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Saturday, 20 April, 2024
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पश्चिम बंगाल में अंदरूनी कलह से त्रस्त भाजपा को सभी मुद्दों का समाधान होने की उम्मीद

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(प्रदीप्त तापदार)

कोलकाता, 19 जनवरी (भाषा) अंदरूनी कलह से त्रस्त भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई विधानसभा चुनाव में मिली हार से उभरने की कोशिश कर रही है लेकिन वरिष्ठ नेता पार्टी को आगे बढ़ाने में अधिक समय न देकर सोशल मीडिया पर झगड़े में लिप्त हैं। हालांकि पार्टी को उम्मीद है कि जल्द ही सभी समस्याओं को सुलझा लिया जायेगा।

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई में हाल के संगठनात्मक सुधार के बाद मंथन शुरू हो गया था, जिसमें कई वरिष्ठ नेताओं और पार्टी विधायकों ने शीर्ष नेताओं की उनके फैसलों को लेकर खुले तौर पर आलोचना की थी।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हां, कुछ मुद्दे रहे हैं, कुछ लोग खुश नहीं हैं… लेकिन हमें उम्मीद है कि जल्द ही समस्याओं का समाधान हो जाएगा।’’

भाजपा के सूत्रों ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय सहित पांच विधायकों के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद अपने नेताओं को एक साथ रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रही पार्टी को ‘‘आंतरिक विद्रोह’’ का सामना करना पड़ है क्योंकि प्रमुख पदों से हटाए जाने से नाराज नेता अलग-अलग बैठकें आयोजित कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक, मतुआ समुदाय के प्रमुख नेता और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने हाल में पार्टी के व्हाट्सएप समूहों को छोड़ दिया है और राज्य नेतृत्व पर नए लोगों को लाने के लिए उनके समुदाय के नेताओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया है।

अशोक किरतनिया, सुब्रत ठाकुर और मुकुटमणि अधिकारी सहित समुदाय के नौ भाजपा विधायक पिछले एक महीने में भाजपा विधायकों के व्हाट्सएप समूह से बाहर हो गए हैं।

शांतनु ठाकुर ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि भाजपा अब पार्टी में मतुआ समुदाय द्वारा निभाई गई भूमिका को स्वीकार नहीं करती है। जिस तरह से मुट्ठी भर नेताओं द्वारा पार्टी चलाई जा रही है वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। राज्य पदाधिकारियों की समिति बिना किसी उचित परामर्श के बनाई गई थी।’’

हालांकि राज्य नेतृत्व ने नाराजगी पर ध्यान दिया है और आश्वासन दिया है कि मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा।

सूत्रों ने कहा कि नाराज नेताओं का समूह जाहिर तौर पर जिलों में अन्य नाराज सदस्यों के संपर्क में है और उन्हें एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहा है।

मतुआ समुदाय के एक नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम असंतुष्ट नेताओं के लिए एक मंच बनाना चाहते हैं ताकि वे अपने विचारों को व्यक्त कर सकें। हम केंद्रीय नेतृत्व के कदम उठाने का इंतजार करेंगे, उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद केन्द्रीय नेतृत्व कोई कदम उठायेगा।’’

असंतुष्ट नेताओं के एक वर्ग ने दावा किया कि नए प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, जिन्होंने पिछले साल सितंबर में पदभार संभाला था, और राज्य भाजपा महासचिव (संगठन) अमिताभ चक्रवर्ती को पार्टी सदस्यों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।

भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘‘बंगाल में भाजपा को महान ऊंचाइयों पर ले जाने वाले पदाधिकारियों की टीम मुकुल रॉय, बाबुल सुप्रियो और कुछ केन्द्रीय नेताओं के इशारे पर, चुनाव से ठीक छह-सात महीने पहले 2020 में महासचिव (संगठन) सुब्रत चटर्जी को हटाने से परेशान थी। फिर तृणमूल कांग्रेस से लोगों को लाकर टिकट दिया गया और पुराने लोगों की अनदेखी की गई। परिणाम सभी को पता है।’’

इस बीच भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख सुकांत मजूमदार ने कहा कि सभी मुद्दों को चर्चा के माध्यम से सुलझा लिया जाएगा।

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बी. एल. संतोष ने पिछले महीने राज्य का दौरा किया था और सदस्यों की शिकायतों पर गौर करने का वादा किया था।

संपर्क करने पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि स्थिति को जल्द ही नियंत्रण में लाया जाएगा।

घोष ने कहा, ‘‘एक नई टीम ने कार्यभार संभाला है, और हमें उन्हें कुछ समय देने की आवश्यकता है, उन्हें काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए। जाहिर है, अगर किसी को हटा दिया जाता है, तो उसे बुरा लग सकता है, लेकिन उन्हें बाद में समायोजित किया जा सकता है। किसी को भी नहीं छोड़ा जाएगा। हर कोई जिसने पार्टी के लिए लड़ाई लड़ी है, वह एक संपत्ति है।’’

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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