चंडीगढ़, 12 नवंबर (भाषा) हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने 15 वर्षीय लड़के को बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किए जाने के मामले की जांच पर असंतोष व्यक्त किया है और इसे ‘‘अधूरी, अस्पष्ट’’ जांच बताया तथा कहा कि इसमें ‘‘महत्वपूर्ण विवरणों का अभाव’’ है।
आयोग ने नाबालिग लड़के के अपहरण और शोषण पर पुलिस और प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा है तथा आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है।
बिहार के किशनगंज जिले का रहने वाला यह लड़का इस वर्ष की शुरुआत में हरियाणा के बहादुरगढ़ रेलवे स्टेशन पर अपने साथियों से कथित तौर पर बिछड़ गया था। तभी एक अज्ञात व्यक्ति उसे एक डेयरी फार्म में ले गया, जहां उसे बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया।
चारा काटते समय लड़के को गंभीर चोट लग गई, जिसके बाद उसे काम पर रखने वाले व्यक्ति ने कथित तौर पर उसे बिना किसी सहायता के एक सुनसान स्थान पर छोड़ दिया।
अपनी चोटों के बावजूद लड़का हरियाणा के नूहं पहुंचने में कामयाब रहा, जहां एक शिक्षक ने उसे देखा और उसे स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सहायता प्रदान की गयी तथा पुलिस को सूचित किया गया।
आयोग की पूर्ण पीठ ने 13 अगस्त के अपने आदेश में संबंधित अधिकारियों को मामले की तत्काल और व्यापक जांच करने का निर्देश दिया था।
आदेश का अनुपाल करते हुए नौ अक्टूबर को नूहं के पुलिस अधीक्षक से एक रिपोर्ट प्राप्त हुई जिसमें कहा गया कि 10 अगस्त को किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75 और 79 तथा भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की अन्य संबंधित धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन, जीआरपी बहादुरगढ़ में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
आयोग ने रिपोर्ट को असंतोषजनक पाया।
आयोग ने चार नवंबर के अपने आदेश में कहा, ‘‘हमने उक्त रिपोर्ट का अध्ययन कर लिया है और उससे संतुष्ट नहीं हैं। प्राथमिकी और अन्य संलग्न दस्तावेजों के अवलोकन से ही स्पष्ट है कि नाबालिग पीड़ित को अनिल कुमार नामक व्यक्ति बहादुरगढ़ रेलवे स्टेशन से एक काले रंग की मोटरसाइकिल पर ले गया और लगभग आधे घंटे की यात्रा के बाद वे एक डेयरी फार्म पहुंचे, जहां बच्चे को बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया।’’
आयोग ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस रिपोर्ट में इस जघन्य कृत्य में शामिल कथित अपराधियों की पहचान, उनका पता लगाने या गिरफ्तारी के संबंध में कोई प्रगति नहीं बताई गई है।
उसने कहा, ‘‘अब तक की जांच अधूरी, अस्पष्ट है तथा इसमें घटनास्थल, अपराधियों की पहचान और अपराध को अंजाम देने की परिस्थितियों से संबंधित महत्वपूर्ण विवरणों का अभाव है।’’
जांच अधूरी और अस्पष्ट पाते हुए आयोग ने टेली-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अंबाला छावनी की पुलिस अधीक्षक, रेलवे नितिका गहलौत से संपर्क किया, जिन्होंने न्यायमूर्ति ललित बत्रा को आश्वासन दिया कि वे व्यक्तिगत रूप से मामले की निगरानी करेंगी, घटनास्थल की सटीक स्थिति की पुष्टि करेंगी, अभियुक्तों का पता लगाएंगी और एक व्यापक जांच सुनिश्चित करेंगी।
आयोग ने उन्हें 27 नवंबर को अगली सुनवाई से पहले एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने और संपूर्ण जांच रिकॉर्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया।
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गोला नरेश
नरेश
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