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Wednesday, 9 October, 2024
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माखनलाल के पूर्व वीसी कुठियाला भगोड़ा घोषित, अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज

एक तरफ भोपाल कोर्ट ने पूर्व वीसी कुठियाला को भगोड़ा घोषित कर दिया, वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को ख़ारिज कर दिया है.

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नई दिल्ली: भारत के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों में शामिल माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बृज किशोर कुठियाला को दोहरा झटका लगा है. एक तरफ भोपाल कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया है, वहीं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को ख़ारिज कर दिया है. कुलपति कुठियाला पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं जिसके तहत उनके ख़िलाफ़ अदालत में मामला चल रहा है.

भोपाल कोर्ट के नोटिस मुताबिक लगातार गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर रहे पूर्व वीसी अगर सरेंडर नहीं करते तो उनके ख़िलाफ़ कुर्की-जब्ती की कार्रवाई शुरू की जाएगी. नोटिस में लिखा है, ‘अभियुक्त फरार हो चुका है और गिरफ्तारी के काफी प्रयासों के बाद भी उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका.’

आगे ये भी लिखा है कि आरोपी अगर 31.08.2019 तक पेश नहीं होते तो उनके चल-अचल संपत्ति कुर्क करने की कार्यवाही शुरू हो जाएगी. इकनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) के स्पेशल डीजी केएन तिवारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘बृज किशोर कुठियाला को सीआरपीसी के सेक्सन 82 के तहत भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. अगर वो हाज़िर नहीं होते तो उनके ख़िलाफ़ एक और आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा.’


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आपराधिक मामला कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के मामले में किया जाएगा. मामले में जब बृज किशोर कुठियाला का पक्ष जानने के लिए फोन और मैसेज के जरिए उनसे संपर्क किया गया तो कोई जवाब नहीं मिला. वहीं, विश्वविद्यालय के वर्तमान वीसी दीपक तिवारी ने कहा, ‘मामला ईओडब्ल्यू के पास होने के अलावा न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए इस पर कोई टिप्पणी नहीं बनती.’

क्या है पूरा मामला

2010-2018 के बीच माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर बृज किशोर कुठियाला पर गंभीर आरोप लगे हैं. ये आरोप उस समिति की जांच के बाद सामने आए जिसे वर्तमान कमलनाथ सरकार ने गठित किया था. हालांकि, दिप्रिंट से पहले इस मामले पर हुई बातचीत में कुलपति कुठियाला ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया था और जांच में सहयोग की बात कही थी.

इस समिति ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपनी रिपोर्ट सात मार्च को सौंप दी थी. कमलनाथ सरकार ने कुलपति तिवारी के रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही करने को कहा था. उन्हें इकनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) से इसकी जांच कराने को कहा गया जिसके बाद उन्होंने इसे ईओडब्ल्यू को सौंप दिया गया. मामला जारी है जिसमें भोपाल कोर्ट के नोटिस के मुताबिक कुलपति फरार हैं.

वीसी कुठियाला सहित 20 पर हैं आरोप

विश्वविद्यालय में पिछले सालों के दौरान हुईं नियुक्तियों और अन्य प्रशासनिक फैसलों से जुड़े मामले में की गई शिकायत पर आर्थिक अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने पूर्व कुलपति ब्रजकिशोर कुठियाला सहित 20 लोगों के खिलाफ 14.04.2019 को एक मामला दर्ज किया था.

विश्वविद्यालय की शिकायत के परीक्षण के बाद ईओडब्ल्यू ने कुठियाला सहित 20 लोगों और अन्य को प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए धारा आपराधिक उल्लंघन (409), धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति के वितरण को प्रेरित करना (420), आपराधिक षडयंत्र (120बी) के तहत केस दर्ज किया गया था.


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विश्वविद्यालय की ओर से की गई शिकायत में कहा गया था कि साल 2010 से 2018 के बीच कुठियाला ने कुलपति के पद पर रहते हुए कई नियुक्तियां यूजीसी के मानकों का अवहेलना कर की गईं. इसके साथ ही कुठियाला ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध तरीके से विश्वविद्यालय की राशि को अपने और अपने परिवार पर ख़र्च किया.

ईओडब्ल्यू में की गई शिकायत में कहा गया था कि साल 2003 से साल 2018 के बीच जिन शिक्षकों की नियुक्तियां की गईं, कथित रूप से वो यूजीसी के नियमों के विपरीत थीं और उनके ज़रिए लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. आरोप है कि कुठियाला ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को, श्री श्री रविशंकर के आश्रम, भारतीय शिक्षण मंडल आदि को कार्यक्रमों के लिए पैसे दिये थे.

रिपोर्ट में पूर्व कुलपति कुठियाला पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने कथित रूप से विश्‍वविद्यालय के सारे नियमों को ताक पर रखते हुए राज्‍य के बाहर और एक विशेष राजनैतिक विचारधारा (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- आरएसएस) से जुड़े हुए संस्‍थानों को पैसा बांटा.

उनपर शराब खरीद और पत्नी को लंदन यात्रा पर भेजने के लिए विश्वविद्यालय के पैसे ख़र्च करने के आरोपों के अलावा संघ विचारक और राज्यसभा सांसद को कथित रूप से नियमों को ताक पर रखकर नौकरी देने के आरोप हैं. अब उन्हें 31 अगस्त तक किसी हाल में अदालत में पेश होना है.

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