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Friday, 19 April, 2024
होमदेशकांशीराम मेरे आराध्य व्यक्ति थे, मायावती ने पार्टी को तबाह कर दिया: भीम सेना संस्थापक

कांशीराम मेरे आराध्य व्यक्ति थे, मायावती ने पार्टी को तबाह कर दिया: भीम सेना संस्थापक

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नजरबंद दलित नेता चन्द्रशेखर आजाद रावण दावा करते हैं कि उनकी संस्था कभी भी हिंसा में लिप्त नहीं रही है व उनका भारतीय संविधान में दृढ़ आस्था है.

सहारनपुर: पिछले वर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार हुए भीम सेना संस्थापक चन्द्रशेखर आजाद रावण वर्तमान में उत्तर प्रदेश की सहारनपुर जेल में बंद हैं. दलित नेता अपना मुकदमा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी लड़ रहे हैं. अपनी गिरफ्तारी के बाद दिप्रिंट के एसोसिएट एडिटर कुमार अंशुमन के साथ साक्षात्कार, गिरफ्तारी के बाद पहला, में आजाद दलित राजनीति के भविष्य के बारे में व बीजेपी शासन के प्रति बढ़ रहे असंतोष के बारे में बात कर रहें हैं.

संपादित अंशः

आप पर जातिवादी लड़ाई उकसाने का आरोप लगा है और इसी कारण एनएसए लगाया गया है. आपके केस की क्या स्थिति है ?

मेरे खिलाफ कुल 23 मामले हैं और मुझे लगभग सभी मामलों में जमानत मिल गई है. पिछले वर्ष 31 अक्तूबर को कुछ मामलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिली और मैं जेल से बहुत जल्द रिहा हो जाने वाला था. परन्तु दो दिनों में उन्होंने केवल मुझे जेल में रखने के लिए रासुका लगा दिया.

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पिछले साल मई में जो सहारनपुर में हुआ वह बीजेपी के भड़काने से हुआ. हम बाबा साहेब के संविधन का पालन करते हैं और हमेशा शांतिपूर्ण विरोध का सहारा लेते हैं. यह इस सरकार की मंशा है कि समाज को जाति व धर्म के आधर पर विभाजित किया जाए.

दलितों की सेना बनाने के पीछे क्या उददेश्य है और आप यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि जो लोग आपके साथ हैं वे हिंसा का प्रयोग नहीं करेंगें?

क्या आपने हमारी संस्था से किसी को भी किसी प्रकार की हिंसक गतिविधी में लिप्त देखा है? सबसे पहले भीम सेना एक ऐसी संस्था है जिसका एक मात्र उद्देश्य समाज के दबे-कुचले लोगों का उत्थान व विकास है.

हम भारतीय संविधन व झंडे पर दृढ़ आस्था रखते हैं. अब मुझे बताएं: क्या लोगों में एकता या मौलिक अधिकारों के लिए आवाज उठाने में कोई नुकसान है? हमें भारतीय सेना पर गर्व है व हमारा कोई दूसरी सेना बनाने का कोई इरादा नहीं.

क्या आप इसे राजनैतिक दल बनाने की योजना बना रहें हैं?

बिल्कुल नहीं. यह हमेशा एक ऐसी संस्था रहेगी जो देशभर में दलितों के मुद्दे उठाएगी व उनके लिए लड़ेगी.

उत्तर प्रदेश में आज भी दलितों में बीएसपी के प्रति आकर्षण है. आप उनसे अलग कैसे हैं?

मैं कांशीराम साहेब का बड़ा प्रशंसक हूँ. उन्होनें बीएसपी स्थापित की व इसे दलितों की पार्टी के रूप में कायम किया, जिसकी भारत में किसी अन्य द्वारा कल्पना भी नहीं की गई थी. इसलिए कांशीराम द्वारा बनाई गई पार्टी का बहुत सम्मान करता हूँ.

परन्तु मायावती जैसे नेताओं ने पार्टी को पूरी तरह बरबाद कर दिया. हम सबने बीएसपी के लिए मत दिया परन्तु यह दलितों की आकाक्षाओं को पूरा नहीं करती. आप इसका पतन देख सकते हैं. उन्हें किस तरह के मुद्दों के लिए लड़ना हैं, उसके लिए उन्हें गम्भीर विचार विमर्श की जरूरत है.

आपके मित्र जिग्नेश मेवाणी ने गुजरात में चुनाव लड़ा व अब एक विधनसभा सदस्य हैं. क्या आपकी भी आगे चलकर चुनाव लड़ने की योजना है?

मेरी ऐसी योजना नहीं. मैं अपने आपको जन आन्दोलन में लिप्त करना चाहता हूँ . और ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो मैं विधानसभा या लोकसभा का सदस्य बने बिना कर सकता हूँ . परन्तु मेरी संस्था के अन्य लोग हालात के आधर पर चुनाव लड़ सकते हैं.

अभी मैं कह नहीं सकता. मैं निश्चित रूप से जनता के लिए काम करना चाहता हूँ. परन्तु इस सरकार की एक समस्या है. मैं मोदी जी व योगी जी दोनों को चुनौती देता हूँ मुझे जेल से निकाल कर उत्तर प्रदेश में कोई भी सीट चुन लें. मैं आपके खिलाफ चुनाव लडूंगा. मुझे यह भी पता चल जाएगा कि इतने वर्षों में मैनें कितनों का दिल जीता है.

देश के विभिन्न भागों में कई दलित आन्दोलन चल रहे हैं. उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन क्यों नहीं मिल पा रहा है?

मैं आप से पूरी तरह सहमत हूँ. सबसे बड़ी समस्या यह है कि हर कोई आन्दोलन का नेेतृत्व कर चाहता है. दूसरों का सहयोग करने में कोई हानि नहीं परन्तु कार्य में विजन व प्रतिबद्धता होनी चाहिए. देखते हैं आगे बढ़कर यह उचित आकार लेती है या नहीं.

आप राज्य व केन्द्र में बीजेपी सरकार के विरूद्ध क्यों हैं?

इस सरकार द्वारा धोखा दिये जाने के तमाम सबूत आपको देखने व अनुभव करने के लिए मिल जाएंगे. उन्होनें सारे देश की जनता का राजनैतिक सत्ता पाने के लिए इस्तेमाल किया और आप देख रहे हैं कि देश भर में कैसा वातावरण पैदा किया है. दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं, मुसलमानों को मारा जा रहा है, युवा बेरोजगार है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं. अब सिवाय साम्प्रदायिक भाषणों के जमीन पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा.

क्या आपके पास इस तरह की राजनीति का कोई विकल्प है?

मैं विकल्प का निर्माण नहीं कर सकता. परन्तु मेरे विचार में राजनीतिक दलों को आपसी मतभेदों के बावजूद भी ऐसी सरकार को हराने के लिए एकत्रित होना चाहिए. एक कार्यकर्ता की हैसियत से मैं अपना कार्य करूंगा.

क्या आप राहुल गांधी को मोदी का संभावित दावेदार समझते हैं?

मेरी समझ से, राहुल गांधी एक सच्चे व्यक्ति हैं जो ज्यादा व्याख्याान नहीं करते, परन्तु विवेक की बात करते हैं. वह जो कहते हैं, निष्पक्ष कहते हैं और उनकी बातचीत उनकी ईमानदारी प्रकट करती है. यह सिर्फ बीजेपी ही है जिसने एक व्यक्ति पर कीचड़ उछालने के लिए इतना धन खर्च किया.

मेरा काम एक नेता को आंकना नहीं है. राहुल गांधी जो कहते हैं वो करते हैं, तो उन्हें पसन्द करने में क्या बुराई है? मेरे विचार में वह युवा हैं और देश के लिए उनके पास विजन है.

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