बार अगर कोई विक्रेता, डिलीवरी वाला या ड्राइवर आपसे रेटिंग या फीडबैक के लिए कहता है तो उसे नज़रअंदाज़ मत कीजिए. इससे उनपर फर्क़ पड़ सकता है और आप पर भी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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