भुवनेश्वर, 25 मई (भाषा) ‘पुरी धरोहर गलियारा’ परियोजना को लेकर ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है और ऐसे में भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय महापात्र ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि इस गड़बड़ी के लिए केंद्रीय एजेंसी जिम्मेदार है।
परियोजना संबंधी पूरे मामले की सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से) जांच की मांग करते हुए महापात्र ने मंगलवार को कहा, ‘‘जब राज्य सरकार ने मठों को गिराया और श्री जगन्नाथ मंदिर जैसे संरक्षित स्मारक से 75 मीटर के भीतर गड्ढों की खुदाई की तो एएसआई बिल्कुल चुप रहा।’’
उन्होंने कहा कि अगर एएसआई ने अपना काम ठीक से किया होता और पहले दिन से ही आपत्ति जताई होती तो यह विवाद नहीं होता।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि एएसआई को परियोजना की जांच के लिए एक तकनीकी या विशेषज्ञ समिति का गठन करना चाहिए था, लेकिन यह अब तक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी एएसआई से सलाह मशविरा करके ऐसी समिति बना सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
महापात्र ने आरोप लगाया कि एएसआई अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में ‘‘पूरी तरह से विफल’’ रहा, जिसके कारण आज एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि उसने अधिकार होने के बावजूद परियोजना को रोकने या उसका निरीक्षण करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
इसके अलावा, महापात्र ने कहा कि जब उड़ीसा उच्च न्यायालय ने इस मामले को उठाया तो एएसआई के वकील चुप रहे। उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद ही एएसआई ने संयुक्त निरीक्षण में भाग लिया। उन्होंने एएसआई पर कार्य के निष्पादन से पहले उक्त जगह पर प्रभाव मूल्यांकन सर्वेक्षण, जमीनी मूल्यांकन सर्वेक्षण और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण नहीं करने का ‘‘आरोप’’ लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी को भी पुरी में जगन्नाथ मंदिर के साथ राजनीति नहीं करनी चाहिए, चाहे वह सत्तारूढ़ पार्टी हो या विपक्ष। अब यह मुद्दा एक राजनीतिक नाटक में बदल गया है।’’
एएसआई के अधिकारियों ने यहां महापात्र के आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की। इस बीच, परियोजना के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार ‘ओडिशा ब्रिज कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन’ (ओबीसीसी) ने मंगलवार को जीपीआर सर्वेक्षण किया।
विभिन्न राजनीतिक दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को पुरी गोवर्धन पीठ शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से मुलाकात की और उनसे हस्तक्षेप करने और मंदिर तथा इसकी सदियों पुरानी संस्कृति और परंपरा को बचाने की मांग की।
भाषा सुरभि सिम्मी
सिम्मी
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