नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की पहली डिजिटल मुद्रा की पेशकश के लिए एक बारीक और समन्वित नजरिए की जरूरत है, क्योंकि इसके अर्थव्यवस्था और मौद्रिक नीति के लिए विभिन्न निहितार्थ होंगे।
आरबीआई 2022-23 में ‘ब्लॉकचेन’ तकनीक का उपयोग करके केंद्रीय बैंक समर्थित डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) लाने की योजना बना रहा है।
उन्होंने इक्रियर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘बैंकिंग प्रणाली पर, डेटा गोपनीयता पर, मौद्रिक नीति पर इसके प्रभाव के संदर्भ में कौन सा मॉडल काम करेगा, कौन सा डिजाइन अच्छी तरह से काम करेगा, इस संदर्भ में भारी अनिश्चितताओं को देखते हुए, मुझे लगता है कि लगभग सभी केंद्रीय बैंक इस दिशा में बहुत ही सावधानीपूर्वक और समन्वित तरीके से आगे बढ़ेंगे, और हम कोई अपवाद नहीं हैं।’’
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि जरूरी सबक वैश्विक अनुभवों से नहीं मिलते, बल्कि मूल रूप से अपने अनुभव से आते हैं।
कार्यक्रम में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि सीबीडीसी की शुरुआत के बावजूद क्रिप्टो करेंसी को विनियमित करने की जरूरत कम नहीं होगी, क्योंकि वे वजूद में बनी रहेंगी।
भाषा पाण्डेय रमण
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