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Tuesday, 1 October, 2024
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अर्थशास्त्रियों ने बजट 2021 को बताया ‘साहसी’, लेकिन असमान वृद्धि की समस्या हल नहीं करेगा

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बजट में ‘सॉवरेन रेटिंग’ की चिंता को नजरअंदाज किया गया है और वृद्धि की जरूरत के मद्देनजर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को ऊंचा रखा गया है.

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मुंबई: अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को पेश 2021-22 के बजट को ‘साहसी’ करार दिया और कहा कि यह राजकोषीय विस्तार पर केंद्रित है. हालांकि, अर्थशास्त्रियों ने इस बात को लेकर चिंता भी जताई कि बजट में असमान वृद्धि की समस्या के हल के उपाय नहीं किए गए हैं.

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बजट में ‘सॉवरेन रेटिंग’ की चिंता को नजरअंदाज किया गया है और वृद्धि की जरूरत के मद्देनजर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को ऊंचा रखा गया है.

एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा, ‘बजट असमान वृद्धि की समस्या को उचित तरीके से हल नहीं करता. महामारी की वजह से दुनियाभर में यह चिंता का विषय है. महामारी से प्रभावित क्षेत्रों मसलन आतिथ्य आदि के लिए किसी विशेष समर्थन की घोषणा नहीं की गई है.’

जापान की ब्रोकरेज नोमुरा ने कहा कि यह ‘लोकलुभावन’ बजट नहीं है. नोमुरा के भारत में प्रमुख प्रभात अवस्थी ने कहा, ‘ऊंचे आय वर्ग पर कर बढ़ोतरी के जरिये आय के पुन:वितरण का कोई बड़ा प्रयास नहीं किया गया है.’

बरुआ ने कहा कि यह ‘साहसी बजट’ है. सरकार ने वृद्धि को समर्थन के लिए राजकोषीय घाटे में वृद्धि को नजरअंदाज किया है. इसके अलावा सरकार ने सॉवरेन रेटिंग में सुधार की चिंता की भी अनदेखी की. अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि चालू वित्त वर्ष में इसके 9.5 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर पहुंचने का अनुमान है.

बंधन बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और शोध प्रमुख सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि बजट में अर्थव्यवस्था में शुरुआती पुनरुद्धार को समर्थन पर जोर दिया गया है, लेकिन कुल राजकोषीय खर्च अनुमान से कहीं आगे बढ़ा है.

बार्कले इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि सरकार ने जो उपाय किए हैं उनसे राजकोषीय घाटे में बड़ी वृद्धि होगी.

वाधवानी फाउंडेशन में वाधवानी ऑपर्चुनिटी के एक्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट सुनील दहिया ने कहा, ‘बजट में अप्रेंटिसशिप ऐक्ट में प्रस्तावित संशोधन में हमारी शिक्षा और प्रशिक्षण व्यवस्था में नई जान फूंकने की संभावना है. इससे हमारे युवाओं के लिए अप्रेंटिसशिप के मौकों को और बेहतर करने की संभावना बनेगी. भारत के कामगारों को कौशल युक्त करने के लिए अप्रेंटिसशिप सर्वश्रेष्ठ मॉडल हो सकता है. यह छात्रों या युवकों को पूरी तरह प्रशिक्षत उद्योग का कार्यकारी बनने में सहायता करता है. ये ऐसे लोग होंगे जिन्हें कार्यस्थल पर काम करने का वास्तविक अनुभव होगा. इससे न सिर्फ युवकों को नौकरी पर रखने की योग्यता बेहतर होगी बल्कि बेरोजगारी भी कम होगी पर नियोक्ता के नजरिए से देखें तो इससे युवकों का कौशल बेहतर होगा, उनकी उत्पादकता बढ़ेगी और वे पेशेवर होंगे.

वाधवानी फाउंडेशन में वाधवानी एडवांटेज के एक्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट समीर साठे कहते हैं, ‘मौजूदा बजट में विनिर्माण क्षेत्र के अंदर आपूर्ति श्रृंखला के वैश्वीकरण पर जोर है और संरचना में निवेश बढ़ने की उम्मीद है. ये दोनों एसएमई के लिए स्वागत योग्य कदम है हालांकि अप्रत्यक्ष रूप से और थोड़ी कमजोरी के साथ क्योंकि एसएमई को इस निवेश का लाभ 2021 के बाद के हिस्से में या फिर 2022 में समझ में आएगा. मैं हेल्थकेयर के क्षेत्र में आए बदलाव से खुश हूं और आशावान भी. भारत, फाउंडेशन और एडवांटेज प्रोग्राम के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है. मुख्य बात इसे लागू करने में है.

इसके अलावा, लघु उद्योग की सीमा का विस्तार करने की कार्रवाई प्रतीकात्मक है और बुनियादी तौर पर गलत नहीं है. इससे सरकारी लाभ और छूट की लाभार्थी कंपनियों की संख्या बढ़ जाएगी. सरकार ने यह सब उन्हें उनकी रक्षा के नजरिए दी है. इससे छोटी कंपनियों की बुनियादी प्रतिस्पर्धिता में कोई बदलाव नहीं आता है बशर्ते वे प्रबंध की क्षमता का विकास करें ताकि जो छूट और सुरक्षा दी गई है उसका लाभ उठा सकें तथा उस मकसद से काम कर सकें. यह खिलाड़ियों का जीतने का कौशल बढ़ाए बगैर खेल के ज्यादा मैदान देने की तरह हैं. मुझे उनके लिए ज्यादा ठोस और क्षमता बनाने वाले बजट बदलावों की उम्मीद थी.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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