ईटानगर, 27 नवंबर (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य के आर्थिक भविष्य को आकार देने में सहकारिता क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
उन्होंने तवांग में सहकारिता को फिर से पटरी पर लाने के लिए हाल ही में समाप्त हुई पांच दिन की क्षमता निर्माण सह कार्यशाला को एक बड़ा बदलाव लाने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल ने न केवल राज्य भर में सहकारिता अधिकारियों के नेतृत्व क्षमता को मजबूत किया है, बल्कि आधुनिक, नवाचार से चलने वाले सहकारिता प्रशासन के लिए भी परिवेश बनाया है।
इस पहल को सहकारिता को आधुनिक बनाने की दिशा में एक कदम बताते हुए, खांडू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “अरुणाचल प्रदेश में सहकारिता आंदोलन के लिए एक मील का पत्थर!”
यह कार्यशाला, गुजरात के त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (टीएसयू) के साथ साझेदारी में आयोजित की गई और राज्य द्वारा शुरू किया गया पहला ऐसा गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम है।
उन्होंने कहा, “यह पहल सहकारिता क्षेत्र के नेतृत्व को मजबूत बनाने और आत्मनिर्भर अरुणाचल प्रदेश के लिए जमीनी स्तर पर आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अच्छा कदम है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि डेयरी, मछली पालन, खेती और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्र में रोजी-रोटी के मौके बढ़ाने के लिए एक मजबूत सहकारिता नेटवर्क बहुत जरूरी है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां समुदायों की भागीदारी और साझेदारीयुक्त आर्थिक मॉडल से लंबे समय तक स्थिरता मिल सकती है।
अधिकारियों ने यहां कहा कि एक सप्ताह तक चलने वाले इस आयोजन से कई सुधारों की नींव रखे जाने की उम्मीद है, जिनका मकसद बंद पड़ी सहकारिता में फिर से जान डालना, उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और क्षेत्र में वित्तीय अनुशासन और जवाबदेही में सुधार करना है।
भाषा राजेश राजेश रमण
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