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Thursday, 18 April, 2024
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पूर्ण सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने वाले सैन्यकर्मियों की विकलांगता पेंशन पर अब लगेगा कर

वित्त मंत्रालय का नियम है कि जो सैन्य कर्मी सेवानिवृत्ति होने तक सेवा में बने रहेंगे, उन्हें अपनी विकलांगता पेंशन पर आयकर देना होगा.

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नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने यह फैसला सुनाया है कि सैन्यकर्मियों को दी जाने वाली विकलांगता पेंशन तब तक योग्य होगी. जब तक उन्हें सेवा में अक्षमता के कारण सेवा से बाहर नहीं किया जाता है.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा 24 जून को जारी एक सर्कुलर में यह स्पष्ट किया गया है कि विकलांगता पेंशन के लिए कर में छूट केवल सशस्त्र बलों के कर्मियों को मिलेगी, जो शारीरिक विकलांगता के कारण सेवा से अमान्य कर दिए गए हैं और सेवानिवृत्त कर्मियों को जो पेंशन प्राप्त करते हैं उनको ये सुविधा मिलेगी.

एक आयकर अधिकारी ने दि प्रिंट को स्पष्ट करते हुए बताया, ‘जो लोग थोड़ी विकलांगता के साथ पूर्ण सेवा के बाद सेवानिवृत्त होते हैं, उन्हें आयकर छूट नहीं मिलेगी. यह हमेशा से ही स्थिति रही है, लेकिन ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं जिनमें विकलांगता से पीड़ित लोगों को आयकर छूट का लाभ दिया गया है. यह अधिसूचना स्पष्टीकरण की मांग करती है.’

‘इससे पहले कर नहीं लगाया गया था’

हालांकि, इस आदेश से कर्मचारियों में बहुत नाराज़गी हुई. कई लोग कहते हैं कि यह एक नई चाल है और तर्क देते हैं कि विकलांगता पेंशन पर कभी कोई कर नहीं था.

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एक सेवारत अधिकारी ने दि प्रिंट को बताया कि यह बहुत बेतुका है. राष्ट्र की सेवा करते हुए विकलांगता हुई. कोई भी खुद को अक्षम देखना पसंद नहीं करता है और विकलांगता पेंशन पर लगाया जाने वाला यह टैक्स घाव पर नमक छिड़कने जैसा है.

एक सेवानिवृत्त अधिकारी जो सेवाकर्मियों के लिए कई मुद्दों को देखता है, ने कहा कि विकलांगता पेंशन पर अब तक कर नहीं लगाया गया था और वित्त मंत्रालय अब इसे तूल दे रहा है.

एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा अब उन्होंने इसका अर्थ यह निकाला है कि केवल ‘इनवैलिडेड’ व्यक्तियों को ही छूट दी जाएगी. हालांकि, सैन्य पेंशन नियमों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो सेवा से रिलीज़ होते समय निम्न चिकित्सा श्रेणी में है. तो उसे विकलांगता पेंशन के प्रयोजनों के लिए ‘इनवैलिडेड’ के रूप में माना जाता है.

इसलिए, यहां तक कि उन व्यक्तियों को जो सेवानिवृत्त होने पर निम्न चिकित्सा श्रेणी में रिलीज़ किए जाते हैं, उन्हें नियमानुसार विकलांगता पेंशन के प्रयोजनों के लिए ‘इनवैलिड’ माना जाता है.

मौजूदा योजना

मौजूदा पेंशन योजना के अनुसार कर्नल रैंक के अफसर को पूरी नौकरी करने के बाद सेवानिवृत्त होने पर 1,02,000 पेंशन प्रति माह मिलती है. अगर एक अफसर नौकरी में रहते हुए विकलांग हो जाता है तो मेडिकल बोर्ड के तय किए गए पर्सेंटेज सिस्टम के अनुसार उनको ग्रेड किया जाता है.

एक अधिकारी ने बताया, ‘अगर मान लीजिए कि उनकी विकलांगता को 40 प्रतिशत आंका जाता है तो उन्हें जो विकलांगता पेंशन मिलती है उस पर उसको अतिरिक्त 40 प्रतिशत पेंशन का हिस्सा मिलता है.’

विगत में ऐसे मामले हुए हैं जब अधिकारियों ने योजना का कथित रूप से दुरुपयोग करके सेवानिवृत्ति के समय विकलांगता पेंशन ले ली थी. इसमें सबसे मश्हूर मामला एक पूर्व आर्मी चीफ का है जिसने सेवानिवृत्ति से ठीक पहले कम सुनने के नाम पर विकलांगता सर्टिफिकेट ले लिया था.

इस महीने में कुछ समय पहले, अपने किस्म के एक अनूठे मामले में एक सेवानिवृत्त मेजर जनरल को गलत मेडिकल रिकार्ड बना कर विकलांगता पेंशन लेने का मामला सामने आया था. उनको सर्विस से 10 साल काट कर पेंशन दिए जाने की सजा दी गई थी.

टकराव का कारण

विकलांगता पेंशन सेना और सरकार के बीच टकराव का कारण रही है. 30 सितम्बर 2018 को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर स्लैब आधारित व्यवस्था को सेना की विकलांगता पेंशन पर लागू करने संबंधित पत्र की विपक्ष और सैन्य प्रशासन ने व्यापक आलोचना की थी.

इसके बाद, रक्षा मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को अनोमली कमिटी (विसंगति समिति) को सौंप दिया गया.

लेकिन इस बात को लेकर संशय बना हुआ है कि विकलांगता पेंशन को मापने का क्या पैमाना होगा. फिर ये तय किया गया कि जब तक कमिटी अपनी रिपोर्ट लेकर आती है, मौजूदा पर्सेंटेज पॉइंट व्यवस्था पर ही विकलांगता पेंशन तय की जाएगी.

सैन्यकर्मी इस बात से नाराज़ हैं कि नागरिकों को पेंशन पहले की तरह ही ‘पर्सेंटेज सिस्टम’ पर दी जाएगी, यानि नागरिक कर्मचारियों को विकलांगता पेंशन अपने सैन्य समकक्ष से ज़्यादा मिलेगी.

इस साल जनवरी में रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि सेना की विकलांगता या युद्ध में लगी चोट पर पेंशन को कम से कम 18000 प्रतिमाह होनी चाहिए.

(रेम्या नैयर के इंपुट के साथ.)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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