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Wednesday, 24 April, 2024
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अंडमान निकोबार के आदिवासियों ने की अमेरिका के ईसाई मिशनरी की हत्या

अंडमान निकोबार द्वीप समूह के विलुप्तप्राय आदिवासियों ने कथित तौर पर धर्मांतरण कराने के म​कसद से आए अमेरिकी को मार डाला.

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नई दिल्ली: अंडमान निकोबार द्वीप समूह के विलुप्तप्राय आदिवासी गुट सेंटीनेलीस आदिवासियों ने एक अमरीकी को उनकी भूमि में घुसने पर मार डाला है. जॉन एलन चाउ अमरीका के अल्बामा के रहने वाले थे और माना जाता है कि वे धर्मांतरण के इरादे से वहां गए थे. वे 27 वर्ष के थे.

वाशिंगटन पोस्ट का कहना है कि वे एक अमरीकी मिशनरी थे जो धर्मांतरण के लिए दुनिया के सबसे अलग थलग बसे आदिवासियों के बीच पहुंचे. उन्होंने उन्हें मछली और दूसरे छोटे तोहफे देने की कोशिश की, जब इन आदिवासियों ने उनको मार डाला और रेत में उनको दफ्न कर दिया.

वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार अंतिम दिनों की डायरी जो कि उनके परिवार ने अखबार को दिखाई है उसमें चाउ ने बताया कि कैसे वो एक छोटी मच्छी पकड़ने वाली नौका में वहा पहुंचे जहां आदिवासी छोटी झोपड़ियों में रहते थे. यहां के आदमी 5.5 फीट के थे और इन्होंने मुंह पर पीला लेप लगा रखा था.

अंडमान पुलिस ने एलन चाउ की मदद के आरोप में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने उसे उस संरक्षित टापू में जाने में मदद की थी.

ईसाइयत फैलाने का जज़्बा

अब चाउ के परिवार ने उनके इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा है कि वो उनके हत्यारों को माफ करते हैं और जिन लोगों ने उनका साथ दिया उन्हें रिहा कर दिया जाए. परिवार ने उन्हें एक प्यारा बेटा, भाई और अंकल बताया और कहा कि वे ईसाई मिशनरी थे. परिवार ने कहा, ‘उन्हें भगवान से प्यार था, जीवन से प्यार था, ज़रूरतमंदों की मदद करना पसंद था और सेंटीनेलीस लोगों के लिए उनके मन में बस प्रेम था.’ ‘हम उन लोगों को माफ करते हैं जो कि उनकी मौत के लिए ज़िम्मेदार हैं.’

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जब चाउ ने उनसे उनकी भाषा में बात करने की कोशिश की और धार्मिक गीत गाए तो वे बहुत गुस्सा हो गए. अपने बारे में चाउ ने लिखा है कि वे एक ईसाई संगठन ‘द वे’ के सदस्य हैं. ये संगठन दुनिया भर में ईसाइयत का प्रचार प्रसार करना चाहता है और बाइबल की शिक्षा भी देता है. चाउ स्वयं को अनवेषक और मेडिकल टेकनीशियन भी बताते थे.

पत्रकार राधिका बोर्डिया ने ट्वीटर पर लिखा- ‘धर्मांतरण के मिशन का पागलपन. जॉन चाउ को वहां जाने का कोई काम नहीं था. हम उसके बिना इजाज़त वहां जाने को शत्रुतापूर्ण क्यों न मानें?’

प्रशांत पटेल उमराव जो स्वयं को एडवोकेट बताते हैं, ने ट्वीट किया– क्रिस्चियन मिशनरी जॉन एलन चाउ को कथित रूप से सेंटीनेलीस आदिवासियों नें अंडमान में मारा. जीसस भी उसे बचा नहीं पाए. विदेश मंत्रालय भी उनकी हत्या का दोषी माना जाए क्योंकि वो धर्मान्तरण के लिए ईसाई मिशनरियों को वीजा दे रही है जो यहां आकर आदिवासियों का धर्मांतरण कर रहे हैं.

वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, इससे पहले भी चाउ चार बार अंडमान गए थे और उनकी गहरी इच्छा थी कि वे सेंटीनेलीस लोगों के बीच जाकर प्रचार करें. इसके लिए उन्होंने स्थानीय लोगों को पैसे दिए और वहां जाने का इंतज़ाम किया.

लुप्तप्राय प्रजातियों को खतरा

सरवाइवल इंटरनेशनल नाम की संस्थान के निदेशक स्टीफन कोरी ने कहा, ‘इस त्रासदी को होने से रोका जाना चाहिए था. भारतीय अधिकारियों को सेंटीनेलीस की सुरक्षा का इंतज़ाम करना चाहिए था ताकि वे आदिवासी भी सुरक्षित रहे और बाहरी लोग भी.’

कोरी का आरोप है कि- ‘इसके विपरीत, कुछ महीने पहले एक रोक जो सेंटिनेलीस आदिवासियों के द्वीप को सुरक्षित रखती थी, हटा ली गई थी. ये रोक इन आदिवासियों को विदेशी पर्यटकों से दूर रखती थी. पर इस रोक के हटाए जाने का गलत संदेश पहुंचा और ये त्रासद घटना घटी.’

कोरी ने कहा कि ‘सेंटीनेलीस बार बार ये स्पष्ट करते रहे हैं कि वे बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रखना चाहते और उनकी इस इच्छा का सम्मान किया जाना चाहिए था. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन में अंडमान के आदिवासियों की संख्या उस समय वैसे ही घट के नगण्य हो गई थी. इसलिए सेंटीनेलीस का बाहरी लोगों से भय समझा जा सकता है.’

आज ये आदिवासी कोई 50 से भी कम ही बचे हैं ऐसे में उनकी भूमि में किसी बाहरी का जाना और भी चिंताजनक है. कोरी का मानना है कि वे बाहरी दुनिया के संपर्क से बिल्कुल कटे हैं और अब चाउ के मृत शरीर का वहां होना उनको संक्रमित भी कर सकता है. कोरी का मानना है कि ‘ये भी संभव है कि पूरी सेंटीनेलीस प्रजाति इन रोगाणुओं के संपर्क में आकर खतरे में पड़ जाए क्योंकि उनके शरीर में इनसे लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता नहीं है. ये पूरे के पूरे समुदाय को खत्म करने की ताकत रखता है.’

‘दुनिया के संपर्क से कटी आदिवासी जातियों की भूमि का संरक्षण अहम है. वे इस धरती के सबसे कमज़ोर लोग हैं. इनकी पूरी आबादी बाहरी लोगों की हिंसा से खतरे में है जो इनकी ज़मीन और संसाधन हथियाते हैं. और तो और, फ्लू और मीसल्स जैसी बीमारियां दे जाते हैं जिनकी उनके पास प्रतिरोधक क्षमता नहीं है.’

कोरी ने कहा कि उन्हें ‘आशा है कि ये भारतीय अधिकारियों के लिए एक खतरे की घंटी के समान है जो कि किसी और त्रासद घटना को रोकने में कारगर होगी और सरकार ऐसे किसी हादसे को होने से रोक पायेगी.’

चाउ ने अपनी डायरी में लिखा था कि इतनी खूबसूरत जगह पर इतनी मौत क्यों. और अपनी मौत के चंद घंटों पहले उन्होंने लिखा था, ‘आशा करता हूं कि ये मेरा आखरी नोट न हो, पर अगर ये है तो भगवान तेरी कीर्ति बनी रहे.’

एएनआई से बात करते हुए अमरीकी वाणिज्य दूतावास के प्रवक्ता ने कहा: ‘हमें अंडमान और निकोबार से आ रही अमरीकी नागरिक पर रिपोर्टों का पता है. अमरीकी नागरिकों का कल्याण और सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.’

‘जब एक अमरीकी नागरिक गायब होता है हम स्थानीय अधिकारियों से उन्हें खोजने की कोशिशों में सहयोग करते हैं. पर निजता के कारण हम और कुछ नहीं कहना चाहते हैं.’

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