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Friday, 19 April, 2024
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42 मौतें, 15 गिरफ्तारियां, 6 सस्पेंशन: ड्राई स्टेट गुजरात में ‘अवैध शराब पर कार्रवाई’ कैसे शराब की त्रासदी का कारण बनी

गुजरात में जहरीली शराब पीने से पिछले कुछ दिनों में 42 लोगों की मौत हो गई. 2009 के बाद से ये पहली इस तरह की घटना है जिसमें नकली शराब की वजह से एक साथ इतने लोगों की जान गई है. उस दौरान 125 से ज्यादा लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था.

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बोटाद/धंधुका: लगभग 20 रुपये में देशी शराब के दो ‘पाउच’ खरीदना और उससे अपनी दिन-भर की थकान मिटाना- शराब बंदी वाले राज्य गुजरात में 28 साल के खेत मजदूर दीपक वाघेला के लिए यह रोजाना का काम था.

ठीक ऐसा ही उन्होंने 23 जुलाई को भी किया. लेकिन वो शाम कुछ अलग थी.

कुछ ही घंटों में रोजिड गांव निवासी वाघेला को उल्टी होने लगी. उन्होंने सीने में तेज दर्द और कुछ भी दिखाई न देने की शिकायत की और अगले दिन रात 10.30 बजे उनकी मौत हो गई.

वह अपने पांच सदस्यों वाले परिवार- दो बेटियां, अपनी 24 साल की पत्नी और माता-पिता के लिए एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति था.

वाघेला उन 42 लोगों में से हैं, जो पिछले कुछ दिनों में अहमदाबाद और भावनगर के आसपास के गांवों में राज्य में जहरीली शराब पीने से मारे गए हैं. इससे पहले 2009 में भी कुछ इसी तरह की घटना में कथित तौर पर 125 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी.

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रोजिड गांव में मरने वाले लोगों की संख्या 11 है. जबकि 30 अन्य लोगों को संदिग्ध शराब के जहर के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

पुलिस सूत्रों और स्थानीय निवासियों के मुताबिक, यह त्रासदी अवैध शराब बनाने पर रोक लगाने के प्रयास के कारण हुई है.

माना जाता है कि अधिकांश शराब बनाने का काम बरवाला जिले के चोकड़ी में किया जाता है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि यहां बनी नकली शराब रोजिड, पोलरपुर, भीमनाथ, नभोई, चंद्रवा और देवगना गांवों में 20 रुपये प्रति पाउच में बिक रही थी.

चोकड़ी के रहने वाले 52 साल के जट्टूभाई डोडिया ने दिप्रिंट को बताया कि पिछले 15 दिनों में बरवाला पुलिस उप निरीक्षक (पीएसआई) बी.जी. वाला ने गांव में शराब के बनने पर रोक लगा दी थी.

जानकारी के मुताबिक चोकड़ी में 20 से 30 परिवार को गुजारा इसी अवैध शराब के बनने पर निर्भर था. शराब उत्पादन पर रोक के बाद वह इसके लिए एक नए तरीके के साथ आए जो ज्यादा अधिक खतरनाक साबित हुआ.

कई दिनों तक गुड़, पानी और खमीर फरमेंटेड कर, गांव के पीछे नर्मदा नहर के पास चलने वाली बैरल में शराब बनाने के बजाय, इन लोगों ने पानी में मिथाइल अल्कोहल या मेथनॉल मिलाकर बेचना शुरू कर दिया.

शराब इथेनॉल से बनाई जाती है. मेथनॉल इसी के जैसा एक केमिकल है. लेकिन यह इंसानों के लिए ‘काफी खतरनाक’ माना जाता है. शुद्ध मेथनॉल की कम से कम 10 मिलीलीटर की खपत से हमेशा के लिए आंखों की रोशनी जा सकती है. इसी तरह का घातक प्रभाव 30 मिलीलीटर मिलावटी मेथनॉल पीने से हो सकता है. यह उस पर निर्भर करता है कि मेथनॉल में कितनी फीसदी की मिलावट की गई है.

इसके बावजूद यह कथित तौर पर उन शराब तस्करों के लिए एक प्रमुख घटक है जो जल्द से जल्द शराब बनाकर बेचना चाहते हैं.

चोकड़ी में ही रहने वाले वाजेसंग बराड़ ने बताया कि शराब बनाने वालों को इस रसायन के बारे में कोई जानकारी या अनुभव नहीं था. उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार था कि उन्होंने पानी में इस रसायन को मिलाया और लोगों को उसे बेच दिया. उन्होंने गलत अनुपात में इसका मिश्रण किया. जिस कारण इतने सारे लोगों की मौत हो गई. ‘

गुजरात सरकार की एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) गांधीनगर ने इस शराब में 98.71-98.99 प्रतिशत मेथनॉल की उपस्थिति पाई.

देखा जाए तो 100 किग्रा वजन वाले व्यक्ति के लिए, 50 प्रतिशत मेथनॉल और 50 प्रतिशत पानी वाले घोल का सिर्फ 30 मिलीलीटर पीना ही काफी जहरीला हो सकता है.

गुजरात पुलिस के एक सूत्र ने कहा, ‘इस मामले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जिसमें मुख्य संदिग्ध जयेश कावड़िया भी शामिल हैं.’

अहमदाबाद से 130 किलोमीटर दूर बरवाला रहने वाले एक सूत्र ने बताया ‘हमारी जांच के अनुसार, एक रासायनिक पैकेजिंग कंपनी (कावड़िया) में काम करने वाले एक आरोपी ने कथित तौर पर 600 लीटर मेथनॉल रसायन चुराया और उसे देशी शराब के रूप में बेच दिया.’

बोटाद जिले के बरवाला और रानपुर इलाकों में सोमवार को दर्ज एफआईआर में आईपीसी की धारा 302 (हत्या के लिए सजा), 328 (विष से क्षति पहुंचाना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के साथ-साथ गुजरात शराबबंदी कानून भी शामिल है.

इस मामले के चलते, गुजरात के गृह विभाग ने गुरुवार को बोटाद और अहमदाबाद जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) का तबादला कर दिया और ड्यूटी में कथित लापरवाही के लिए दो उपाधीक्षकों सहित छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. बी.एस वाला भी इन निलंबित छह पुलिसकर्मियों में शामिल हैं.

मामले को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच और गुजरात एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) को सौंपा गया है.

इस सप्ताह की शुरुआत में, गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने भी घटना की जांच करने और तीन दिनों में एक रिपोर्ट सौंपने के लिए पुलिस महानिरीक्षक सुभाष त्रिवेदी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति की घोषणा की.

दिप्रिंट ने फोन से त्रिवेदी से इस संदर्भ में बात करने की कोशिश की थी. लेकिन उन्होंने कहा कि जांच जारी है. उन्होंने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

दिप्रिंट ने बीएस वाला से भी फोन से संपर्क करने की कोशिश की थी. लेकिन गुरुवार और शुक्रवार को दिन भर उनका फोन स्विच ऑफ रहा. बरवाला पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने भी इस मुद्दे पर बोलने से इनकार कर दिया.


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एक खुला रहस्य

जिला प्रशासन के 33 साल के सफाई कर्मी वाशरंभाई परमार रोजाना इन शराब के पाउच का सेवन किया करते थे. रविवार को उनकी भी जहरीली शराब से मौत हो गई. दिप्रिंट से बात करते हुए, उनकी बहन ने उनकी मौत के लिए उनके काम को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा, ‘वह गटर और सीवर साफ करते थे. भला बिना शराब पिए क्या कोई ऐसी गंदगी में काम कर पाएगा?’

वाघेला की पत्नी मनीषा ने बताया, ‘ यहां लोग पूरे दिन खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं. कभी-कभी वे शरीर को आराम देने के लिए पीते थे. अगर शराब इतनी आसानी से मिल जाती है, तो उन्हें पीने से कौन रोकेगा?’

Deepak Vaghela's widow Manisha | Soniya Agrawal | ThePrint
दीपक वाघेला की विधवा पत्नी मनीषा । सोनिया अग्रवाल । दिप्रिंट

ग्रामीणों का दावा है कि चोकड़ी में पिछले 30 साल से शराब बनाने और बेचने का काम चल रहा है.

माना जाता है कि बुटलेगर्स और पुलिस के बीच एक कथित सांठगांठ ने व्यापार को वर्षों से फलने-फूलने दिया. लेकिन वाला ने अपनी नियुक्ति के बाद से इन गतिविधियों पर नकेल कस दी थी.

इसलिए चोकड़ी के कुछ निवासी वाला को निलंबित किए जाने की खबर से परेशान हैं. क्योंकि वह सक्रिय रूप से शराब के कारोबार को खत्म करने के लिए कदम उठा रहे थे.

डोडिया ने कहा, ‘मैंने अपने जीवन में पहली बार पुलिस की कार्रवाई के बाद शराब के बैरल को बर्बाद होते और बंद होते देखा है.

उन्होंने बताया, ‘शराब बनने वाली जगहों की पड़ताल के लिए गार्ड को दिन में दो बार गश्त के लिए भेजा जाता था. आमतौर पर, स्थानीय पुलिस इन लोगों से हफ्ता (नियमित रिश्वत) मांगती और उनकी गतिविधियों को चलने देती.’

डोडिया बी.एस. वाला को फिर से अपने इलाके में काम पर वापस चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘हम पुलिस अधिकारी को वापस लाने की प्रक्रिया जानना चाहते हैं. अगर उन पर मुकदमा चलाया जाएगा तो हम उनके समर्थन में आगे आएंगे. वह कुछ ऐसा कर रहे थे जो हमारे लिए किसी अन्य पुलिस अधिकारी ने कभी नहीं किया.

50 साल के एक अन्य ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘हर कोई सोचता है कि हम अवैध शराब बनाने वालों से डरते हैं. हम उनसे नहीं डरते. वाला साहब के कामों ने हमें अपनी बात कहने की हिम्मत दी है.’


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जहरीली शराब के नतीजे

जहरीली शराब पीने से बीमार हुए 150 से ज्यादा मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराया जा चुका है. फिलहाल अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में 40 से ज्यादा लोगों का इलाज चल रहा है.

अन्य 105 को भावनगर के सर तख्तसिंहजी अस्पताल में पिछले दो दिनों के भीतर भर्ती कराया गया. अस्पताल में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 45 लोगों ने स्वेच्छा से छुट्टी ले ली है. अस्पताल में ऐसे मरीजों को लिए एक खास वार्ड बनाया गया है.

गुरुवार को मरने वालों की संख्या 42 तक पहुंचने के साथ ही दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी संभावना है कि ऐसे और भी मरीज हैं जो इलाज के लिए निजी अस्पतालों में गए हों.

सर तख्तसिंहजी अस्पताल के एक रेजिडेंट डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ‘रविवार को लगभग 10-15 लोग इलाज के लिए आए थे. लेकिन सोमवार तक आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई. 50 से ज्यादा लोग सीने में दर्द और उल्टी की शिकायत के बाद अस्पताल पहुंचे थे. हमने जिला अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टरों की एक टीम भी भेजी. लेकिन उपकरणों की कमी के कारण इन लोगों को भावनगर लाना पड़ा.

अस्पताल की बिल्डिंग के बाहर पुलिस तैनात हैं. सिर्फ मरीजों के रिश्तेदारों को ही अंदर जाने की अनुमति है.

अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने दिप्रिंट को बताया कि वहां भर्ती 40 लोगों में से सभी की हालत स्थिर है. उन्होंने कहा, ‘इनमें से अधिकांश मरीजों को कैमिकल पॉइजनिंग के समय दिए जाने वाला जेनेरिक ट्रीटमेंट दिया जा रहा है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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