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Saturday, 20 April, 2024
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IAS अधिकारियों ने इंस्टाग्राम पर अपने लिए बनाई जगह, रातों रात बन रहे हैं ‘सेलिब्रिटी’

सिविल सेवक आमतौर पर पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं. लेकिन आईएएस अधिकारियों की एक नई पीढ़ी इंस्टाग्राम पर धूम मचा रही है. कुछ सीनियर्स ने चेतावनी दी कि 'लोकप्रियता पाने की यह चाह' सही नहीं है.

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नई दिल्ली: ऑफिस की एक के बाद एक बोरियत भरी बैठक में मशगूल अधिकारियों के एक वर्ग ने इस ग्लैमरस लाइफ को पहले कभी नहीं देखा होगा. ओवरहेड फ्लोरोसेंट रोशनी की चौंध कितनी ही परेशान करने वाली क्यों न हो, लेकिन वह उससे घबराते नहीं हैं. क्योंकि यही रोशनी तीन शेरों वाले राष्ट्रीय प्रतीक और तिरंगे के सामने बैठे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों के दैनिक जीवन को इतना आकर्षक बना कर पेश कर रहीं हैं.

अगर एक युवा महिला कंप्यूटर के सामने बैठकर ‘मंडे ब्लूज़’ वाले कैप्शन के साथ अपनी पोस्ट साझा करे तो शायद कोई भी उसे स्क्रॉल कर आगे बढ़ जाएगा. लेकिन जब टीना डाबी आईएएस यानी सिविल सेवा परीक्षा की पहली दलित टॉपर ऐसा करे, तो यह तस्वीर 89,000 से ज्यादा लाइक्स में बदल जाती है.

अब जरा नीले रंग के ब्लेज़र में एक और युवा की कागजों के ढेर के सामने खिंची तस्वीर पर नजर घुमाएं. ये हैं आईएएस तुषार सिंगला, जो एक IITian और इंजीनियर भी हैं. एक भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी से उनकी शादी ने उनके प्रोफाइल को और बड़ा कर दिया. उनकी फोटो पर मिली दिल और फायर की ढेरों इमोजी बताती है कि वो युवाओं के बीच कितने लोकप्रिय हैं.

वहीं जब अतहर आमिर खान आईएएस एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए अपने भावी जीवन साथी के प्रति अपना प्यार जताते है तो जाहिर तौर पर यह ‘इंटरनेट में आग लगा देता है.’

सिविल सेवकों ने हमेशा से अपने आपको एक लो प्रोफाइल बनाए रखा है. लेकिन आईएएस अधिकारियों की एक नई पौध ने इंस्टाग्राम पर अपने लिए जगह बना ली है. और ज्यादा प्रयास किए बिना ही वो तेजी से सोशल मीडिया के सितारों में तब्दील हो गए.

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काम पर टीना डाबी – एक ऐसा नजारा जिसने इंस्टा पर 4.68 लाख लाइक्स कमाए | Instagram/dabi_tina

डिजिटल मार्केटिंग इनसाइट्स फर्म सिम्पलिफाई 360 से दिप्रिंट को मिले डेटा से पता चलता है कि इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले आईएएस अधिकारियों ने लोकप्रियता का एक ऐसा स्तर हासिल कर लिया है जहां वह भारत की मशहूर हस्तियों और इनफ्लुएंसर से ज्यादा पीछे नहीं रह गए हैं.

सबसे अधिक फॉलो किए जाने वाले आईएएस अधिकारियों की टॉप टेन लिस्ट में सिविल सेवक और अभिनेता अभिषेक सिंह (जिनके 30 लाख फॉलोअर्स हैं) से लेकर सरजना यादव (जिनके 2.27 लाख फॉलोअर्स है) तक का नाम है. इन टॉप टेन IAS अधिकारियों के अकाउंट को उनकी हर पोस्ट के लिए औसतन लगभग 19,048 लाइक्स मिलते हैं.

हालांकि ये टॉप टेन सेलिब्रिटी अकाउंट (जैसे क्रिकेटर विराट कोहली और अभिनेता कैटरीना कैफ) के बराबरी पर कहीं नहीं ठहरते, जो औसतन प्रति पोस्ट लगभग 671,800 लाइक्स पाते हैं. वैसे देखा जाए तो ये अधिकारी अभी टॉप टेन इंफ्लुएंसर्स (जैसे फोटोग्राफर वरुण आदित्य और कॉमेडियन कैरीमिनाटी) से भी काफी दूर हैं जिनकी हर पोस्ट को 81,965 लाइक मिलते हैं.

लेकिन फिर भी उपलब्धि और प्रभावित करने की उनकी आभा और सत्ता के दुर्लभ गलियारों/ऑफिस से आती उनकी तस्वीरों को देखते हुए, इन आईएएस इंस्टाग्रामर्स की मिलने वाली इतनी तरजीह को कम करके नहीं आंका जा सकता है.

ये सवाल तो आपके मन में भी उठता होगा कि आखिर इन युवा सिविल सेवकों को इंस्टा पर पोस्ट करने से क्या मिलता है, खासकर तब, जब उन्हें सोशल मीडिया पर जगह बनाने या प्रसिद्ध होने की जरूरत नहीं है?

जब दिप्रिंट ने इंस्टाग्राम के 10 टॉप टेन आईएएस अधिकारियों से पूछा कि वे सोशल मीडिया पर सक्रिय क्यों हैं, तो उनके जवाब आम तौर पर लोगों से ‘कनेक्ट’ होने से लेकर सरकारी योजनाओं के बारे में अपडेट साझा करने तक सीमित था.

लेकिन उनके कुछ सीनियर्स इस ट्रेंड से प्रभावित नहीं हैं. उनका मानना है कि आईएएस इंस्टाग्रामर्स की ओर से शेयर किया गया कंटेंट ज्यादा से ज्यादा प्रसिद्धि पाने के लिए है. यह सिविल सेवाओं के ‘सिद्धांतों’ का उल्लंघन करती है और यहां तक कि उनके करियर को नुकसान भी पहुंचा सकती है.

भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और 1971 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. एस.वाई. कुरैशी ने बताया, ‘एक करिश्माई सार्वजनिक अधिकारी होने, जिसे जनता पसंद करती है और अपनी तरफ ध्यान खींचने वाले अधिकारी के बीच एक महीन रेखा होती है’ वह आगे कहते हैं, ‘उदाहरण के लिए एक आईएएस अधिकारी है जो दिन में चार से पांच बार अलग-अलग तरह के कपड़ों में खुद की तस्वीरों को पोस्ट करता है. मुझे शुरू में लगा कि वह एक फैशन मॉडल है.’

‘प्रशंसक होने के कई फायदे’

हालांकि कुछ आईएएस अधिकारियों का कहना है कि वे सोशल मीडिया को सार्वजनिक अधिकारियों के तौर पर अधिक प्रभावी होने के तरीके के रूप में देखते हैं. हां, अभिषेक सिंह के लिए कहानी थोड़ी अलग है. अभिषेक एक अभिनेता भी हैं और वह फिलहाल दिल्ली के उपायुक्त के पद से छुट्टी पर है. हाल ही में वह नेटफ्लिक्स ड्रामा ‘दिल्ली क्राइम’ में दिखाई दिए. 30 लाख फॉलोअर्स के साथ वह इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले IAS अधिकारी हैं.

इसके बावजूद अभिषेक नियमित रूप से पोस्ट नहीं करते और न ही इंस्टाग्राम पर रील बनाते हैं. वास्तव में 2020 से पहले वह सोशल मीडिया पर थे भी नहीं. उन्होंने अपना ऑनलाइन अकाउंट तब शुरू किया जब उनके संगीत वीडियो के निर्माताओं ने महसूस किया कि उन्हें सोशल मीडिया पर अपनी जगह बनानी चाहिए.

2011 बैच के अधिकारी से जब पूछा गया कि आईएएस अधिकारियों के इतने प्रशंसक क्यों हैं, तो उन्होंने कहा, ‘आईएएस योग्यता और कड़ी मेहनत का प्रतीक है.- ये वो मूल्य हैं जिन्हें हमेशा समाज से सम्मान मिलता रहेगा.’

उन्होंने कहा कि उन्हें इतने सारे फॉलोअर्स का होना अच्छा लगता है. लेकिन वह वास्तव में उनकी गिनती नहीं रखते हैं.

ग्लैमर शॉट्स आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह के इंस्टा अकाउंट का मुख्य आधार हैं | इंस्टाग्राम/@abhishek_as_it_is

उन्होंने कहा,‘ यह संभव है कि मेरे फॉलोअर्स बढ़ रहे हो और ऐसा इसलिए है क्योंकि मैंने एक आईएएस अधिकारी होने के अलावा अभिनय के क्षेत्र में भी कदम रखा है. मैं वास्तव में एक शर्मीले स्वभाव वाला व्यक्ति हूं. मैंने अभिनय करने का फैसला किया क्योंकि यह कुछ ऐसा है जो मैं करना चाहता था. हमारे पास सिर्फ एक ही जीवन है, जो मन करता है उसे पूरा कर लेना चाहिए. शायद लोग मुझे इसलिए फोलो करते हैं क्योंकि वे अभिनेता बने एक आईएएस अधिकारी के रूप में मेरे सफर के बारे में जानना चाहते हैं.’

2008-बैच की अधिकारी सोनल गोयल दिल्ली में त्रिपुरा भवन की रेजिडेंट कमिश्नर हैं. उनके इंस्टा पर 7.78 लाख फॉलोअर्स हैं. उनकी पोस्ट में धार्मिक आइकोनोग्राफी की तस्वीरें, साड़ियों में उनके पोज़ और उनके काम व जीवन की छवियों के अलावा प्रेरक उद्धरण भी शामिल हैं.

सोशल मीडिया पर ढेरों प्रशंसकों या फॉलोअर्स होने से ‘कई फायदे’ हैं. इससे कई लोगों से जुड़ने और उन तक जानकारी पहुंचाना शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘एक आईएएस अधिकारी के रूप में मैं लंबे समय से इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया से जुड़ी हूं … लगभग साल 2015-16 से. मुझे लगता है कि इससे आईएएस अधिकारियों को लोगों से जुड़ने और उनके साथ प्रेरणादायक संदेश साझा करने में मदद मिलती है.’ वह आगे कहती हैं, ‘मैं इस मीडिया के जरिए विभिन्न योजनाओं और प्रमुख कार्यक्रमों के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी जनता तक पहुंचाने की कोशिश करती हूं. इसके अलावा आगामी राष्ट्रीय कार्यक्रमों के बारे में जानकारी साझा करना भी मुझे पसंद है.’

सोनल गोयल आईएएस | इंस्टाग्राम/@iassonalgoel

मौजूदा समय में जुनैद अहमद उत्तर प्रदेश में झांसी के मुख्य विकास अधिकारी के पद पर तैनात हैं. 2018 में सिविल सेवा परीक्षा में वह तीसरे स्थान पर आए थे. फिलहाल इंस्टाग्राम पर उनके लगभग 3 लाख फॉलोअर्स हैं.

अहमद ने कहा कि वह अपने काम के बारे में अपडेट साझा करने और बात करने के इच्छुक लोगों के साथ कम्युनिकेशन करने के लिए इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करते हैं.

उनके मुताबिक, सोशल मीडिया खासतौर पर कोविड के दौरान एक वरदान था. उन्होंने कहा, ‘लोग मदद के लिए सीधे मैसेज कर सकते थे और जहां तक संभव हुआ, मैंने मदद करने के लिए कोऑर्डिनेट किया.’

आईएएस अकाउंट के बारे में एक और तथ्य यह है कि उनके फॉलोअर्स काफी तेजी से बढ़ रहे हैं.

मार्च 2020 में टीना डाबी के करीब 5 लाख इंस्टाग्राम फॉलोअर्स थे, लेकिन अब उनकी संख्या 10.6 लाख हैं. सृष्टि देशमुख के नवंबर 2020 में 5.73 लाख इंस्टाग्राम फॉलोअर्स थे और अब उनके फॉलोअर्स की संख्या 10.9 लाख पहुंच चुकी है. टीना की बहन रिया डाबी, जो अभी हाल ही में आईएएस अधिकारी नियुक्त हुई हैं, ने जुलाई के बाद से सिर्फ छह बार पोस्ट किया है, लेकिन फिर भी उनके 19,000 फॉलोअर्स हैं.

किसी भी अकाउंट के फॉलोअर्स की संख्या बढ़ने का कारक, इंस्टाग्राम पर संभावित फॉलोअर्स को उनकी तस्वीरें या वीडियो सुझाना है. प्लेटफॉर्म का ‘एक्सप्लोर’ पेज यूजर को कंटेट को देखने के लिए उकसाता और अगर वे इसे पसंद करते हैं तो वे ‘फॉलो’ बटन दबा देते हैं.

इस रिपोर्टर ने जब एक्सप्लोर फीड में जाकर जुनैद अहमद आईएएस के अकाउंट से कुछ तस्वीर देखीं तो वहां सिर्फ खाने, फैशन और कुत्तों से जुड़ी कुछ पोस्ट थीं. वहां नौकरशाही से जुड़ी तस्वीरें जैसा कुछ नहीं था.

फिर भी इंस्टाग्राम की एल्गोरिदमिक अनियमितताओं की संभावना सिर्फ आईएएस अधिकारियों के फॉलोअर्स के एक हिस्से के लिए है.



उनकी तरफ आकर्षित होने की वजह क्या है?

हर साल सिविल सेवाओं में सफल होने के लिए यूपीएससी परीक्षा के लिए कई लाख उम्मीदवार आवेदन करते हैं. लेकिन सिर्फ कुछ सौ ही इसमें सफल हो पाते हैं.

उदाहरण के लिए, 2021 में लगभग 10 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा देने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. जिसमें से सिर्फ 685 को अंत में सिविल सेवा के लिए चुना गया. यह महज 0.07 फीसदी है.

बेहद मुश्किल माने जाने वाली इस परीक्षा में चुने गए लोगों से बेहद ही ट्रिकी सवाल भी पूछ जाते हैं- जैसे ‘महिलाएं क्या दिखाती हैं और पुरुष क्या छुपाते हैं?’ (जाहिर तौर पर एक पर्स) और साथ ही पीएचडी-स्तर के मुश्किल सवाल भी (मसलन, एक समाजशास्त्र के पेपर में पूछा गया था-‘ दुर्खीम और मर्टन एनोमी की व्याख्या कैसे करते हैं’ की समालोचनात्मक जांच करें.)

आईएएस की तैयारी कर रही 26 साल की स्प्रीहा पांडे ने कहा, ‘यह इसी तरह की परीक्षा है – इसलिए हम अभी भी ब्यूरोक्रेट्स से आकर्षित होते हैं. यह अग्निपरीक्षा के समान कठिन परीक्षा है. बहुत से लोग पीछे रह जाते हैं लेकिन कुछ इसे हासिल कर लेते हैं. इसलिए अब वे भगवान बन गए हैं.’ पांडे आईएएस परीक्षा को पास करने के लिए ‘सुपर-कमिटेड’ है. वह एक कंसलटेंट है. दिन में अपनी जॉब करती है और वहां से आने के बाद परीक्षा की तैयारी.

दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में जुनैद अहमद सहित सफल IAS उम्मीदवारों के प्रचार पोस्टर से ढकी एक दीवार/ रेजिना मिहिन्दुकुलासुरिया- दिप्रिंट

नौकरी से जुड़ी पॉवर, अधिकार और सुरक्षा कहीं न कहीं इसके साथ जुड़ा है.

थिंक टैंक रेड लैंटर्न एनालिटिका के संस्थापक अभिषेक रंजन, यूपीएससी उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट IASKeeda के जरिए फ्री में अपने निबंध प्रश्नों को सही तरीके से लिखने में मदद करते हैं. वह छह बार यूपीएससी परीक्षा में बैठे और असफल रहे. इसलिए वह यह जानने का दावा करते हैं कि उम्मीदवार अपने निबंधों में कहां गलत रहता है.

उनके लिए आईएएस अधिकारियों की प्रशंसा करने का सबसे बड़ा कारण यह है कि वे रियल जॉब सिक्योरिटी हासिल करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह एक ऐसा करियर है जिस पर मंदी का असर नहीं पड़ता और साथ ही सत्ता एवं सम्मान तक पहुंच की आजीवन गारंटी देता है.’ उनके मुताबिक इसी वजह से इंजीनियरिंग तक के छात्र परीक्षा की तैयारी करते हैं. रंजन खुद मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से 2012 में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं.

दिव्या सिंह राठौर एक पूर्व सिविल सेवा उम्मीदवार हैं. उन्होंने दो बार परीक्षा देने का प्रयास किया और अब सरकार में एक नीति सलाहकार के रूप में काम कर रही हैं. उनके अनुसार, अधिकारियों के प्रति आकर्षण आईएएस के ‘सामाजिक प्रतिष्ठा, पॉवर और नौकरी की सुरक्षा से जुड़ा’ होने से आता है.

आम जनता के लिए आईएएस अधिकारी वास्तविक समाज सेवा और उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं.

2016 बैच के एक पूर्व भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी ,इंश्योर आईएएस कोचिंग सेंटर के संस्थापक सचिन जैन ने कहा कि सिविल सेवक ही ‘असली हस्तियां’ हैं.

उन्होंने कहा, ‘अगर आपको पुलिस स्टेशन, अस्पताल या फिर किसी स्कूल में दाखिले के लिए मदद की जरूरत है, तो कोई फिल्म स्टार आपकी मदद नहीं करेगा, यह आईएएस अधिकारी है, जो काम आएंगे.’

जैन पंपरावादी सोच को मानने वालों में से हैं. उनके लिए एक विशिष्ट आईएएस अधिकारी होना उल्लेखनीय है, लेकिन अन्य क्षेत्रों या सरकारी विभागों से ‘लेटरल एंट्री‘ करने वालों को वह इस श्रेणी में नहीं रखते.

उन्होंने कहा, ‘एक आईएएस अधिकारी मंत्रालय से लेकर एक उच्च-स्तरीय कार्यालय तक जमीनी स्तर पर काम करके अनुभव लेता है. अपने पूरे करियर में प्राप्त किए गए उनके इन वर्षों के अनुभव का कोई विकल्प नहीं है.’

यह आश्चर्य की बात नहीं है कि आईएएस अधिकारियों के आसपास इस प्रभामंडल की वजह से लोग उनके जीवन के बारे में जानना चाहते हैं.

उदाहरण के लिए 25 साल की तनुजा चंद्रिका फिलहाल अपने यूपीएससी मुख्य 2022 के परिणाम की प्रतीक्षा कर रही हैं. वह अपना वक्त बिताने के लिए ज्यादातर इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन जब आईएएस अधिकारी के अकाउंट उनके एक्स्प्लोर फीड पर दिखाई दिए, तो उनकी उसमें दिलचस्पी और बढ़ गई. वह आईएएस अधिकारियों, खासतौर पर महिलाओं के ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ के बारे में जानने जानना चाहती हैं.


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‘प्रसिद्धि पाने के लिए सही रास्ता नहीं’

अनुभवी आईएएस अधिकारियों के अनुसार, कुछ आईएएस इंस्टाग्रामर्स जनता के साथ संवाद करने और पर्सनल फेम पाने के बीच की सीमाओं को धुंधला कर रहे हैं.

डॉ एस.वाई. कुरैशी ने कहा, ‘आईएएस अधिकारी जो सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा पोस्ट करते हैं, उन्हें रूढ़िवादी ब्यूरोक्रेट ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं. क्योंकि प्रसिद्धि और व्यक्तिगत मान्यता पाने की कोशिश किए बिना निस्वार्थ रूप से समुदाय की सेवा करना सिविल सेवक की एक बुनियादी विशेषता है.’ वह आगे कहते हैं, ‘जब आप एक लोक सेवक होते हैं तो अपने लिए प्रसिद्धि पाने की कोशिश करना एक अच्छा अभ्यास नहीं है और इसे बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है.’

लेकिन वह मानते हैं कि सोशल मीडिया सिविल सेवकों, विशेष रूप से ‘तकनीक-पसंद’ करने वाली युवा पीढ़ी के लिए एक उपयोगी माध्यम हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘लोक अधिकारियों को एक इफेक्टिव कम्युनिकेटर होना चाहिए. नौकरशाहों को उन लोगों से संबंधित होने और उनसे जुड़ने में सक्षम होना चाहिए, जिनके लिए वे एक उप-मंडल मजिस्ट्रेट के रूप में अपनी पहली पोस्टिंग से सेवा कर रहे हैं…. लोगों के साथ संवाद करने की जरूरत को इस तकनीकी समझ के साथ जोड़ने से, निश्चित रूप से आईएएस अधिकारी इंस्टाग्राम के प्रभावी यूजर बन जाएंगे.’

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का एक और फायदा मंत्रियों और उच्च-स्तरीय अधिकारियों द्वारा ‘ध्यान दिया जाना’ हो सकता है.

1981 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, लेखक अनिल स्वरूप ने भी कहा कि अगर समझदारी से इस्तेमाल किया जाए तो सोशल मीडिया एक प्रभावी उपकरण हो सकता है, लेकिन इसका उल्टा भी असर पड़ सकता है.

स्वरूप ने कहा, ‘एक नौकरशाह के लिए सोशल मीडिया उनके काम और सरकारी कार्यक्रमों एवं योजनाओं के बारे में जानकारी प्रसारित करने का एक शानदार तरीका हो सकता है. लेकिन खुद के प्रचार और व्यक्तिगत लाभ के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने से वे लंबे समय तक अच्छी स्थिति में नहीं रहेंगे और यह उनके करियर पर प्रभाव डाल सकता है.’

‘अपने आप पर चौबीसों घंटे नजर’

दिप्रिंट से बात करने वाले कई आईएएस अधिकारियों ने कहा कि वे सोशल मीडिया के जोखिमों से अवगत हैं.

गोयल ने कहा कि वह ‘सिविल सेवाओं के प्रति समर्पण’ के हिस्से के रूप में सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक प्रासंगिक सवालों के जवाब देना चाहती हैं. लेकिन साथ ही उन्हें एक महिला अधिकारी के रूप में विशेष रूप से सावधान रहना पड़ता है.

उन्होंने कहा, ‘महिला अधिकारी होने के नाते हमें कुछ फॉलोअर्स को अपने से दूर रखना होता है. क्योंकि कुछ लोगों की भाषा या कहने का तरीका सही नहीं होता है … हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि कुछ गुंडे हमारे नाम और प्रतिष्ठा का नुकसान नहीं पहुंचाएं. हमने ऐसे कई मामले देखे हैं जहां कुछ गलत लोगों ने सरकारी अधिकारियों के नाम से फर्जी मीडिया प्रोफाइल बनाई है.’

कुछ आईएएस अधिकारियों ने यह भी बताया कि सोशल मीडिया पर सक्रिय होने से उन्हें अधिक जांच के लिए खोल दिया है.

अहमद ने कहा, ‘यह एक छोटी सी बात भी हो सकती है… ‘हर चीज की जांच की जाती है और आईएएस अधिकारियों से हर समय सही होने की उम्मीद की जाती है.’

सिंह का भी ऐसा ही मानना है. लेकिन वह ऑनलाइन प्रसिद्ध पाने पर मिली अतिरिक्त जिम्मेदारी को स्वीकार करते है. उन्होंने कहा, ‘आपको अपने व्यवहार के लिए चौबीसों घंटे सतर्क रहना होगा. मेरा मानना है कि यह एक अच्छी बात है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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