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Thursday, 25 April, 2024
होमदेश‘तबादले तो सरकारी नौकरी का हिस्सा हैं'- IPS अधिकारी डी रूपा जिनका 20 सालों में 40 से ज्यादा बार हो चुका है ट्रांसफर

‘तबादले तो सरकारी नौकरी का हिस्सा हैं’- IPS अधिकारी डी रूपा जिनका 20 सालों में 40 से ज्यादा बार हो चुका है ट्रांसफर

बुधवार तक कर्नाटक में गृह सचिव के रूप में कार्यरत रहीं आईपीएस अधिकारी डी. रूपा का एक बार फिर तबादला कर दिया गया है, इससे पहले उन्होंने सार्वजनिक रूप से एक वरिष्ठ अधिकारी पर हेराफेरी का आरोप लगाया था.

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नई दिल्ली: डी. रूपा ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में अधिकारी होने के नाते अपने 20 साल के कैरियर में अगर कोई बात सीखी है तो यही कि हमेशा अपना बैग पैक करके रखें और कभी भी ट्रांसफर के लिए तैयार रहें.

अपनी दो दशकों की सेवा में मिली यह सीख गुरुवार को उस समय भी उनके काम आई जब उन्हें बतौर प्रबंध निदेशक हस्तशिल्प एम्पोरियम में ट्रांसफर कर दिया गया. इससे पहले पिछले हफ्ते ही उन्होंने एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हेमंत निंबालकर पर करोड़ों रुपये वाली बेंगलुरू सेफ सिटी परियोजना की निविदा प्रक्रिया में हेराफेरी का आरोप लगाया था. रूपा गृह सचिव के रूप में कार्यरत थीं और इस पद पर पहुंचने वाली राज्य की पहली महिला थीं.

गुरुवार को अपने तबादले के कुछ ही घंटों बाद उन्होंने एक ट्वीट कर कहा, ‘तबादले तो सरकारी नौकरी का हिस्सा हैं. मुझे अपने करियर के कुल वर्षों की तुलना में दोगुनी बार स्थानांतरित किया जा चुका है.’

रूपा ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि यद्यपि व्हिसलब्लोअर होना कई बार निराश करने वाला हो सकता है जब अन्य लोग इस पर चुप्पी साधे रहते हैं लेकिन यह अब उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन चुका है.

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टेलीफोन पर बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह मेरे व्यक्तित्व का एक हिस्सा है जो कुछ भी गलत काम बर्दाश्त नहीं होता… यह मेरे स्वभाव में है. कई अधिकारी सिर्फ अपनी मानसिक शांति के लिए ऐसे मुद्दे में हाथ डालने से बचते हैं जिससे कुछ विशिष्ट और ताकतवर लोगों के क्रोध का सामना करना पड़ सकता हो…जहां तक मेरी बात है तो मैं ऐसे अराजकता और टकराव वाले मुद्दों से परहेज नहीं कर सकती जब तक इस जिम्मेदार पद पर हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि नौकरशाह जो कार्य करने की स्थिति में हैं उन्हें यह काम करना होगा. आप सिस्टम को बदलने के लिए किसी बाहरी व्यक्ति से उम्मीद नहीं कर सकते.’


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‘मेरा काम राजनीति या प्रचार प्रेरित नहीं’

रूपा ने तीन साल पहले उस समय राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थीं जब उन्होंने आरोप लगाया था कि तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की सहयोगी वी.के. शशिकला, जो आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा काट रही थीं, ने बेहतर सुविधाएं हासिल करने के लिए कर्नाटक की जेल के अधिकारियों के साथ सौदा किया है. इस पर रूपा के खिलाफ 20 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था.

2011 में कर्नाटक के एक पूर्व मुख्यमंत्री निशाने पर रहे, जब रूपा ने बिना अनुमति उनके काफिले में शामिल रहे तमाम पुलिस वाहनों को हटवा दिया. गडग के एक एमएलसी की तरफ से उनके खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाए जाने के बाद रूपा को कई मौकों पर विधान परिषद स्पीकर के समक्ष पेशी के लिए बुलाया गया. उन्होंने 2006 में उक्त एमएलसी को प्रथम दृष्टया दंगे भड़काने का जिम्मेदार होने के आधार पर गिरफ्तार किया था.

उन्होंने कहा, ‘मेरे कार्य कभी व्यक्तिगत रूप से प्रेरित नहीं होते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि एक दिन मैं राजनीति में शामिल हो जाऊंगी, लेकिन ऐसा कतई नहीं है. यह मेरे लिए खुद चुनी गई और बेशकीमती सेवा है और मैं इसी तरह कोई समझौता किए बिना भारतीय पुलिस सेवा में अधिकारी बनकर रहूंगी.’

इस बात पर कि उनके कार्य सुर्खियों में बने रहने की कोशिश होते हैं, उन्होंने कहा, ‘मेरे आलोचक जो यह मानते हैं कि मैं सुर्खियों में रहने के लिए यह सब करती हूं, उन्हें पता होना चाहिए कि मीडिया की नज़रों में आने के और भी कई तरीके हैं…किसी को इसके लिए विशिष्ट और ताकतवर लोगों से भिड़ने की जरूरत नहीं पड़ती, जिस रास्ते में जोखिम भी बहुत ज्यादा है.

2000 बैच की आईपीएस अधिकारी को 2016 और 2017 में दो बार राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया जा चुका है.


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‘नौकरशाही तबादलों से डरकर काम करती है’

2018 में एक टेड टॉक के दौरान रूपा ने कहा था कि नौकरशाही को तबादलों और राजनेताओं का डर सताता रहता है. ‘जिस दिन नौकरशाही तबादलों के डर, राजनेताओं के डर से बाहर आ जाएगी, हमारे पास दुनिया की सबसे बेहतरीन नौकरशाही होगी.’

उन्होंने कहा कि राजनेता अक्सर अधिकारियों का तबादला पूरी नौकरशाही को सबक सिखाने के लिए कराते हैं लेकिन हर किसी को यह याद रखना चाहिए कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को जनहित में कार्य करने की शक्तियां उसी संविधान से हासिल होती हैं, जिसमें सांसदों और विधायकों की शक्तियां भी निहित हैं.

उनके मुताबिक, ‘मेरे लिए पद कभी भी बहुत महत्वपूर्ण नहीं रहा, न ही मैं किसी भी पद पर बहुत आराम से काम करना चाहती हूं. मेरे बैग हमेशा पैक रहते हैं.’

रूपा ने यह भी कहा कि यह सेवा छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है. उन्होंने वर्ष 2000 में यूपीएससी परीक्षा में 43वीं रैंक हासिल की थी. वह भरतनाट्यम में प्रशिक्षित हैं और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में भी पारंगत हैं. 2019 में उन्होंने एक कन्नड़ फिल्म के लिए प्लेबैक सिंगिंग की थी.

उन्होंने कहा, ‘मेरी प्रेरणा और आदर्श आज भी बरकरार है, मैं कभी उम्मीद नहीं खोती.’

कई मौकों पर भारत में वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ आवाज उठाने वाली रूपा का कहना है, ‘ट्रांसफर से बचने और अपने कम्फर्ट जोन में रहने के लिए अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं यहां रहूंगी और न कोई समझौता करूंगी न ही खुद को बदलूंगी…बात ऐसी है कि मैं उस तरह काम कर सकती हूं जैसे अन्य लोग नहीं कर सकते, ये भगवान की मर्जी हैं. मैं इसे किसी भी तरह बदलना नहीं चाहती.’

उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से एक आम आदमी मुझे खुद की पहचान समझता है और मेरी लड़ाई को अपनी लड़ाई बना लेता है, वह इसका सबूत है कि मैं सही रास्ते पर हूं… यही वह वजह है जो मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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