फरीदाबाद, 12 नवंबर (भाषा) हरियाणा में फरीदाबाद जिले के मुस्लिम बहुल धौज गांव में अल-फलाह विश्वविद्यालय और उसका 76 एकड़ में फैला परिसर ‘‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’’ और दिल्ली के लाल किले के पास हुए उच्च तीव्रता वाले विस्फोट के सिलसिले में तीन चिकित्सकों की गिरफ्तारी के बाद जांच के घेरे में आ गया है।
पढ़े-लिखे लोगों के ‘‘पाकिस्तान समर्थित सरपरस्तों के इशारे पर काम करते’’ हुए पाए जाने के बाद जांचकर्ता यह पता लगा रहे हैं कि यह विश्वविद्यालय ऐसे व्यक्तियों के लिए आश्रय स्थल कैसे बन गया।
विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अनुसार, इसकी स्थापना हरियाणा विधानसभा द्वारा हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत की गई थी।
इसकी शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। 2013 में अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) से ‘ए’ श्रेणी की मान्यता प्राप्त हुई। 2014 में हरियाणा सरकार ने इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया। अल-फलाह मेडिकल कॉलेज भी इसी विश्वविद्यालय से संबद्ध है।
कई विशेषज्ञों के अनुसार, अपने प्रारंभिक वर्षों में अल-फलाह विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया के एक उत्कृष्ट विकल्प के रूप में सामने आया।
दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से केवल 30 किलोमीटर दूर स्थित इस विश्वविद्यालय का प्रबंधन अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जिसकी स्थापना 1995 में हुई थी।
ट्रस्ट के अध्यक्ष जवाद अहमद सिद्दीकी हैं। उपाध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल्ला कासिमी एम ए और सचिव मोहम्मद वाजिद डीएमई हैं।
अल-फलाह विश्वविद्यालय के वर्तमान रजिस्ट्रार प्रोफेसर (डॉ.) मोहम्मद परवेज हैं। डॉ. भूपिंदर कौर आनंद इसकी कुलपति हैं।
यह विश्वविद्यालय तीन कॉलेजों में शिक्षा प्रदान करता है : अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग।
इस विश्वविद्यालय में 650 बिस्तरों वाला एक अस्पताल भी है, जहां चिकित्सक मुफ़्त में मरीजों का उपचार करते हैं।
पुलिस ने बताया कि उन्होंने मंगलवार को पूरे दिन विश्वविद्यालय में निरीक्षण किया और कई लोगों से पूछताछ की।
सोमवार शाम दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास विस्फोटकों से लदी एक कार में हुए एक उच्च-तीव्रता वाले विस्फोट में 12 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे। पुलवामा का डॉक्टर मोहम्मद उमर नबी अल-फलाह विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर था। ऐसा संदेह है कि विस्फोटकों से लदी हुंदै आई20 वही चला रहा था।
यह विस्फोट विश्वविद्यालय से जुड़े तीन चिकित्सकों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार करने और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त करने के कुछ घंटों बाद हुआ, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े एक ‘‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’’ का खुलासा हुआ, जो कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था।
गिरफ्तार लोगों में शामिल डॉ. मुजम्मिल गनई अल-फलाह विश्वविद्यालय में पढ़ाता था।
भाषा गोला रंजन
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