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Friday, 29 March, 2024
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कश्मीर मसले को यूएन चार्टर और द्विपक्षीय हस्तक्षेप के जरिए सुलझाया जाए : चीन

चीन के विदेश मंत्री वांग यी दो दिवसीय यात्रा पर पाकिस्तान में है. चीन का मानना है कि कश्मीर मसले को द्विपक्षीय मामले के तौर पर सुलझाया जाना चाहिए.

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नई दिल्ली: चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को पाकिस्तान के नेताओं के साथ कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की. जारी किए गए साझा बयान में चीन ने जम्मू-कश्मीर मामले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है. कश्मीर में चीन किसी भी देश के हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ है. उसका मानना है कि हस्तक्षेप करने से क्षेत्र की शांति बिगड़ सकती है. चीन का मानना है कि कश्मीर मसले को यूएन चार्टर, यूएन रेज़ॉल्यूशन और द्विपक्षीय हस्तक्षेप के जरिए सुलझाया जाना चाहिए.

चीन का कहना है कि वो जम्मू-कश्मीर के हालातों पर करीबी नज़र बनाए हुए है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी दो दिवसीय यात्रा पर पाकिस्तान गए हुए हैं. इस दौरान पाकिस्तान ने चीन के अधिकारियों को कश्मीर के बारे में जानकारी दी. पाकिस्तान ने कश्मीर मामले पर अपनी आपत्ति और अपने मत के बारे में भी चीन को जानकारी दी है.

चीन ने साझा बयान में ये भी कहा है कि दोनों देशों के बीच कश्मीर को लेकर जो विवाद है वो उसके इतिहास से जुड़ा है. चीन ने कहा कि यूएन चार्टर के जरिए और यूएन रेज़ाल्यूशन के जरिए इस विवाद को सुलझाया जाना चाहिए. चीन ने किसी भी तरह के एकपक्षीय हस्तक्षेप को गैर-ज़रुरी बताया है और कहा है कि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है.

पाकिस्तान के अनुरोध पर उसके हर मौसम साथी चीन ने यूएनएससी में एक बंद दरवाज़े वाली बैठक बुलाई थी. बैठक में भारत द्वारा 370 हटाए जाने पर चर्चा होनी थी. हालांकि, बैठक में इन दोनों ही देशों को निराशा हाथ लगी क्योंकि ज़्यादातर सदस्य देशों ने पाकिस्तान और चीन के मत को ख़ारिज कर दिया.

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बंद कमरे में हुई इस बैठक के बाद पाकिस्तान और चीन कश्मीर मामले पर अलग-थलग पड़ गए थे. इस बैठक के खत्म होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा था कि भारत ने जो फैसला लिया है वो संवैधानिक दायरे में रहकर लिया है और यह भारत का आंतरिक मामला है.

इस बैठक से पहले भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि भारत सरकार लद्दाख पर चीन के मत को ख़ारिज करती है. चीन ने भारत द्वारा लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने पर आपत्ति जताई थी. जिस पर भारत ने जवाब दिया कि यह भारत का अंदरुनी मामला है.

रवीश कुमार ने अपने बयान में ये भी कहा था कि भारत अपने आंतरिक मामलों में किसी भी देश के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने कहा था कि हम किसी भी देश के आंतरिक मामले में दखल नहीं देते हैं और दूसरों से भी यही अपेक्षा करते हैं कि वो भी ऐसा ही करें.

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