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सोमवार, 28 अप्रैल, 2025
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‘आत्मनिर्भरता’ राष्ट्र की रक्षा की कीमत पर नहीं हो सकती : वायुसेना उप प्रमुख

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नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल ए.पी.सिंह ने शुक्रवार को कहा कि ‘आत्मनिर्भरता’ “केवल एक शब्द नहीं है”, यह कुछ ऐसा है जिसमें सभी हितधारकों को अपना दिल और आत्मा लगाने की जरूरत है, यहां तक ​​कि उन्होंने रेखांकित किया कि यह “आत्मनिर्भरता” राष्ट्र की रक्षा की कीमत पर नहीं हो सकती है।

यहां सीएपीएस संगोष्ठी में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि “राष्ट्र की सुरक्षा सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है।”

वायुसेना उप प्रमुख ने कहा कि राष्ट्र की रक्षा करना “हर किसी का काम है, न कि केवल वर्दीधारी व्यक्तियों का”।

रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि डीआरडीओ, निजी उद्योग और अन्य संस्थाएं रडार, संचार और अन्य अनेक क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बढ़ा सकती हैं।

उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भरता केवल एक शब्द नहीं है’, यह कुछ ऐसा है जिसमें सभी हितधारकों को अपना दिल और आत्मा लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रौद्योगिकियों और हथियारों का विकास और निर्माण भारत में हो, ‘‘ताकि हमें किसी बाहरी एजेंसी पर निर्भर न रहना पड़े जो समय आने पर अपना साथी बदल सकती है या हमारे देश में हथियारों का प्रवाह रोक सकती है’’।

उन्होंने जोर देकर कहा कि आज की भूराजनीतिक स्थिति में ‘‘सबसे बड़ा सबक जो हमने सीखा है वह है आत्मनिर्भरता।’’

वायुसेना उप प्रमुख ने कहा कि कोई भी स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं है बल्कि स्थायी केवल हित है।

अपने संबोधन में उन्होंने अधिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की वकालत की, लेकिन एक शर्त के साथ।

उन्होंने कहा, “हम आत्मनिर्भरता की राह पर चल रहे हैं। ज्यादातर अनुबंध भारतीय भागीदारों, भारतीय उद्योग के साथ हैं… लेकिन, यह आत्मनिर्भरता देश की सुरक्षा की कीमत पर नहीं हो सकती। देश की सुरक्षा सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है।”

एयर मार्शल ने कहा, “और, अगर भारतीय वायुसेना और भारतीय सेनाओं को इस आत्मनिर्भरता पर आगे बढ़ना है, तो यह तभी संभव है जब डीआरडीओ से लेकर रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम और निजी उद्योग तक, हर कोई हमारा हाथ थामे और हमें उस रास्ते पर ले जाए। और, हमें उस रास्ते से भटकने न दें। क्योंकि, जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है, तो उस रास्ते से भटकने की मजबूरी होगी, यदि हमें वे चीजें नहीं मिलतीं जिनकी हमें आवश्यकता है, या आज की दुनिया में जीवित रहने के लिए जिस प्रकार की प्रणाली या हथियार की आवश्यकता है, वह हमें नहीं मिले।”

उन्होंने आग्रह किया कि “हम सभी को एकजुट होकर” तथा “बहुत अधिक तेज गति से” काम करना होगा।

वायुसेना उप प्रमुख ने कहा कि “जिस दर से हमें इस समय उपकरण मिल रहे हैं, वह बहुत धीमी है” और इसे बढ़ाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, “जब हम अपने प्रतिद्वंद्वियों को देखते हैं, जिस दर से वे बढ़ रहे हैं, जिस दर से वे इन प्रौद्योगिकियों को अपना रहे हैं और फिर भी उनकी संख्या में वृद्धि हो रही है… तो हमें उनसे आगे निकलने के लिए एक लंबी दूरी तय करनी है और यह अंतराल और भी बढ़ता जा रहा है। यह एक ऐसी चीज है जिस पर हमें समग्र रूप से विचार करने की जरूरत है और हमें इस अंतर का समाधान खोजने की जरूरत है जो बढ़ रहा है।”

थिंक टैंक द्वारा यहां सुब्रतो पार्क में वायु एवं मिसाइल रक्षा पर आयोजित संगोष्ठी प्रदर्शनी के दौरान कई वक्ताओं ने विश्व में चल रहे संघर्षों से सीखे गए विभिन्न सबक के बारे में भी चर्चा की।

वायुसेना उप प्रमुख ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने नभ, थल, जल, साइबर, सूचना एवं अंतरिक्ष में विभिन्न बलों के बीच एकीकरण को प्रदर्शित किया है और साबित किया है कि कैसे ‘‘एकजुट’’ होकर लक्ष्य को हासिल करते हैं।

एयर मार्शल ने कहा, ‘‘एक चीज तय है, अगर हमें कुछ करना है तो हमें मुकाबले में डटे रहना होगा, हमें आधुनिकीकरण करना होगा, हमें बढ़ना होगा, लागातार नवोन्मेष करना होगा और चुनौतियों से आगे रहना होगा। अन्यथा हम पिछड़ जाएंगे और बस पीछे पीछे चलेंगे।’’

उन्होंने कहा कि लोगों के सामान्य जीवन में भी तकनीकी उन्नति की तेज गति देखी जा रही है, उसने ‘‘हमारे हथियारों, रक्षा प्रणालियों में भी अपनी जगह बना ली है।’’

एयर मार्शल ने कहा कि जो कुछ साल पहले अकल्पनीय था वह आज एक हकीकत है। रक्षा बलों, युद्ध पर पड़ने वाले प्रभाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ‘‘हमें अपने विचारों के साथ-साथ कार्यों में भी चुस्त और लचीला होना चाहिए।’’

वायुसेना उप प्रमुख ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष, बहु-क्षेत्रीय युद्ध की चर्चा की जा रही है, ‘‘आज जो चल रहा है और भविष्य में हमारे सामने आने वाले संघर्षों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस संघर्ष ने नभ, थल, समुद्र, साइबर, सूचना, अंतरिक्ष के क्षेत्रों में कई बलों के एकीकरण को भी प्रदर्शित किया है और यह भी दिखाया है कि वे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किस प्रकार एकजुट हैं। मुझे यकीन है कि यहां उपस्थित सभी लोग, जिनमें अन्य सेवाओं के मेरे मित्र भी शामिल हैं, इस बात से सहमत होंगे कि वायु क्षेत्र स्पष्ट रूप से एक विलक्षण ‘ट्रांस-डोमेन लिंक’ और सभी क्षेत्रों में एक मजबूत ताकत के रूप में उभरा है। यह सभी क्षेत्रों में बल के अनुप्रयोग का एक मजबूत तरीका है। यह न केवल सहूलियत देता है बल्कि एक की ताकत को भी कई गुना तक बढ़ा देता है।’’

वायुसेना उप प्रमुख ने इजराइल और हमास युद्ध का उल्लेख करते हुए हवाई क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि इजराइल-हमास संघर्ष के दौरान शहरी युद्ध संरचना में भी वायु क्षेत्र का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया। फिर चाहे लड़ाकू विमानों का उपयोग करना हो जिनमें अति आधुनिक हथियार हों या दुर्जेय आयरन डोम (वायु रक्षा) प्रणाली हो, या हमास द्वारा बहुत दुर्जेय और बहुत महंगी प्रणाली को चुनौती देने के लिए उपयोग किए गए कम क्षमता वाले रॉकेट हों।

एयर मार्शल सिंह ने यह भी कहा कि इस अत्यधिक सघन युद्धक्षेत्र में, ‘‘हमें उपलब्ध संसाधनों के इष्टतम और अभिनव उपयोग के लिए योजनाएं बनाने की आवश्यकता है। साथ ही हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम उन्नयन या खरीद के माध्यम से अपनी प्रणालियों में सुधार करें।’’

भाषा

प्रशांत माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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