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Wednesday, 24 April, 2024
होमदेशट्रस्ट पर 300 करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोपों पर बेंगलुरु के आर्कबिशप ने कहा, जांच के लिए तैयार 

ट्रस्ट पर 300 करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोपों पर बेंगलुरु के आर्कबिशप ने कहा, जांच के लिए तैयार 

सेवानिवृत्त कर्नाटक एचसी के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति माइकल सल्दान्हा का कहना है कि उन्होंने ईडी को पत्र लिखकर आशा ट्रस्ट की जांच की मांग की है जो पादरी के प्रबंधन से संबंधित है, और भ्रष्टाचार के सबूत होने की बात कही.

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बेंगलुरु: बेंगलुरु के आर्कबिशप, पीटर मचाडो ने इन आरोपों का खंडन किया है जिसमे उन्हें विदेशी दान से जुड़े एक घोटाले का हिस्सा बताया गया है. उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि वह किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हैं.

कई पक्षों की ओर से आरोप लगाया गया है, जिनमें एक सेवानिवृत्त कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और एक स्थानीय ईसाई समूह, ऑल कर्नाटक कैथोलिक ईसाई संघ (AKCCA) शामिल है, जिसका दावा है कि पादरी के प्रबंध अधिकार वाले आशा चैरिटेबल ट्रस्ट ने गलत तरीके से लगभग 300 करोड़ रु. जुटाए थे. समूह ने मामले में संघीय जांच की मांग की है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, आर्कबिशप पीटर मचाडो ने कहा कि आरोप केवल चर्च की छवि को धूमिल करने के लिए लगाए जा रहे हैं. ‘मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं. मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है.’ उन्होंने एक टेलीफोनिक इंटरव्यू में ये बातें कही.

‘यह आरोप निराधार हैं और हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि हमारे प्राप्त करने और खर्च करने के हर पैसे का लेखा-जोखा है. हमारे खातों की ऑडिट की जाती है और हर साल, हम अपना टैक्स रिटर्न भरते हैं.’ मचाडो ने कहा, ‘अगर धोखाधड़ी का कोई रूप होता, तो क्या एजेंसियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया होता.’

आर्कबिशप हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि गबन का एक मामला था लेकिन इसे आशा ट्रस्ट के एक कर्मचारी ने किया था.

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उन्होंने कहा, ‘वित्तीय धोखाधड़ी एक निचले-स्तर के अधिकारी द्वारा किया गया था. यह राशि 90 लाख रुपये की थी. हमने आशा ट्रस्ट के साथ अकाउंटेंट के रूप में काम करने वाले व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज की है. ‘पुलिस मामले की जांच कर रही है. इसके साथ ही हमने भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है.’


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‘कूर्ग बाढ़ के लिए आर्कबिशप ने बच्चों के लिए धन जुटाया’

आर्कबिशप के खिलाफ आरोप लगाने वालों में कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति माइकल सलदान्हा हैं, जिन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पत्र लिखकर इस मामले में पूरी जांच की मांग की है.

सलदान्हा ने दिप्रिंट को बताया कि मैंने जून में ईडी को लिखा था, मुझे उनसे अभी जानना है. यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि धोखाधड़ी ट्रस्ट द्वारा की गई है और हितधारकों ने मामले में सिर्फ एक व्यक्ति को बलि का बकरा बनाया है.’

आरोप है कि आर्कबिशप ने 2004 में स्थापित ट्रस्ट के माध्यम से, कमजोर बच्चों को शिक्षित करने के नाम पर धन एकत्र किया लेकिन आगे इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया.

पूर्व न्यायमूर्ति ने ईडी के अधिकारियों को पत्र लिखकर ट्रस्ट के 2008 से खातों के सभी दस्तावेजों को जब्त करने को कहा है, यह पता लगाने के लिए कि बच्चों को शिक्षित करने के नाम पर एकत्रित धन का इस्तेमाल किस तरह से किया गया है.

2018 में, जस्टिस सलदान्हा (retd) ने मचाडो और मैसूरु बिशप के.ए. विलियम पर कूर्ग राहत कोष के हिस्से के रूप में ‘49.5 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया था. ये धन कथित रूप से लोगों के पुनर्वास के लिए एकत्रित किया गया था, जब कर्नाटक में बाढ़ आई थी, जिसमें कई बेघर हो गए थे.

उस मामले में सल्दान्हा ने आरोप लगाया था कि मचाडो और विलियम ने एक कार्यक्रम में पैसा जमा किया, जहां बॉलीवुड गायक सोनू निगम ने मुफ्त में प्रस्तुति दी. पुलिस को इस शिकायत पर जांच शुरू करनी अभी बाकी है.

सलदान्हा ने पूछा, ‘ट्रस्ट की तरह ही, वह पैसा कहां है? हमें रिकार्ड दिखाइए कि पैसे कहां खर्च किया गया. वे अपने खातों की किताबों और अपने खर्च को दिखाने से क्यों डरते हैं.’

‘आर्कबिशप को बेवजह घसीटा जा रहा’

चर्च के अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि आर्कबिशप का नाम अनावश्यक रूप से विवाद में घसीटा जा रहा है.

आर्कबिशप हाउस के अधिकारी ने कहा, ‘आर्कबिशप का नाम मामले में केवल इसलिए घसीटा जा रहा है ताकि इसे सनसनीखेज बनाया ज सके’. इस तरह के आरोप में शीर्ष व्यक्ति का नाम लगाकर, वे मीडिया में सुर्खियां बंटोरना चाहते हैं.’

चर्च ने कितने तरह के धन लिए, इसके बारे में बताते हुए अधिकारी ने कहा कि इसमें दो प्रकार के योगदान हैं- एक विदेशी दाताओं के हैं, जो विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम की निगरानी मे हैं और भारतीय दाताओं द्वारा योगदान, जो आय कर विभाग कि उनके रिटर्न दाखिल करते समय निगरानी में होता है.

अधिकारी ने कहा, ‘अब तक हमने सिर्फ 16 करोड़ रुपये लिए हैं- विदेशी फंडिंग से 8 करोड़ रुपये और शेष भारत में दानदाताओं से मिले हैं.’ ‘कई मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी का सवाल कहां है? हमें यह देखने में खुशी होगी कि उन्हें 300 करोड़ रुपये का आंकड़ा कहां से मिला है. अगर हम उस तरह का फंड तैयार कर पाते हैं तो हमें खुशी होगी.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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