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Friday, 29 March, 2024
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हौज़ काजी: आपसी सौहार्द में कैसे बदला मंदिर पर पत्थरबाज़ी से उपजा तनाव

20 साल पहले एसएचओ दाता राम ने डाली थी वायरल तस्वीर वाली अमन कमेटी की नींव. 30 जून को इलाक़े के दो लोगों में पार्किंग को लेकर हुए झगड़े के बाद साम्प्रदायिक बने मामले को सुलझाने में कमेटी ने निभाई अहम भूमिका.

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नई दिल्ली: 20 साल पहले पुरानी दिल्ली के लाल कुआं थाने में तैनात एसएचओ दाता राम ने दो समुदायों की एक कमेटी बनाने का उपाय सुझाया था. उन्होंने ऐसा उपाय एक साम्प्रदायिक झगड़े के बाद सुझाया. दाता राम को शायद ही इसका अंदाज़ा रहा होगा कि दो दशक बाद भी ये दो समुदायों के बीच लगी आग़ को बुझाने का काम करेगी.

उनके प्रयास से जन्मी अमन कमेटी और उसी की राह पर चली रेज़िडेंट वेलफेयर असोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने साम्प्रदायिक तनाव के बीच पुरानी दिल्ली में निकली एक शोभा यात्रा के दौरान कुछ ऐसा किया की पूरे देश में प्यार और सौहार्द का संदेश पहुंचा.

कैसे जन्मी अमन कमेटी

अमन कमेटी पुरानी दिल्ली के चावड़ी बाज़ार में रजिस्टर्ड है. कमेटी के 71 साल के हाजी जमशेद अली सिद्दक़ी बताते हैं कि ये 20 साल पुरानी है. एक मामले का ज़िक्र करते हुए वो कहते हैं, ’20 साल पहले एक साम्प्रदायिक घटना हुई. तब दाता राम नाम के एक एसएचओ हुआ करते थे. उन्होंने सुझाया कि दोनों क़ौम के लोगों को मिलाकर एक कमेटी बने और ये ऐसे हालातों को सुलझाने का काम करे.’ हाजी जमशेद दावा करते हैं कि इसके बाद से कोई साम्प्रदायिक घटना नहीं घटी. कुछ हुआ तो उसे तुरंत सुलझा लिया गया.

शोभा यात्रा की एक तस्वीर- साभार: मोहम्मद असगर

शोभा यात्रा के दौरान इनके द्वारा लगाए गए भंडारे की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है. ये पहला मौक़ा नहीं है जब इन संस्थाओं ने ऐसा किया है. आरडब्ल्यूए के अब्दुल बाक़ी और हाजी जमशेद का दावा है कि दोनों धर्मों के लोग एक-दूसरे के त्यौहार में ऐसा करते आए हैं. जमशेद कहते हैं, ‘इस इलाक़े से जब राम बारात निकलती है तो लाल कुआं इलाक़े से भी गुज़रती है. इस दौरान हम मिठाई और फूल से इसका स्वागत करते हैं.’ इन्होंने ये दावा किया ऐसे आयोजनों का ख़र्च ये लोग ख़ुद उठाते हैं.


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किन नेताओं का है साथ

बातचीत के दौरान दोनों ही संस्थाओं ने ज़ोर देकर कहा कि किसी भी नेता का इनसे कोई लेना-देना नहीं है. अब्दुल बाक़ी ने दावा करते हुए कहा, ‘इलाक़े के विधायक इमरान हुसैन ने मामले में सीधा हस्तक्षेप नहीं किया. लेकिन उन्होंने पर्दे के पीछे से हमें लगातार समझाने और मामला संभालने की कोशिश की.’ हालांकि, हाजी जमशेद ने ठीक इसके उल्टी बात बताते हुए कहा कि उनकी कोई ख़ास भूमिका नहीं रही.

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उन्होंने ये भी बताया कि मंदिर कमेटी के ताराचंद कांग्रेस में हैं. मामला सुलझाने में उनकी भी भूमिका रही है. वहीं, भाजपा के विजय गोयल भी शोभा यात्रा का हिस्सा थे. उनकी मौजूदगी ने भी माहौल को हल्का करने का ही काम किया.

आ जा रहे लोग तलाश रहे हैं मंदिर

घटना के बाद इलाक़े में आ रहे लोगों में मंदिर को लेकर कौतूहल है. लेकिन ये लोग जब यहां आते हैं तो पूछते हैं कि मंदिर कहां है? दरअसल, जिस जगह तोड़-फोड़ का आरोप है वो एक संकरी सी गली है जिसका नाम गली दुर्गा मंदिर है. आम तौर जिस रूप में एक मंदिर होता है यहां ऐसा कुछ नहीं है. गली की दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां लगी हैं.

यहां मौजूद एक व्यक्ति ने बताया कि गली के टक्कर पर मौजूद राम-सीता और उसके साथ वाली पार्वती की मूर्तियां टूटी हुई थीं. हालांकि, अब सब सामान्य है और ऐसा लगता ही नहीं कि 30 जून को कोई ऐसी घटना घटी थी जिससे दो धर्मों के लोग बिल्कुल आमने-सामने आ गए. वहां मौजूद पुलिस इंस्पेक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अब सब ठीक है, लेकिन ये नहीं पता कि यहां मौजूद बलों को कब हटाया जाएगा. वहीं इलाके में लगे बैरिकेड्स को हटा दिया गया है और यह इधर-उधर बिखरे पड़े हैं.


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30 जून को इलाक़े के दो लोगों में पार्किंग को लेकर झगड़ा हुआ. झगड़ा मंदिर वाली गली के सामने हुआ. आपसी झगड़े में दोनों अपने-अपने लोगों को बुलाने लगे जिसकी वजह से भीड़ बढ़ी और दोतरफा पत्थरबाज़ी में मामला सांप्रदायिक हो गया. सबसे अहम बात ये है कि चाहे अमन कमेटी वाले हों या आरडब्ल्यूए वाले या इलाक़े के बाक़ी लोग, उनका कहना है कि इस बार एक क़ौम के युवकों से ग़लती हुई है.

अब्दुल बाक़ी कहते हैं, ‘इबादतगाह किसी की भी, उसे नुकसान पहुंचना सबके लिए बहुत दर्दनाक होता है. हमारी मांग है कि जिसने भी ग़लती की है उसे क़ानून के तहत कड़ी से कड़ी सज़ा मिले.’ वहीं, मंदिर वाली गली में मौजूद अनूप की बातों में थोड़ी कड़वाहट ज़रूर नज़र आती है, लेकिन वो कहते हैं कि लोग यहां सालों से मिल-जुल कर रहते आए हैं. उनके साथ बैठे बुज़ुर्ग को तो याद भी नहीं कि ऐसी पिछली घटना कब हुई थी.

सबसे अहम बात ये है कि घटना इतनी बड़ी बन जाने के बाद भी सबको इस बात का यकीन है कि अभी भी सब मिलजुल कर साथ रह सकते हैं.

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