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Thursday, 25 April, 2024
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नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी, एजीपी ने असम में बीजेपी का साथ छोड़ा

असम गण परिषद (एजीपी) केंद्र सरकार की ओर से लाए जाने वाले नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 के विरोध में एनडीए से बाहर हुई.

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नई दिल्लीःकेंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक-2016 को मंजूरी प्रदान कर दी. इस विधेयक का उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए छह अल्पसंख्यक समूहों के अवैध आव्रजकों को नागरिकता प्रदान करना है. इस प्रस्ताव को लेकर असम में बड़ा बबाल मचा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा इसपर लोकसभा में रिपोर्ट पेश किए जाने के तुरंत बाद विधेयक को मंजूरी प्रदान की. जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट में 31 दिसंबर, 2014 तक असम में प्रवेश कर चुके अल्पसंख्यक आव्रजकों को वैध ठहराने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है, लेकिन सरकार से कहा है कि चूंकि मामला न्यायाधीन है, इसलिए वह सतर्कता से कदम उठाए. रिपोर्ट में सभी कानूनी कदम उठाने को कहा गया है, ताकि बाद में यह परेशानी का सबब न बने।

संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है.

उधर, असम गण परिषद (एजीपी) ने इस मसले को लेकर असम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली सरकार से पल्ला झाड़ लिया है। विधेयक को लेकर असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है।

भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल की अध्यक्षता वाली 30 सदस्यीय संसदीय समिति के करीब आठ सांसदों ने जेपीसी की रिपोर्ट में अपनी अहसहमति जताते हुए नोट संलग्न किया है. लोकसभा में पेश रिपोर्ट में उन्होंने कहा है कि यह विधेयक असम संधि की भावना के विरुद्ध है और इससे प्रदेश के लोगों में विभाजन और असंतोष पैदा होगा.

भाजपा से अलग हुई असम गण परिषद (एजीपी)

उधर, इसके पहले बीजेपी की सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) ने संसद में बिल पेश होते ही नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) से बाहर जाने का फैसला ले लिया. रिपोर्ट्स के अनुसार एजीपी ने केंद्र सरकार की ओर से लाए जाने वाले नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 का विरोध किया. इसको लेकर संसद में अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी हंगामा किया. एजीपी ने पहले ही कहा था कि अगर इस तरह का बिल आया तो वह एनडीए से बाहर हो जाएगी, जिसके बाद उसने एनडीए से बाहर जाने का फैसला लिया है.

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एजीपी के प्रेसीडेंट अतुल बोरा ने रिपोर्टरों को बताया कि कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के नेतृत्व में लगभग 70 संगठनों ने फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया और एजीपी को बीजेपी से अलग होने के लिए दबाव बनाया.

इस विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. असम गण परिषद और उत्तर पूर्व के संगठन इस विधेयक का विरोध कर रहे थे. उनका आरोप है कि यह अधिकार मिलने से असम जैसे राज्यों की जनसंख्यिकी में भारी बदलाव आ सकता है.

संसद में भी इस बिल का काफी विरोध देखा गया. कांग्रेस, टीएमसी, माकपा और समाजवादी पार्टी के सांसदों ने जेपीसी की नागरिकता विधेयक के खिलाफ आवाज उठाई थी. भाजपा की सहयोगी पार्टी शिव सेना ने भी इसका मुखर विरोध किया है.

 

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