होमदेशअर्थजगतवित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां एआई के दुरुपयोग को रोकने के लिए जोखिम व्यवस्था करें मजबूत: सीतारमण

वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां एआई के दुरुपयोग को रोकने के लिए जोखिम व्यवस्था करें मजबूत: सीतारमण

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(तस्वीर के साथ)

मुंबई, सात अक्टूबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों को जोखिम प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि आज अपराधी भी कृत्रिम मेधा (एआई) का इस्तेमाल कर रहे हैं।

वित्त मंत्री ने यहां ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025’ के छठे संस्करण में कहा कि भारत में विभिन्न एआई उत्पादों एवं सेवाओं के लिए वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता है।

इस कार्यक्रम में सीतारमण ने ‘गिफ्ट आईएफएससी’ में विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली की शुरुआत की जो वास्तविक समय में निर्बाध लेनदेन की सुविधा प्रदान करेगी। साथ ही यह नगदी प्रबंधन को बेहतर बनाएगी और अनुपालन सुनिश्चित करेगी।

विदेशी मुद्रा लेनदेन वर्तमान में आमतौर पर 36 से 48 घंटों के अंतराल में पूरा हो पाता है।

विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली के संचालन के साथ ‘गिफ्ट सिटी’ हांगकांग, तोक्यो, मनीला सहित कुछ अन्य चुनिंदा वित्तीय केंद्रों की सूची में शामिल हो गई है जिनके पास स्थानीय स्तर पर विदेशी मुद्रा लेनदेन को पूरा करने का बुनियादी ढांचा है।

मंत्री ने इस मौके पर कहा कि भारत ऐसे एआई उत्पाद भी बना सकता है जो दुनिया भर में विविध उपयोग-परिस्थितियों के अनुकूल हों। यह एआई विचारों के विकास एवं परीक्षण के लिए एक प्रयोगशाला हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा एआई ढांचा भारतीय भाषाओं, स्थानीय संदर्भों और बहुविध ‘इंटरफेस’ पर आधारित होना चाहिए ताकि इसे हमारे नागरिक व्यापक रूप से स्वीकार और इसका उपयोग कर सकें।’’ मंत्री ने कहा कि एआई ढांचे में केंद्रित दृष्टिकोण भारत को ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एआई अग्रदूत बना सकता है।

‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर कम विकसित देशों के लिए किया जाता है।

सीतारमण ने कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) ने वित्त और कामकाज करने के तरीके को बदल दिया है लेकिन इस प्रौद्योगिकी के कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि एआई असाधारण संभावनाओं के द्वार खोलता है, हमें इसके अंधकारमय पक्ष का सामना करना होगा। नवाचार को शक्ति प्रदान करने वाले उन्हीं उपकरणों का उपयोग धोखे एवं धोखाधड़ी के लिए भी किया जा सकता है। मैं इसे व्यक्तिगत नहीं बना रही हूं, लेकिन मैं कह सकती हूं कि मैंने अपने कई ‘डीपफेक’ वीडियो देखे हैं जिन्हें ऑनलाइन प्रसारित किया जा रहा है…।नागरिकों को गुमराह करने और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है।’’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ यह इस बात को याद दिलाता है कि हमें अपनी सुरक्षा व्यवस्था को कितनी तेजी से मजबूत करना होगा।’’

सीतारमण ने कहा कि धोखाधड़ी की नई पीढ़ी अब ‘फायरवॉल’ (सुरक्षा प्रणाली) तोड़ने के बारे में नहीं, बल्कि भरोसे को तोड़ने के बारे में है।

उन्होंने कहा कि अपराधी आवाजों की नकल करने, नकली पहचान बनाने तथा असली दिखने वाली नकली वीडियो बनाने के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे लोगों को प्रभावित किया जा सकता है।

मंत्री ने कहा कि भारत में वित्तीय प्रौद्योगिकी कोई विशिष्ट सुविधा नहीं है, बल्कि यह आर्थिक सशक्तिकरण का जरिया बना है। भारत की वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) यात्रा ने एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना से संचालित, रोजमर्रा के भुगतानों को जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बना दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह इस बात पर विचार करने का एक अच्छा अवसर है कि हम किस प्रकार का वित्तीय भविष्य बनाना चाहते हैं और हम उस तक कैसे पहुंच सकते हैं। वित्तीय प्रौद्योगिकी को अनिवार्य रूप से राजस्व वृद्धि, नवीन उत्पाद पेशकश, लाभप्रदता, जोखिम एवं अनुपालन क्षमताओं जैसे बुनियादी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’’

सीतारमण ने कहा कि जिम्मेदारी भरा नियमन प्रगति के लिए अवरोध नहीं है बल्कि यह सुरक्षित गति के लिए एक ‘सीट बेल्ट’ है। वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र को वित्तीय परिवेश में बची हुई छोटी-छोटी कमियों को पूरा करने में मदद करनी चाहिए।

भारत ने एक दशक की अवधि में पूरे यूरोपीय संघ (ईयू) के बराबर की आबादी को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा है और 56 करोड़ से अधिक जन धन बैंक खाते खोले हैं।

देश अब फिनटेक कंपनियों की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है और डिजिटल भुगतान के मामले में भी अग्रणी है। 2024-25 में 261 लाख करोड़ रुपये के 18,580 करोड़ से अधिक यूपीआई लेनदेन के प्रसंस्करण हुए हैं।

सीतारमण ने कहा कि दुनिया के करीब आधे वास्तविक समय के डिजिटल लेनदेन भारत में होते हैं। भारत में इसे अपनाने की दर 87 प्रतिशत है जबकि वैश्विक औसत 67 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अपनी सभी सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभार्थियों के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रणाली शुरू करके डिजिटलीकरण का लाभ उठाया है। इससे दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिससे 4.31 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है और 2014 से 2024 के बीच लाभार्थी ‘कवरेज’ में 16 गुना वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि कागज-आधारित वितरण से सीधे डिजिटल अंतरण की ओर बदलाव ने यह सुनिश्चित किया है कि सार्वजनिक धन उन लोगों तक पहुंचे जो इसके हकदार हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 65 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं वाली विशाल आबादी को देखते हुए देश को वित्त से परे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई), निर्यात आदि जैसे क्षेत्रों के लिए भी मॉडल बनाने चाहिए।

भाषा निहारिका रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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