नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) भारतीय निर्यातकों के शीर्ष निकाय फियो ने शुक्रवार को कहा कि पश्चिमी कंपनियों के रूस से बाहर जाने से भारतीय कंपनियों के लिए वहां काफी अवसर है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन्स (फियो) ने यह भी कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की चार दिसंबर से शुरू हो रही दो दिवसीय भारत यात्रा और उसके साथ आयोजित होने वाले भारत-रूस व्यापार मंच की बैठक दोनों देशों के बीच व्यापार एवं निवेश संबंधों को मजबूत करने का अवसर है।
वर्ष 2021 से पिछले चार साल में भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार पांच गुना से अधिक बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसमें भारत का निर्यात 4.88 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात (मुख्यतः कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद एवं उर्वरक) 63.84 अरब डॉलर का था। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि में भी आयात 26.45 अरब डॉलर तथा निर्यात 1.84 अरब डॉलर रहा।
फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा कि हालांकि व्यापार में यह उल्लेखनीय वृद्धि ऊर्जा एवं कच्चे माल पर आधारित है और व्यापार असंतुलन रूस के पक्ष में काफी बढ़ गया है, फिर भी भारतीय निर्यातकों के लिए काफी संभावनाएं मौजूद हैं।
रल्हन ने कहा, ‘‘पश्चिमी कंपनियों के रूस से बाहर जाने से जो स्थान खाली हुआ है, उसे भारतीय कंपनियां भर सकती हैं। दवाइयां, इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि उत्पाद, मोटर गाड़ियां एवं उनके पुर्जे तथा सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं की रूस में भारी मांग है।’’
दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तथा 2025 तक आपसी निवेश को 50 अरब डॉलर तक ले जाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। रूस ने भारत में तेल-गैस, पेट्रोरसायन, बैंकिंग, रेलवे एवं इस्पात क्षेत्र में निवेश किया है, जबकि भारत ने रूस में मुख्यतः तेल-गैस एवं दवा क्षेत्र में निवेश किया है।
फियो अध्यक्ष ने कहा, ‘‘व्यापार मंच की बैठक ठीक समय होने जा रहा है। अब हमें ऊर्जा आधारित व्यापार से हटकर इंजीनियरिंग सामान, रसायन, दवाइयां, कृषि, वस्त्र, चमड़ा, आभूषण तथा मूल्यवर्धित निर्मित उत्पादों की ओर बढ़ना होगा। यह मंच संतुलित एवं दीर्घकालिक व्यापार का का रास्ता साफ करेगा।’’
भाषा योगेश रमण
रमण
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
