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Friday, 29 March, 2024
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सरकारी वकील आनंद ग्रोवर ने 2जी मामले से किया किनारा

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सरकार और सीबीआइ की कार्यशैली से नाराजगी के कारण मामले से छुट्टी देने के लिए विशेष सरकारी वकील आनंद ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट से की अपील.

नई दिल्ली: 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जिन आनंद ग्रोवर को विशेष सरकारी वकील (एसपीपी) नियुक्त किया था, वे इस जिम्मेदारी से जल्द से जल्द मुक्ति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से की अपील. वरिष्ठ वकील ग्रोवर इसके लिए अर्जी दी है. इसके लिए उन्होंने कारण यह बताया है कि सरकार तथा सीबीआइ इस मामले को जिस तरह से निबटा रही है उससे वे ‘‘असुविधा’’ और ‘‘अनिश्चितता’’ महसूस करते रहे हैं. जाहिर है, यह नरेंद्र मोदी सरकार को परेशानी में डाल सकता है.

सरकार ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को नया एसपीपी तो नियुक्त किया है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार यह चाहती है या नहीं कि मेहता और ग्रोवर साथ-साथ काम करें. संयोग से सीबीआइ को नया एसपीपी तो मिल गया है लेकिन प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े मामले ग्रोवर के जिम्मे हैं. उम्मीद है कि वे इन मामलों के अलावा ट्रायल कोर्ट में अटके 2जी मामलों को भी छोड़ देंगे.

विशेष सीबीआइ अदालत ने इस बहुचर्चित मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. अब सीबीआइ तथा प्रवर्तन निदेशालय इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की तैयारी कर रहे हैं.

सूत्रों ने ‘दिप्रिंट’ को बताया कि ग्रोवर ने सीबीआइ के आला अधिकारियों को संकेत दे दया है कि वे अब और आगे इस मामले को नहीं देखना चाहेंगे. सूत्रों के मुताबिक, इसकी वजह यह है कि अपील के स्तर पर इस मामले को जिस तरह निबटाया गया उसे ग्रोवर केंद्र सरकार का अनावश्यक और बढ़ता हस्तक्षेप मानते हैं.

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सीबीआइ के सूत्र बताते हैं कि ग्रोवर ने पिछले हफ्ते एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों क बता दिया कि सरकार जिस तरह से नए वकीलों को इस मामले में लाने की कोशिश कर रही है उससे वे चिंतित हैं. सरकार ने 8 फरवरी को मेहता को एसपीपी नियुक्त किया और फिर 20 नवंबर 2014 को जारी की गई अधिसूचना को संशोधित करत हुए 16 फरवरी को दूसरी अधिसूचना जारी कर दी कि जब समय आएगा तब मेहता और ग्रोवर मिलकर 2जी मामले की अपीलों को आगे बढ़ाएंगे. बताया जाता है कि सीबीआइ ने ग्रोवर से कहा कि वे टीम में बने रहेंगे.

लेकिन ग्रोवर से जब प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि ‘‘मुझे सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किया था और अपनी भावी योजनाओं के बारे में केवल उसे ही बताऊंगा.’’ उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2014 में नियुक्त किया था, जब तत्कालीन एसपीपी यू.यू. ललित को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था. विशेष अदालत ने इस कदम की आलोचना की थी, हालांकि कई लोगों को लगा कि इस आलोचना के निशाने पर ग्रोवर से ज्यादा ललित थे, क्योंकि ग्रोवर तो मामले से बाद में जुड़े थे. सीबीआइ की दिल्ली शाखा के प्रमुख गगनदीप गंभीर ने 8 फरवरी को पत्र लिखा

और ट्रायल कोर्ट के आदेशों के खिलाफ अपील दायर करने में देरी पर चिंता जाहिर की. उसी शाम ग्रोवर ने उन्हें जवाब लिखकर आरोप लगाया कि खुद सीबीआइ ही अपीलों को लेकर टालमटोल कर रही है. ‘‘मुझे अफसोस के साथ आपको बताना पड़ता है कि इस मामले में मुझे जानकारियां देने के लिए न तो सीबीआइ का कोई अधिकारी मेरे दफ्तर आया है, न ह किसी ने फैसलों पर कोई टिप्पणी मुझे भेजी है.’’ अपने पत्र में ग्रोवर ने यह भी आपत्ति व्यक्त की कि सीबीआइ का पत्र उन तक पहुंचने से पहले ही ‘लीक’ किया जा चुका था.

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