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सोमवार, 21 अप्रैल, 2025
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कोल इंडिया की अपनी चार पुरानी वॉशरी के मौद्रीकरण की तैयारी

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नयी दिल्ली, दो अक्टूबर (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) अपनी चार पुरानी वॉशरी को पट्टे पर देकर पैसे जुटाने के विकल्प तलाश रही है। इसके अलावा कोयला आपूर्ति के दीर्घकालिक समझौतों के साथ पट्टा अनुबंधों को जोड़ने की योजना भी है।

सीआईएल के इस कदम का उद्देश्य अपनी संपत्तियों का अधिकतम लाभ उठाकर मौद्रिक क्षमता विकसित करना है।

कोल इंडिया ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘हम अपनी चार पुरानी वॉशरी के मौद्रीकरण की संभावनाएं तलाश रहे हैं।’’ खदानों से निकलने वाले कोयले को वॉशरी में ही साफ किया जाता है और उसके बाद उसे बिजली संयंत्रों को भेजा जाता है।

घरेलू कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक योगदान देने वाली यह कंपनी महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) में लखनपुर के इब वैली में एक गैर-कोकिंग कोयला वॉशरी स्थापित करके अपने पोर्टफोलियो में विविधता ला रही है। एमसीएल इसकी अनुषंगी कंपनियों में से एक है।

कोल इंडिया ने कोकिंग कोल लाभकारी क्षमता को बढ़ाने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 में 50 लाख टन वार्षिक क्षमता वाली मधुबंद वॉशरी का संचालन शुरू किया था।

इसके अलावा कंपनी अपनी अनुषंगी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) में तीन नई वॉशरी भी स्थापित कर रही है जिनकी कुल क्षमता 70 लाख टन सालाना है।

इसके अलावा सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) में कुल 1.45 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता वाली पांच कोकिंग कोल वॉशरी भी स्थापित की जा रही हैं।

फिलहाल सीआईएल कुल 12 कोयला वॉशरी का संचालन कर रही है जिनकी संयुक्त संचालन क्षमता 2.93 करोड़ टन प्रति वर्ष है। इनमें से 10 वॉशरी कोकिंग कोल के लिए समर्पित हैं, जबकि शेष दो गैर-कोकिंग कोयले को संभालती हैं।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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