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Thursday, 25 April, 2024
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2020 दिल्ली दंगा: महिलाओं को सीएए प्रदर्शन में आगे रखने संबंधी पुलिस के दावे पर वकील को आपत्ति

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नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) वर्ष 2020 दिल्ली दंगों से संबंधित यूएपीए मामले में गिरफ्तार ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ के संस्थापक खालिद सैफी के वकील ने सोमवार को दिल्ली पुलिस के इस दावे पर आपत्ति जताई कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं को आगे रखा गया था।

सैफी के वकील ने कहा कि यह एक ‘‘बहुत ही संदेहास्पद टिप्पणी है’’ जैसे कि वे ‘‘ऐसी महिलाएं थीं जिनके पास सोचने समझने की शक्ति नहीं’’ थी, जो नहीं जानती थीं कि वे किस लिए लड़ रही हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा कि यह टिप्पणी मामले में दायर पूरे आरोपपत्र में सामने आई है कि ‘‘औरतों को आगे बिठा दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें लगातार कहा जा रहा है कि महिलाओं को सामने रखा गया, मुझे इस पर कड़ी आपत्ति है। मानो इस देश में महिलाओं के पास विरोध करने के लिए कोई अधिकार नहीं है। मानो महिलाओं को चाहिए कि पुरुष कहें कि वे सामने जाएं और पुलिस कार्रवाई या सरकार की कार्रवाई का विरोध करें। यह एक बहुत ही संदेहास्पद टिप्पणी है जो पूरे आरोपपत्र में दिखाई देती है कि ‘औरतों को आगे बिठा दिया, जैसे महिलाओं के पास सोचने समझने की शक्ति नहीं थी, जो नहीं जानती कि वे किस लिए लड़ रही हैं।’’

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ 42 वर्षीय खालिद सैफी की जमानत याचिका पर दलीलें सुन रही थी, जिसे 21 मार्च, 2020 को दंगों के पीछे की साजिश का हिस्सा होने के आरोप में आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था।

वकील ने कहा कि सैफी खुरेजी खास में विरोध स्थल का प्रबंधन कर रहे थे, लेकिन किसी भी गैरकानूनी गतिविधि का हिस्सा नहीं थे। उन्होंने कहा कि खुरेजी खास विरोध स्थल किसी सांप्रदायिक हिंसा का स्थान नहीं था, बल्कि जहां पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई थी। उन्होंने कहा कि इसलिए सह आरोपी एवं पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां को इस मामले में जमानत मिल गई।

वकील ने दलील दी कि अगर यह एक ऐसा मामला होता जहां यूएपीए लागू नहीं किया गया होता, तो ज्यादातर अदालतें सबूतों को खारिज कर देतीं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जैसे ही यूएपीए लगाया जाता है, अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि यह एक गंभीर साजिश थी।’’

उन्होंने कहा कि दंगों के पीछे एक साजिश का दावा करने के लिए पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए गए व्हाट्सऐप संदेशों को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता है, और यदि ऐसा किया जाता है, तो अदालत को उन संदेशों पर गौर करना चाहिए जिससे यह पता चलता है कि सैफी को हिरासत में प्रताड़ित किया गया था। अदालत मंगलवार को भी दलीलों पर सुनवाई जारी रखेगी।

भाषा अमित माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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