scorecardresearch
Tuesday, 23 April, 2024
होमदेशअपराधअलवर गैंगरेप 2: 'दिल्ली तक बात पहुंचाओ, हमनै भी न्याय दिलाओ'

अलवर गैंगरेप 2: ‘दिल्ली तक बात पहुंचाओ, हमनै भी न्याय दिलाओ’

पुलिस की टीम जो मामले की जांच कर रही है उसका खर्च भी पीड़िता के परिवार से ही भरवाती है. परिवार वालों का आरोप है कि कम से कम 10-12 बार हमने पुलिस की टीम के लिए गाड़ियां बुक करा चुके हैं.

Text Size:

थानागाजी|अलवर: वो शून्य में देख रही थी…उसके मुंह से आवाज़ भी नहीं निकल रही थी…अलवर गैंग रेप केस की पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए धरना प्रदर्शन में 15 साल की यह बच्ची अपने चाचा और भाई के साथ बैठी है. हज़ारों की संख्या में मर्दों के बीच बैठी ये बच्ची दुपट्टे से मुंह ढंके हुए बोलने वालों को बस एकटक देख रही है.

ये बच्ची अलवर के ही थानागाज़ी इलाके के डुमेड़ा गांव की है. फरवरी 2019 में खबरें छपी थीं कि जब ये बच्ची बाहर पेशाब करने निकली तो गांव के ही मीणा समुदाय के एक लड़के ने उसे दो और लड़कों के साथ से मुंह दबोच कर पास के ही गेहूं के खेत में ले गए और वहां इन तीनों लड़कों ने इस बच्ची के साथ बर्बरता की और सामूहिक बलात्कार किया. 

पीड़िता के बड़े भाई ने दिप्रिंट को बताया, ’13 फरवरी 2019 की रात, बच्ची के साथ यह घटना घटी थी. हम 14 तारीख को थानागाज़ी पुलिस थाने पहुंचे. एसएचओ ने पहले दिन तो हमें बाहर निकाल दिया, एफआईआर दर्ज करना तो दूर की बात है हमसे कुछ पूछना भी जरूरी नहीं समझा. अगले दिन हम फिर गए. उस दिन भी कुछ नहीं लिखा गया. हमने हार नहीं मानीं, हम तीसरे दिन भी थाने पहुंचे. 16 फरवरी को पुलिस ने हमारी एफआईआर दर्ज की गई.’

एफआईआर की कॉपी लिए घूम रहे पीड़िता के चाचा| तस्वीर- ज्योति यादव

वो आगे कहते हैं, ’20-22 फरवरी तक हम पुलिस को सूचना देते रहे कि आरोपी गांव में ही घूम रहे हैं. उन लोगों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए लेकिन पुलिस ने फिर हमारी अनसुनी की. उसके बाद फरवरी आखिर में मेरी बहन का मेडिकल हुआ. मेडिकल भी मनमाने तरीके से किया गया. दो-तीन बार किया गया. हमें हाथ से पर्ची पर लिखकर ही मेडिकल की रिपोर्ट दी गई वो अभी भी घर में ही पड़ी है.हमें कहा गया असली रिपोर्ट जयपुर से आएगी जो अभी तक नहीं आई है.’

वहीं धरना प्रदर्शन के दौरान पीड़िता के साथ आए उसके चाचा बताते हैं, ‘आरोपी हमारे घर से महज सौ मीटर दूरी पर दूसरे मोहल्ले में ही रहते हैं. एक आरोपी का नाम लोकेश मीणा, दूसरा- छोटेलाल मीणा और तीसरा छोटेलाल का भांजा  धौला है जो कालापारा गांव का है. बच्ची का रेप करने की पूरी साजिश छोटेलाल की थी. और वह अभी तक फरार है. पुलिस ने 15-20 मार्च के आसपास लोकेश मीणा को पकड़ा था लेकिन उसके दोनों साथी आरोपी फरार हैं. बीच-बीच में वो गांव में भी आते हैं. हम पुलिस को सूचित करते हैं लेकिन फिर भी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

15 साल की बच्ची के पिता को है न्याय की आस 

खेती के व्यवसाय में लगे पीड़िता के पिता भी नेताओं से न्याय की गुहार लगाने अलवर गैंग रेप पीड़िता के ससुराल पहुंचे हैं. क्योंकि सारे मंत्री और नेता वहीं चक्कर लगा रहे हैं. पीड़िता के पिता ने दिप्रिंट को बताया, ‘एसपी कहते रहे कि टीम को छोड़ रखा है. 15-20 मार्च के बाद से पुलिस हमारे घर कभी नहीं आई है. जबकि आरोपियों के घरवालों का कहना है कि तुम लोग सात जन्म में भी हमारे लड़कों को पकड़वा के दिखा दो.


यह भी पढ़ें: अलवर गैंगरेप: गुर्जर लड़कों पर लगा आरोप, मिली हुई है राजनीतिक शह


बातचीत में पीड़ित के पिता ने चौंकाने वाली बात बताई. पिता ने कहा, ‘पुलिस की टीम जो मामले की जांच कर रही है वो अगर छापली गांव (इस थाना क्षेत्र में आने वाला आखिरी गांव है) से आगे जाती उसका खर्च भी हम लोगों से भी भरवाया गया. कम से कम 10-12 बार हमने पुलिस की टीम के लिए गाड़ियां बुक करा चुके हैं. कभी 1500 का खर्च आया तो कभी 2000 का. गांव से लोगों को भी गाड़ियों में भरकर एसपी को ज्ञापन देने ले जाना पड़ा. हम गरीब परिवार से हैं. हमारा इतना पैसा सिर्फ पुलिस के चक्कर काटने में ही चला गया है. लेकिन अभी तक न तो आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं और नही केस में ही कोई कार्रवाई ही हुई है.’

थानागाजी पुलिसथाना | तस्वीर- ज्योति यादव

डरी-सहमी रहती है पीड़िता

पीड़िता के साथ जबसे बर्बरता हुई है तबसे वो डरी-सहमी रहती है. करीब 20 दिन तक अलवर के सरकारी अस्पताल में भर्ती रहने के बाद जब से घर आई है तबसे ‘डर लागै है'(डर लगता है) ही बोल रही है. अलवर गैंग रेप मामले में जब पत्रकारों ने इस बच्ची को देखा और उसके बारे में जानने की कोशिश की तब उसने सिर्फ यही कहा- ‘डर लागै है.’

पीड़ित की मां उस रात की घटना को याद करते हुए बताती हैं, ‘या आठवीं म्ह पढ़े है. बोर्ड के पेपर आने वाले थे. रात के साढ़े नौ बजे के करीब बाहर पेशाब करने गई. वहीं से इसे उठा लिया. गेंहू के खेतों में ले जाके तीनों ने गलत काम किया. फिर इसे कुंए में लटका कर डराया कि अगर किसी को बताया तो मार देंगे. तेरे पापा को मार देंगे. ये डर गई और बेहोश हो गई. वो इसे घर के पास ही छोड़ के चले गए. जब इसे होश आया तो भीतर आकर सो गई.’

‘सुबह उठी तो तबीयत खराब मिली. मैं सोची कि स्कूल जाने की वजह से कर रही है. मन्नै धमका दिया. फिर या रो पड़ी. सारी कहानी बताई. बोली पापा को मार देंगे. किसी को मत बताना. फिर मैंने इसके पापा और ताऊ को सारी बात बताई.’

पीड़ित परिवार का ये भी कहना है, ‘छोटेलाल के पास एक सिक्सर (बंदूक) है. इसमें छह गोलियां होती हैं. पुलिस को जब हम बुलाते तो महज दस मिनट की दूरी को पुलिस पूरे दो घंटे में तय करती है और गांव आती है. छोटेलाल की बहन का ससुराल बगल में ही है. वो वहां भी रहता है. लेकिन पुलिस नहीं पकड़ती.’


यह भी पढ़ें: अलवर गैंग रेप: पुलिस की कार्रवाई से नाखुश लोग, गहलोत सरकार पर मामला दबाने का लगाया आरोप


तीन भाइयों की इकलौती बहन इस हादसे के बाद अपने घर से भी नहीं निकलती है. भाई एफआईआर की कॉपी लिए धरना प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं. अलवर एसपी ऑफिस से जब दिप्रिंट ने इस मामले की जांच के बारे में तहकीकात की तो कहा गया कि मेल में भेज दी जाएगी. अभी तक एसपी ऑफिस से टेलिफॉनिक कॉनटेक्ट करने के बावजूद इस केस की जानकारी नहीं दी गई है. जब उनकी तरफ से कोई जानकारी मिलेगी तो रिपोर्ट को अपडेट किया जायेगा.

धरना प्रदर्शन में शामिल होने आए लोग| तस्वीर – ज्योति यादव

अलवर में पिछले एक साल में कितने रेप और गैंग रेप की वारदातें हुईं हैं इस मामले में पुलिस से बार-बार जानकारी मांगने पर पुलिस ने दिप्रिंट को जानकारी मुहैया नहीं कराई है. पुलिस का कहना है कि इस वक्त पुलिस अलवर गैंग रेप की जांच में जुटी है.

2016 के बाद नेशनल क्राइम ब्यूरो ने अभी तक आंकड़ें जारी नहीं किए हैं. लेकिन 2016 के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के साथ इस वर्ष हुए अत्याचारों को लेकर कुल 338,000 मामले दर्ज हुए थे. आंकड़ें बताते हैं कि महिलाओं के साथ रेप के मामलों में राजस्थान तीसरे नंबर पर था. अकेले राजस्थान में साल 2015 में 3644 रेप के केस दर्ज हुए थे. जिस हिसाब से पिछले कुछ दिनों में गैंग रेप के मामले निकलकर आए हैं, वो आंकड़ा भयावह है. 

पीड़िता के भाई को डर है कि इसकी जिंदगी बर्बाद हो गई. ये मामला सारे इलाके में फैल गया है. परिवार का कहना है, ‘दिल्ली तक बात पहुंचाओ. हमनै न्याय मिलै(हमें भी न्याय मिले). इसकी जिंदगी ना बर्बाद हो. हम तो गरीब लोग हैं.’

बता दें कि पुलिस भी उन्हीं मामलों पर संजीदगी से काम करती है जो मामले मीडिया में आ जाते हैं या फिर जिनके लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होता है.

share & View comments