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Sunday, 20 July, 2025
होमदेश‘दूसरी पत्नी’ की ताकीद पर धारा 498-ए के तहत शिकायत पोषणीय नहीं: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

‘दूसरी पत्नी’ की ताकीद पर धारा 498-ए के तहत शिकायत पोषणीय नहीं: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

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प्रयागराज, तीन अप्रैल (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में व्यवस्था दी है कि ‘दूसरी पत्नी’ की ताकीद पर पति के खिलाफ भादंसं की धारा 498-ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा पत्नी के खिलाफ क्रूरता का अपराध) के तहत शिकायत पोषणीय नहीं है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि हालांकि, ऐसे मामलों में यदि दहेज की मांग की जाती है तो दहेज निषेध अधिनियम, 1961 लागू हो सकता है।

न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने अखिलेश केशरी और अन्य तीन लोगों द्वारा दायर की गयी याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह व्यवस्था दी।

केशरी और उनके परिजनों ने भादंसं की धाराओं 498-ए, 323, 504, 506 और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दर्ज एक मामले के संबंध में आरोप पत्र और अदालत के समन को चुनौती दी थी।

अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि उनके खिलाफ की गई मुकदमे की कार्यवाही गैर कानूनी है। उनका कहना था कि स्वयं को अखिलेश की पत्नी बता रही शिकायतकर्ता अखिलेश की कानूनन वैध पत्नी नहीं है क्योंकि केशरी ने अपनी पहली पत्नी से तलाक नहीं लिया है, इसलिए भादंसं की धारा 498-ए और दहेज निषेध अधिनियम के तहत मुकदमा पोषणीय नहीं है।

अदालत ने शिवचरण लाल वर्मा बनाम मध्य प्रदेश सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को आधार बनाया जिसमें कहा गया था कि यदि विवाह स्वयं ही अमान्य है तो कथित पत्नी की शिकायत पर पति के खिलाफ भादंसं की धारा 498-ए के तहत मुकदमा पोषणीय नहीं है।

यह निर्णय 28 मार्च को दिया गया जो बुधवार को प्रकाश में आया।

भाषा राजेंद्र

राजकुमार

राजकुमार

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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