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Wednesday, 24 April, 2024
होमदेशSC ने कहा-वैक्सीनेशन के लिए बाध्य नहीं कर सकते, वैक्सीन नहीं लगाने वालों पर लगी रोक वापस लें राज्य

SC ने कहा-वैक्सीनेशन के लिए बाध्य नहीं कर सकते, वैक्सीन नहीं लगाने वालों पर लगी रोक वापस लें राज्य

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर वैक्सीनेशन नहीं करवाने वाले लोगों की पहुंच को प्रतिबंधित करने वाले कदम सही नहीं, उसे तुरंत हटाया जाना चाहिए.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को कोविड​​-19 वैक्सीनेशन के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है साथ ही कोर्ट यह भी कहा है कि मौजूदा चल रहे वैक्सीनेशन ड्राइव से वह संतुष्ट है. कोर्ट ने कहा मौजूदा वैक्सीन नीति को अनुचित और स्पष्ट रूप से मनमाना नहीं कहा जा सकता है.

कोर्ट ने केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन से लोगों पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव के आंकड़ों को भी जारी करने और सार्वजनिक करने का आदेश दिया है.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने सोमवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत शारीरिक स्वायत्तता और अखंडता की रक्षा की जाती है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्तमान कोविड-19 वैक्सीन नीति को स्पष्ट रूप से मनमाना और अनुचित नहीं कहा जा सकता है.

पीठ ने कहा, ‘संख्या कम होने तक, हम सुझाव देते हैं कि संबंधित आदेशों का पालन किया जाए और टीकाकरण नहीं करवाने वाले व्यक्तियों के सार्वजनिक स्थानों में जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाए. यदि पहले से ही कोई प्रतिबंध लागू हो तो उसे हटाया जाए.’

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा लगाई गई शर्त, सार्वजनिक स्थानों पर वैक्सीनेशन नहीं करवाने वाले लोगों की पहुंच को प्रतिबंधित करने वाले संगठन का कदम सही नहीं है उसे तुरंत हटाया जाना चाहिए.

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पीठ ने यह भी कहा कि टीका परीक्षण आंकड़ों को अलग करने के संबंध में, व्यक्तियों की गोपनीयता के अधीन, किए गए सभी परीक्षण और बाद में आयोजित किए जाने वाले सभी परीक्षणों के आंकड़े अविलंब जनता को उपलब्ध कराए जाने चाहिए.

शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को व्यक्तियों के निजी आंकड़ों से समझौता किए बिना सार्वजनिक रूप से सुलभ प्रणाली पर जनता और डॉक्टरों पर टीकों के प्रतिकूल प्रभावों के मामलों की रिपोर्ट प्रकाशित करने को भी कहा.

अदालत ने जैकब पुलियेल द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया जिसमें कोविड​​-19 टीकों और टीकाकरण के बाद के मामलों के नैदानिक ​​परीक्षणों पर आंकड़ों के प्रकटीकरण के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी.


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