भोपाल, दो दिसंबर (भाषा) भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के हक में काम करने वाले संगठनों ने दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदा के शिकार हुए लोगों को उचित चिकित्सा देखभाल, मुआवजा और पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए मंगलवार को एक अधिकार प्राप्त आयोग की मांग की तथा मध्यप्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मामले में ‘निष्क्रिय’ रही है।
भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी के मौके पर मंगलवार को यहां विभिन्न संगठनों ने मशाल जुलूस और कैंडल मार्च के जरिए पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की। भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था, जिससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे।
सरकार ने राजधानी भोपाल में तीन दिसंबर को अवकाश घोषित किया है और इस दौरान शहर में स्कूल, कॉलेज, बैंक और सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे जबकि इस अवसर पर भोपाल के सेंट्रल लाइब्रेरी के ‘बरकतुल्लाह भवन’ में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया है, जिसमें गैस राहत मंत्री कुंवर विजय शाह शामिल होंगे। गैस पीड़ितों के हक में काम करने वाले ‘संभावना ट्रस्ट क्लिनिक’ ने इस अवसर पर भोपाल के रैली छोला गणेश मंदिर से गैस माता मूर्ति तक मशाल जुलूस निकाला और एक कार्यक्रम में गैस पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी।
इससे पहले पीड़ित परिवारों ने डाउ केमिकल (यूनियन कार्बाइड के मौजूदा मालिक) का पुतला दहन किया।
‘भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन’ की रचना ढींगरा ने मंत्री विजय शाह पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह ऐसे गैस राहत मंत्री हैं, जो कभी भी उस क्षेत्र में प्रवेश नहीं करते हैं जहां गैस पीड़ित रहते हैं।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में आरोप लगाया, “हर दिन गैस पीड़ित मर रहे हैं और सरकारों की निष्क्रियता के कारण पीड़ित हो रहे हैं।”
रचना ने धर्म सभा के आयोजन के लिए भी सरकार पर निशाना साधा और इसे ‘हास्यास्पद व पाखंडी’ करार दिया।
ढींगरा ने कहा, “साल भर गैस पीड़ितों को मुफ्त और उचित चिकित्सा देखभाल से वंचित किया जा रहा है क्योंकि गैस राहत अस्पतालों में कोई चिकित्सक नहीं है। भोपाल गैस पीड़ितों को रोजगार और पेंशन देने के लिए दिए गए धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। जहरीले कचरे को साफ नहीं किया गया और अपराधी अभी भी मुक्त हैं।”
उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में पीड़ितों की परवाह करती है तो उसे भोपाल गैस त्रासदी पर एक अधिकार प्राप्त आयोग का गठन करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें उचित चिकित्सा देखभाल, मुआवजा और पुनर्वास मिले।
संभावना ट्रस्ट क्लीनिक के एक पदाधिकारी ने बताया कि उनके यहां अभी तक 26000 से अधिक गैस पीड़ितों ने अपना इलाज करवाया है।
भाजपा ने हालांकि इन आरोपों सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि पार्टी की सरकार ने हमेशा भोपाल गैस पीड़ितों से जुड़े मामलों को प्राथमिकता और गंभीरता से लिया है, फिर चाहे वे कानूनी मामलों से जुड़े हों, उपचार से जुड़े हों या किसी और विषय से।
भाषा ब्रजेन्द्र जितेंद्र
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