बेंगलुरु, 11 जुलाई (भाषा) देशभर में कुत्तों के बढ़ते हमलों के बीच वृहद बेंगलुरु महानगरपालिका (बीबीएमपी) ने शहर के सभी आठ जोन में लगभग 4,000 आवारा कुत्तों को ‘चिकन’ और चावल खिलाने का निर्णय लिया है, जिसकी अनुमानित लागत 2.8 लाख रुपये होगी।
बीबीएमपी के निविदा दस्तावेज के अनुसार, नगर निकाय प्रत्येक जोन में लगभग 440 कुत्तों को भोजन देने की योजना बना रहा है। इसमें बताया गया है कि प्रतिदिन सुबह लगभग 11 बजे निर्धारित स्थलों पर लगभग 750 कैलोरी वाला 400 ग्राम चिकन और चावल परोसा जाएगा।
नगर निकाय के इस अभूतपूर्व कदम को लेकर बेंगलुरु वासियों की मिली जुली प्रतिक्रिया है।
सोशल मीडिया पर मीम्स और चुटकुलों की बाढ़ आ गई है, जिनमें से कई ‘‘उत्तर-दक्षिण विभाजन’’, भाषाई राजनीति, खराब सड़कें और यातायात जैसे विषयों पर आधारित हैं।
पिछले छह साल से हर दिन बेंगलुरु विश्वविद्यालय परिसर से सटे भारतीय सांख्यिकी संस्थान के परिसर में आसपास रह रहे बंदरों और कुत्तों को खाना खिलाने वाले 37-वर्षीय प्रभु ने बीबीएमपी के इस कदम पर खुशी जतायी है।
प्रभु ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कुत्तों के आक्रामक व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए यह एक बेहतरीन कदम है और मेरे जैसे लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत है जो अपनी जेब से खर्च करते हैं। मैं कुत्तों के लिए चिकन और चावल पर रोजाना लगभग 2,500 रुपये खर्च करता हूं, और बंदरों तथा गायों को खिलाने के लिए 50 किलो केलों पर 2,000 रुपये और खर्च करता हूं।’’
प्रभु कुत्तों को खाना खिलाने के लिए रात होने का इंतजार करते हैं, क्योंकि पड़ोसी उनके द्वारा आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर आपत्ति जताते हैं और गुस्सा दिखाते हैं।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक उपयोगकर्ता करण गौड़ा ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, ‘‘बेंगलुरु के आवारा कुत्ते उत्तर भारतीयों से ज्यादा प्रोटीन खाते हैं।’’ उनके इस पोस्ट को 15 घंटे में लगभग 1,12,000 बार देखा गया।
एक अन्य उपयोगकर्ता लॉर्ड इम्मी कांट ने तंज कसते हुए लिखा, ‘‘बेंगलुरु में रोज़ाना आवारा कुत्तों को चिकन और चावल खिलाने की खबर देखने के बाद, पूरे भारत के आवारा कुत्ते बेंगलुरु में बसने की योजना बना रहे हैं। उनके लिए भाषा की कोई समस्या नहीं होगी।’’
चेतन सुब्बैया ने एक पिल्ले की तस्वीर पोस्ट की, जो गड्ढे में भरे पानी में लेटा हुआ था। उन्होंने तस्वीर के साथ लिखा, ‘‘बेंगलुरु का कुत्ता चिकन चावल और अंडा चावल से पेट भरने के बाद जकूजी (एक प्रकार का बाथटब) में आराम कर रहा है।’’
बहरहाल, बीबीएमपी के फैसले का हर किसी ने समर्थन नहीं किया। तमिलनाडु के पड़ोसी जिले शिवगंगा से कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
उन्होंने बीबीएमपी की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, ‘‘उन्हें (कुत्तों को) ऐसे आश्रय स्थलों में ले जाना चाहिए, जहां उन्हें खाना मिले, उनका टीकाकरण और नसबंदी की जा सके। उन्हें सड़कों पर घूमते हुए खाना खिलाना स्वास्थ्य और सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा खतरा है।’’
चिदंबरम की टिप्पणियों का विरोध करते हुए, कर्नाटक कांग्रेस महासचिव लावण्या बल्लाल जैन ने लोगों से ‘‘एक कुत्ता गोद लेने’’ की अपील की।
बीबीएमपी के विशेष आयुक्त (स्वास्थ्य एवं स्वच्छता) सुरालकर विकास किशोर ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि आवारा पशुओं को खाना खिलाने को अलग नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका व्यापक उद्देश्य 2030 तक रेबीज का उन्मूलन करना है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम जन्म नियंत्रण और टीकाकरण जैसे अन्य उपाय भी साथ-साथ कर रहे हैं। आवारा पशुओं को खाना खिलाना इस रणनीति का एक हिस्सा है।’’
उन्होंने कहा कि लगातार भोजन देने से अंततः आक्रामक कुत्तों के रूप में चिह्नित कुत्तों तक पहुंच आसान हो जाएगी।
किशोर ने कहा कि बीबीएमपी उन्हें टीकाकरण या जन्म नियंत्रण सर्जरी के लिए आसानी से पकड़ सकती है।
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गोला सुरेश
सुरेश
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