scorecardresearch
Thursday, 28 March, 2024
होमफीचरमेवात बना भारत का नया जामताड़ा और 'सेक्सटॉर्शन' पैसे कमाने का एक नया हथकंडा

मेवात बना भारत का नया जामताड़ा और ‘सेक्सटॉर्शन’ पैसे कमाने का एक नया हथकंडा

मेवात के साइबर क्राइम इंडस्ट्री का कोई सरगना नहीं है. यह ट्रक ड्राइवरों के बलबूते फलता-फूलता उद्योग है,जहां गांव वालों ने सेक्सटॉर्शन रैकेट की कमान संभाली हुई है.

Text Size:

भारत के नए साइबर स्कैमिंग हब मेवात के परेही गांव में काफी गहमा-गहमी है. यहां चारपाई पर एक मीटिंग चल रही है. कुछ लोगों के चेहरे पर चिंता की हलकी सी शिकन है. राजस्थान और केरल के पुलिसकर्मी ने जब गांव में दस्तक दी, तो सभी गांव वाले हैरान थे. एक दूसरे पर आरोप लगाने वाली इस गरमागरम बहस ने सभी को थका दिया. लेकिन एक मलयाली सब्जी बेचने वाले से 32,798 रुपये ठगने वाला आरोपी कहीं नहीं मिला.

परेही गांव के लोग अभी भी उसे बचाने में लगे थे.

कुछ समय पहले ही पुलिस ने उसकी लोकेशन का पता लगाया था. जहां टीम अभी खड़ी है, वह वहां से मुश्किल से 100 मीटर की दूरी पर दिख रहा था. लेकिन मेवात के ये गांव वाले कसम खा रहे हैं कि उन्होंने उस युवक को पिछले दो महीने से देखा तक नहीं है.

तीन राज्यों- हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में फैला- मेवात भारत का नया जामताड़ा बन गया है. वो जामताड़ा जहां पिछले एक दशक पहले साइबर स्कैमिंग की शुरुआत हुई थी और जिसे नेटफ्लिक्स सीरीज ने लोगों के बीच खासा चर्चा में ला दिया था. लेकिन अब ऐसे नए सेटेलाइट शहर और गांव हैं जो पूरे भारत में तेजी से फैल रहे हैं और फोन पर अनगिनत घोटाले कर रहे हैं. जामताड़ा के मुकाबले ये ज्यादा नए और बोल्ड अवतार में नजर आते हैं. मेवात के घोटाला का दायरा काफी फैला हुआ है. क्योंकि यह तीन राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है. और यहां होने वाले अपराध ज्यादा कुटिल और कम पकड़ में आने वाले हो गए हैं. लोगों को लूटने के लिए सेक्सोर्टेशन अब उनका नया हथियार बन गया है.

इस समस्या के तार कई जगह से जुड़े हैं. यानी एक स्कैमर को पकड़ने से यह खत्म नहीं होती. एक के पकड़ते ही दस सामने खड़े हो जाते हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

दिल्ली का भी ध्यान इधर गया है. साइबर क्राइम यूनिट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मेवात के युवा स्कैमर्स के गिरोह की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

OLX घोटालों से लेकर सेक्टॉर्शन तक, मेवात उत्तर भारत में साइबर अपराध का केंद्र बिंदु बन गया है और सिर्फ आम लोग इनकी गिरफ्त में आते हों ऐसा नहीं है. भारतीय जनता पार्टी की सांसद प्रज्ञा ठाकुर से लेकर शिवसेना विधायक तक किसी को भी नहीं बख्शा गया है.

कोलकाता की बढ़ती जालसाजी की दुनिया के विपरीत, जहां आपको ऑफिस और कॉल सेंटर मिलेगा, मेवात स्कैम किसी एक जगह से नहीं चलाया जा रहा है. स्कैमर्स पूरे देश में घूमते फिरते हैं. क्योंकि इनमें से कई ट्रक ड्राइवर हैं. वे सड़क किनारे किसी दुकान से लिए गए सिम कार्ड का इस्तेमाल करके अंजान हाइवे से संदिग्ध फोन कॉल करते है. दरअसल यह एक ऐसा अपराध रैकेट है, जिसका कोई सरगना नहीं है. गांव का हर वो शख्स जिसके पास स्मार्टफोन और सिम है, इस स्कैम और ब्लैकमेल की दुनिया में अपने कदम बढ़ा रहा है.

हरियाणा पुलिस के राज्य अपराध शाखा के अतिरिक्त डीजीपी ओपी सिंह बताते हैं, ‘वे फर्जी आईडी से अपने अपराधों को छिपाते चले जाते हैं.’ उनकी लगातार यहां से वहां जाने वाली ट्रक ड्राइवरी की नौकरी उनके इस काम को आसान बना देती है. वह कहते हैं, ‘फिलहाल हमारे पुलिस जांचकर्ताओं को अपस्किल करने की जरूरत है.’

Villagers negotiate with police officers | Vandana Menon
मेवात में साइबर क्राइम इंडस्ट्री ऐसी है जिसमें कोई भी अगुवा नहीं है | वंदना मेनन, दिप्रिंट

यह भी पढ़ेंः जामा मस्जिद में अकेली लड़की और लड़कियों के ग्रुप की एंट्री पर लगी रोक, स्वाति बोलीं- गलत फैसला 


सेक्सटॉर्शन एक नया हथियार

28 साल के दीपक के फोन पर जैसे ही Truecaller ने ‘दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच’ के नंबर की पहचान की, उसके लिए खतरे की घंटी बजने लगी. वह जानता था कि कुछ तो गलत है. जब उसने कॉल रिसीव किया तो दूसरे छोर से आ रही आवाज ने उसे बताया कि पुलिस को यूट्यूब पर उसका एक अश्लील वीडियो मिला है. उन्होंने इस वीडियो को गायब करने के लिए 20,000 रुपये की मांग की.

दीपक जान गया था कि यह पुलिस नहीं है. दरअसल, अप्रैल में एक वीडियो कॉल का जवाब देने के बाद से ही उसे पैसे के लिए ब्लैकमेल किया जा रहा था. उसने अपनी स्क्रीन पर एक नग्न महिला को देखा और तुरंत कॉल काट दिया. यह सिर्फ चार सेकंड तक चला, लेकिन नुकसान हो चुका था. कुछ सेकंड बाद उसे एक कॉल आया.

नोएडा में काम करने वाले दीपक ने कहा, ‘दूसरी ओर फोन से एक आदमी की आवाज आ रही थी. मैं सदमे में था. उन्होंने मुझसे 5,000 रुपये मांगे और कहा कि ऐसा न करने पर वे इस ‘सेक्स चैट’ की स्क्रीन रिकॉर्डिंग मेरे दोस्तों और परिवार को भेज देंगे. मैंने उनसे कहा कि मेरे पास पैसे नहीं हैं.’

डर और शर्मिंदगी के चलते वह दोस्तों से पैसे उधार लेने की कोशिश करने लगा लेकिन इसमें समय लग रहा था.

अगले दिन जब यह साफ हो गया कि वह पैसे का इंतजाम नहीं कर पाया है तो उसके परिवार के सभी सदस्यों और दोस्तों को फेसबुक पर एक लिंक भेजा गया. स्कैमर ने उसके मोबाइल नंबर से उसके फेसबुक की जानकारी निकाली थी. घबराए दीपक को ऑफलाइन मजबूर करने के लिए इतना ही काफी था.

दो दिन बाद उसे दिल्ली पुलिस होने का दावा करने वाले एक नंबर से यह कॉल आया. तभी उसे अहसास हुआ कि उसके साथ क्या हो रहा है.

उसने जल्दी से नंबर ब्लॉक कर दिया और चुप होकर बैठ गया. वह पुलिस के पास जाने और शिकायत दर्ज कराने से भी डरता रहा.

दीपक ने कहा, ‘उस समय मैं उनके जाल में फंस चुका शिकार था. लेकिन मैं अभी भी अपने आपको दोषी और शर्मिंदा महसूस करता हूं.’

कॉम्प्लेक्स सेक्सटॉर्शन मॉडस ऑपरेंडी

राजस्थान पुलिस को 20 साल के ट्रक चालक वाहिद के बारे में सूचना मिली थी.

जब उन्होंने उसे पकड़ा तो उसके पास से दो फोन मिले. एक में ‘सेक्स चैट’ थी और उसके बाद पैसे के लेन-देन के स्क्रीनशॉट थे. दूसरे में PhonePe और GooglePay पर ऐसे सैकड़ों लेनदेन के सबूत थे. पुलिस ने कहा कि इन सेक्स चैट में अश्लील तस्वीरें और वीडियो शामिल थे और चैट विंडो में से एक में मिस्ड कॉल भी थी.

पुलिस ने कहा कि उन्होंने आगे बढ़कर उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया. जिन पीड़ितों से उन्होंने संपर्क किया, वे गवाही देने को तैयार नहीं थे. वे काफी शर्मिंदा महसूस कर रहे थे और बहुत डरे हुए भी थे.

राजस्थान के भरतपुर जिले के एक पुलिस अधिकारी अजय ने बताया, ‘इस इलाके में लोग ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं. निरक्षरता काफी ज्यादा है. ये स्कैम जामताड़ा की तरह एडवांस लेवल के नहीं है. ज्यादातर स्कैमर्स सेक्सटॉर्शन की तरफ जाते हैं.’ यह हरियाणा के नूंह और उत्तर प्रदेश के मथुरा के अलावा मेवात बनाने वाले तीन मुख्य जिलों में से एक है.

पुलिस का कहना है कि यह लोगों को अपने जाल में फंसाने वाले बड़े-बड़े घोटालों की तरह नहीं है. सेक्सटॉर्शन रैकेट को किसी भी तरह की स्क्रिप्ट तैयार करने की जरूरत नहीं होती है. बहुत सारे घोटाले हिंदी में किए जाते हैं और अगर टेक्स्ट करने की जरूरत भी पड़ी तो वे एक ऐप का सहारा लेते हैं.

सेक्सटॉर्शन स्कैमर्स अपने पीड़ितों को या तो लिंक या वीडियो कॉलिंग के जरिए लालच देकर फंसाते हैं, जैसे दीपक के साथ हुआ था. ब्लैकमेल करके किसी शख्स को फंसाने के लिए कुछ सेकंड ही काफी हैं – स्कैमर पीड़ित को ‘अश्लील’ इमेजरी या फुटेज दिखाता है और देख रहे व्यक्ति का दूसरे फोन से वीडियो बना लेता है. उसके बाद शख्स को ब्लैकमेल करना शुरू हो जाता है. पुलिस के मुताबिक, पहले चरण में वो सीधे तौर पर पैसे के लिए ब्लैकमेल करते हैं. अगर पीड़ित उनका नंबर ब्लॉक कर देता है, तो स्कैमर इसे एक पायदान ऊपर उठाता है और पीड़ित से बात करने के लिए दूसरे सिम कार्ड का इस्तेमाल करता है. तीसरा और अंतिम चरण पुलिस बनकर उन्हें परेशान करना होता है. स्कैमर दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध इकाई से होने का दावा करता है, पीड़ित पर पोर्नोग्राफी देखने का आरोप लगाता है, और ‘मामले’ को रफा-दफा करने के लिए पैसे मांगता है.

वाहिद ने अपने पीड़ितों को OLX के जरिए फंसाया था. पुलिस को उसके पास से ऐसे कई विज्ञापन मिले जो उसने ओएलएक्स पर अपनी गाड़ियों को बेचने के लिए पोस्ट किए थे. उसके बाद वह उनका इस्तेमाल ग्राहक को फंसाने और ब्लैकमेल करने के लिए करता था.

वाहिद को 17 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह जमानत पर बाहर है. उसके पिता अयूब ने कसम खाते हुए कहा कि उसके 20 वर्षीय बेटे का इस तरह के अपराधों से कोई लेना-देना नहीं है. उसे तो पुलिस ने झूठे आरोप में पकड़ लिया और फंसा दिया.

Ayub, Wahid's father, outside their kitchen | Vandana Menon
किचन के बाहर वाहिद के पिता अयूब | वंदना मेनन, दिप्रिंट

वाहिद की पत्नी शहनाज़ अपने तीन बच्चों में सबसे छोटे बच्चे को गोद में लिए हुए कहती हैं, ‘बेशक, मेरे पति अब डर गए हैं, वह पिछले दो महीनों से सड़क पर गाड़ी चला रहे हैं. यह एक झूठ है.’

अयूब का कहना है कि वाहिद को पुलिस ने पीटा था. अयूब अपने घर के आस-पास इशारा करते हुए पूछते है, ‘और अगर हम इतना पैसा कमा रहे होते, तो क्या हम ऐसी रसोई और टॉयलेट के साथ रह रहे होते?’ बाहर वाहिद का भाई अपनी टीवीएस अपाचे बाइक धो रहा है, जिसे उसने दो साल की ईएमआई पर खरीदा था.

अयूब अपने चारों ओर देखता है कि कोई और तो उसकी बातें नहीं सुन रहा. वह धीरे से झुककर फुसफुसाते हुए कहता है, ‘लेकिन आप जरा दूसरों के घरों की किचन और टॉयलेट देखिए.’


यह भी पढ़ेंः अंबेडकर के पोते के साथ गठबंधन पर नजरें टिकाए उद्धव ठाकरे क्यों अपने दादा की विरासत याद दिला रहे हैं


‘टैटलस’ को ट्रैक करना

स्थानीय मेवाती में घोटालों को ‘टैटलस’ कहा जाता है.

मेवात के किसी भी गांव में साइबर अपराध की पड़ताल के लिए चले जाएं. कुटिल मुस्कान और कंधे उचकाते हुए कोई न कोई शख्स चुपचाप से आपको खबर देने की बात कहते हुए मिल ही जाएगा. इकांखा के रहने वाले 19 साल के जाकिर खान ने तेज आवाज में कहा कि उसके पास तो मोबाइल फोन तक नहीं है. उसके बगल में खड़ा उसका दोस्त अजरू हंसता है और बाद में जाकिर का फोन नंबर साझा करने का वादा करता है. उनके ग्रुप के अन्य युवक मोहम्मद मनीज़ के पास नोकिया 3310 जैसा दिखने वाला एक फोन है. वह कसम खाता है कि उसके पास व्हाट्सएप नहीं है. (स्पॉयलर अलर्ट: उसके पास व्हाट्सएप है.)

जाकिर कहता है, ‘यहां कोई पढ़ा-लिखा तो है नहीं. हम स्कैम कैसे चला सकते हैं?’ उसके बाकी के साथियों ने उसकी हां में हां मिलाई.

अजरू आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) एड्रेस और वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के बारे में बहुत कुछ जानता है, लेकिन वो कुछ भी न जानने का नाटक करता है. जबकि YouTube शॉर्ट्स के अलावा, 16 साल के अजरू के YouTube चैनल पर हाल ही में डाली गई ‘हॉट वीडियो सैफ अली’ शीर्षक से 30 सेकंड की क्लिप मौजूद है.

‘मेवात’ अपनी इस पहचान से अच्छी तरह वाकिफ है. मसलन, भरतपुर के गामडी गांव को अक्सर इस इलाके के ‘अपराध’ के केंद्र के रूप में देखा जाता रहा है. हरियाणा पुलिस का तो यहां तक दावा है कि गांव में छापेमारी करने से पुलिस को रोकने के लिए निवासी जान-बूझकर सड़क खोद देते हैं. पिछली बार जब नूंह के पुलिस अधिकारी गामडी गए थे, तो उनकी कार 40,000 रुपये के नुकसान के साथ खाली हाथ लौट आई थी. पुलिस का कहना है कि गांव वाले हजारों सिम कार्ड खरीदते हैं, जिनमें से कई ट्रक चालक हैं जो काम के सिलसिले में पूरे भारत में घूमते रहते हैं.

गामडी के निवासियों के पास बताने के लिए एक और कहानी है. वे कहते हैं कि उन्हें निशाना बनाया जाता है क्योंकि वे मुसलमान हैं – अगर वे वास्तव में पैसा कमा रहे होते, तो क्या वे इस तरह से रह रहे होते?

वाहिद के दोस्त और इकांखा के रहने वाले कयूब खान कहते हैं, ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि हम मुसलमान हैं और हम गरीब हैं.’ उसने एक चमकीले नारंगी रंग की एडिडास शर्ट और एक फॉसिल की घड़ी पहनी हुई थी, उसने बताया कि ये दोनों चीजें नकली हैं और उसने इन्हें नजदीकी शहर कामन में ‘बहुत सस्ते’ में खरीदा था.

उसने कहा, ‘जब वे हमें अच्छा खाता-पहनता, घर बनाते हुए, बाइक खरीदते हुए देखते हैं, तो मान लेते हैं कि हम अपराधों के जरिए ऐसा कर रहे हैं.’

राज्य की सीमाओं के पार हरियाणा के नूंह जिले के नाई गांव में फैंसी गेट वाला शायद ही कोई नया घर हो. गांव का एक बड़ा हिस्सा निर्माणाधीन है. कई परिवार या तो नए घर बना रहे हैं या मौजूदा घरों में मरम्मत कर रहे हैं.

हरियाणा के बिछोर स्टेशन की पुलिस, जो यहां से मुश्किल से पांच किलोमीटर दूर है, को ये अंदाजा लगाने में ज्यादा समय नहीं लगता कि इन घरों के निर्माण और काम में कितने लाख या करोड़ खर्च किया गया होगा.

बिछोर के एक पुलिस अधिकारी ने एक विशाल दिखने वाले बंगले और एक गैरेज की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘क्या आप वाकई मुझसे पूछना चाहते हैं कि ट्रक ड्राइवरों ने कितना पैसा कमाया है?’

‘सवाल ही नहीं उठता कि वो लॉकडाउन के बाद से इतना कमा रहे हैं. वे सब टैटलस चला रहे हैं.’

चूहे- बिल्ली का खेल

मेवात की पुलिस भी साइबर क्राइम की हकीकत से मुंह मोड़ती नजर आ रही है. उन्हें हजारों नकली सिम कार्ड, फर्जी फोन, फर्जी आईडी और फर्जी प्रोफाइल का पीछा करना पड़ा. उन्हें अन्य राज्यों की पुलिस टीमों को भी देखना पड़ा, जिन्होंने कुछ अपराधियों को मेवात तक ट्रैक किया और यहां तक पहुंचे, लेकिन सिर्फ स्थानीय पुलिस ही जानती है कि उन्होंने कितनी मुश्किल लड़ाई छेड़ी है.

Kayub Khan flaunts his 'fake' watch | Vandana Menon, ThePrint
अपनी नकली घड़ी दिखाता हुआ ज़ाकिर खान | वंदना मेनन, दिप्रिंट

राजस्थान पुलिस के लिए यह रूटीन है. जैसा कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए है. भारत के हर राज्य से – अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सहित – बड़े पैमाने पर घोटालेबाजों को पकड़ने के लिए तीन राज्यों के बीच लंबी सीमा को देखते हुए पुलिस थानों का दौरा करते हैं. भरतपुर के जुहेरा थाने के एसएचओ जयप्रकाश सिंह के मुताबिक ऐसा ‘सप्ताह में 2-3 बार’ होता है.

मेवात की पुलिस भी इन अपराधों को रोकने की कोशिश कर रही है. अक्टूबर हरियाणा पुलिस के लिए ‘साइबर अपराध जागरूकता’ महीना था. पूरी फोर्स राज्य भर में जागरूकता फैलाने, साइबर अपराध और इससे बचने के तरीकों पर लेक्चर देने में लगी हुई थी.

New constructions in the village of Nai, Haryana | Vandana Menon, ThePrint
हरियाणा के नाई गांव में नया कॉन्सट्रक्शन | वंदना मेनन, दिप्रिंट

नूंह में साइबर क्राइम यूनिट के सब-इंस्पेक्टर सुधीर को एक स्थानीय विश्वविद्यालय में बीकॉम छात्रों को साइबर अपराध से बचने पर लेक्चर देने का जिम्मा सौंपा गया था. वह पलवल में एक मोबाइल फोन की दुकान से चल रहे सेक्सटॉर्शन रैकेट का भंडा फोड़ करने के काम में भी जुटे थे. व्याख्यान के एक हफ्ते बाद, उन्होंने एक किशोर को गिरफ्तार किया जो दुकान पर काम कर रहा था और ग्राहकों से डेटा चोरी करने के लिए धोखाधड़ी करता था.

गिरफ्तारी के बाद ही उन्हें पता चला कि 19 वर्षीय बीकॉम का छात्र था, जो पिछले सप्ताह उनके व्याख्यान में शामिल हुआ था.

पूरे देश में मेवात का स्कैम

हाल ही में सर्दियों से पहले की गुनगुनी दोपहर में, केरल पुलिस की तीन सदस्यीय टीम ने अपने कथित अपराधी को पकड़ने के लिए परप्पनगडी से परेही तक 2,000 किलोमीटर की दूरी तय की थी.

पुलिस ने कथित अपराधी इंजाम-उल हक की एक तस्वीर दिखाई. केरल पुलिस का कहना है कि उसने खुद को एक सैन्य अधिकारी बताया और 52 साल के सब्जी विक्रेता मोइतीनकुट्टी के साथ ठगी की थी. ग्रामीणों ने अपने कंधे उचकाए और हर कोई बुदबुदाने लगा कि अरे! इसे तो हमने काफी समय से नहीं देखा है. उनके घर की महिलाएं तितर-बितर होने लगीं. वो सब घर के अंदर जाकर मानो गायब हो गई हों. जबकि पुरुष पुलिस के साथ बातचीत करने के लिए खड़े रहे.

इंजाम के बड़े भाई जावेद ने पूछा, ‘कितना घोटाला हुआ? 40,000 रुपये? मैं इसे दे देता हूं. क्या तब मामला बंद हो जाएगा?’

अधिकारी एक-दूसरे की तरफ देखते हैं और मलयालम में कुछ कहते हैं. बाकी लोग उम्मीद से उनकी तरफ देख रहे थे. आखिर में एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि जावेद सीधे पीड़ित को पैसे ट्रांसफर कर सकता है. इसके बाद मामला वापिस लिया जाएगा या नहीं, ये पीड़ित का विशेषाधिकार है.

मोइतीन ने 30 मई 2022 को मामला दर्ज कराया था. इंजाम को भरतपुर जिले तक ट्रैक करने में केरल पुलिस को पांच महीने का समय लगा. जब तक वे उसे गिरफ्तार करने पहुंचे, तब तक वह बहुत दूर जा चुका था – या फिर सिर्फ गांव वाले ऐसा कह रहे हैं.

पुलिस को शक है कि जावेद ने खुद अपने भाई के नंबर का इस्तेमाल कर इस घोटाले को अंजाम दिया है. लेकिन इसकी पुष्टि करने का कोई तरीका नहीं है. यह तभी संभव है जब वह कोई सबूत छोड़ दे. और समस्या ये है कि गांव वाले इस सबके बारे में पहले से काफी कुछ जानते हैं.


यह भी पढ़ेंः पाकिस्‍तानी सेना को दो ही चीजों से प्‍यार है- इस्लामी झंडा और जमीन, जनरल बाजवा की लूट नई बात नहीं है


मेवात के मेव

मेवात उपमहाद्वीप में सबसे गरीब, साथ ही सबसे बड़े मुस्लिम समुदायों में से एक मेव मुसलमानों का घर है, नीति आयोग के अनुसार, हरियाणा का जिला नूंह, जिसे मेवात कहा जाता था, भारत में सबसे ‘पिछड़ा’ जिला है. पूरे इलाके को एक आपराधिक बेल्ट के रूप में देखा जाता है और इसे अक्सर नफरत से ‘मिनी पाकिस्तान’ भी कहा जाता है.

यहां तक कि केरल पुलिस भी मेवात की जनसांख्यिकी के बारे में सचेत थी. उनकी तीन सदस्यीय टीम में एक मुस्लिम, एक हिंदू और एक ईसाई अधिकारी शामिल था. ताकि किसी भी धार्मिक तनाव को आस-पास आने का मौका न दिया जा सके.

शैल मायाराम ने अपनी किताब ‘अगेंस्ट हिस्ट्री, अगेंस्ट स्टेट: काउंटरपर्सपेक्टिव्स फ्रॉम द मार्जिन्स’ में लिखा है कि पूरे मेव जनजाति को’ अपराधी जनजाति ‘के रूप में कलंकित किया गया है. वह लिखती हैं ‘मेव जनजाति की उस पहचान को दिखाया गया है जिसे एरिक्सन ने नकारात्मक आइडेंटिटी कहा है: जो कलंकित होता है वह महिमा का विषय बन जाता है. लूटपाट और दस्यु सचेत रूप से एक वीरतापूर्ण कार्य बन जाता है.’

जो बात मामले को जटिल बनाती है वह यह है कि मेवात तीन राज्यों की सीमाओं से घिरा है.

उत्तर प्रदेश के मथुरा के मुख्य विकास अधिकारी मनीष मीणा ने कहा, ‘इस मुद्दे का संबंध क्षेत्रीय जनसांख्यिकी से ज्यादा सीमावर्ती इलकों से है.’ मथुरा तीसरा प्रमुख जिला भी है जो मेवात को बनाता है. उन्होंने कहा, ‘गुड़गांव और दिल्ली के करीब होने के कारण भी ये आपराधिक तत्वों के इस नेटवर्क को ट्राई-जंक्शन का फायदा उठाने का बढ़ावा देता है. राज्य की सीमाओं को कैसे पार किया जाए, विभिन्न खातों में नकदी कैसे स्थानांतरित की जाए, राज्य के अधिकारियों से कैसे बचा जाए – यह सब सीमा क्षेत्र में करना आसान है.’

बुजुर्गों को भी नहीं बख्शा

निकिता जैन दोशी के पिता राकेश जैन के लिए यह दीवाली मुश्किल भरी थी.

उन्हें एक अनजान नंबर से दो वीडियो कॉल आए. एक 7 सेकंड लंबा था और दूसरा 3 सेकंड लंबा. लेकिन घोटालेबाज के लिए जैन को कुछ देखते हुए रिकॉर्ड करना और फिर इसका इस्तेमाल 65 साल के इस शख्स को ब्लैकमेल करने के लिए करना काफी था.

वह दीपक जितने मजबूत नहीं थे.

डर और शर्म की वजह से जैन ने 10,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए. लेकिन उन्हें ब्लैकमेल करना जारी रहा. 10 नवंबर को उन्होंने अपना फोन ऑफिस में छोड़ा और गायब हो गए.

जब उनके परिवार ने उनके कॉल लॉग खोले तो उन्हें पता चला कि उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा था.

दोशी कहते हैं, ‘अपराधी सिर्फ तकनीक का इस्तेमाल एक उपकरण के रूप में कर रहे हैं. वे वास्तव में आपके दिमाग से खेल रहे होते हैं.’ उनके पिता ने एक ड्यूल सिम फोन का इस्तेमाल किया और डर के मारे एक सिम को निष्क्रिय कर दिया. जब निकिता और उनके भाई ने इसे वापस चालू किया, तो उन्हें कथित घोटालेबाज का फोन आया, जिसने बदले में उनसे पैसे मांगे. तब निकिता के भाई ने उससे कहा कि वह जानता है यह एक स्कैम है. फोन लाइन तुरंत काट दी गई. नंबर पहुंच से बाहर हो गया. उन्होंने पहले ही पुलिस में अपने पिता की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करा दी थी. अब उन्हें पता चल गया था कि उनके साथ सेक्सोर्टिड किया गया था.

एक हफ्ते तक चली तलाशी आखिरकार 18 नवंबर को सुबह 4:30 बजे दोशी के दरवाजे की घंटी बजने पर खत्म हुई. यह उनके पिता थे. उन्होंने पिछले सात दिन राजस्थान के किशनगढ़ में एक मंदिर में प्रार्थना करते हुए इस उम्मीद में बिताए कि भगवान उन्हें साहस और धैर्य देगा.

जैसे ही वह गेट खोलने और उन्हें गले लगाने के लिए दौड़ी, जैन ने आंसूओं में भीगने से पहले सिर्फ एक ही बात कही ‘बेटा, आई एम सॉरी.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(अनुवादः संघप्रिया मौर्य)


यह भी पढ़ेंः पाकिस्‍तानी सेना को दो ही चीजों से प्‍यार है- इस्लामी झंडा और जमीन, जनरल बाजवा की लूट नई बात नहीं है


 

share & View comments