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Wednesday, 24 April, 2024
होमफीचरअसम की थालियों से लेकर लंदन, दुबई तक, कैसे साधारण नींबू, काजी नेमू, दुनिया में अपनी जगह बना रहा है

असम की थालियों से लेकर लंदन, दुबई तक, कैसे साधारण नींबू, काजी नेमू, दुनिया में अपनी जगह बना रहा है

जिन गांवों से काजी नेमू लंदन तक पहुंचे हैं, उसमें से एक नाम औहता गांव का भी है. औहता का असमिया में अर्थ है 'दुर्गम'.

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गुवाहाटी से लगभग सौ किलोमीटर दूर, असम के बक्सा जिले का यह एक छोटा सा गांव कभी विद्रोहियों के उल्फा प्रशिक्षण शिविरों के लिए जाना जाता था. लेकिन आज इसकी पहचान की वजह कुछ और है. यहां के खेतों में किसान सुगंधित नींबू उगा रहे हैं, जिनकी खुशबू लंदन और दुबई तक जा पहुंची है. नींबू का स्वाद ऐसा है कि लोग इसके छिलके तक को बर्बाद करना नहीं चाहते. इस स्वदेशी किस्म का नाम है काजी नेमू नींबू, जो हर असमिया घर का मुख्य हिस्सा रहा है.

जिन गांवों से काजी नेमू लंदन तक पहुंचे हैं, उसमें से एक नाम औहता गांव का भी है. औहता का असमिया में अर्थ है ‘दुर्गम’. यानी जिस गांव तक आम लोगों के लिए पहुंचना मुश्किल था, उसी दुर्गम गांव और उसके किसानों ने आज लंदन के बाजार में अपनी पहचान बना ली है. यह अपने आप में फक्र की बात है और इसका श्रेय सालबारी की नीलाचल एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी, एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट एंड अथॉरिटी (APEDA) और बक्सा के पूर्व डिप्टी कमिश्नर के संयुक्त प्रयास को जाता है.

बक्सा के पूर्व उपायुक्त आयुष गर्ग बताते हैं, ‘ नींबू लगभग 35 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रहा है. इसे पहले किसान 9 से 10 रुपये में बेचते थे. किसानों के लिए यह एक बड़ा अंतर है. स्थानीय बाजारों में अगस्त के चरम मौसम में भी एक नींबू की कीमत महज 40 पैसे हुआ करती थी. विदेशी निर्यात ने इसे बदल दिया.’

विदेश में इस नींबू के प्रति आकर्षण की वजह क्या है? इसकी सुगंध, आकार और साथ ही इसमें बीजों का न होना इसे बाकी नींबू की किस्मों से अलग बनाता है. दरअसल भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग वाले काजी नेमू ने असम के छोटे भू-स्वामी किसानों के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं. राज्य हर साल एक लाख टन से ज्यादा नींबू किस्म का उत्पादन करता है. डिब्रूगढ़ जिला इसका सबसे बड़ा उत्पादक है. भारत और दुनिया धीरे-धीरे इसका स्वाद ले रही है.

काजी नेमू को झंडी दिखाकर रवाना किया जा रहा है | फोटो: नीलाचल एग्रो

काजी नेमू की विदेश यात्रा एक सहज बातचीत से शुरू हुई. उस समय आयुष गर्ग तिनसुकिया के डिप्टी कमिश्नर थे. एक रिजॉर्ट मालिक से बातचीत के दौरान उन्हें पता चला कि लंदन में फिलहाल ऐसे कई असमिया परिवार रह रहे हैं, जो अपने घर के सामान के लिए तरसते हैं. उन्होंने कहा, ‘काजी नेमू जैसे उत्पादों के लिए आपको एक खास बाजार की तलाश करनी होगी. जब मुझे बक्सा में नियुक्त किया गया और बाजार की जरूरत के बारे में बताया गया, तो मुझे वह बातचीत याद आ गई.’

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औहता जाने का सफर एक ऊबड़-खाबड़ सड़क से होते हुए पूरा हुआ. लेकिन सड़क के दोनों तरफ चावल के खेतों हरियाली थी, जिन्होंने रास्ते को खूबसूरत बना दिया. सोनीराम टोपो के दो-बीघा काजी नेमू खेत तक जाने वाली सड़क के किनारे असम-शैली के घर बने थे-एक मंजिला, आंशिक रूप से पक्के, तो कुछ कच्चे घर यानी फूस की झोपड़ियां थी.

काजी नेमू के पौधे नींबू से लदे पड़े थे, पेड़ों के बीच बनी क्यारियों में चलते हुए टोपो ने बताया, ‘पौधों पर अप्रैल में फूल आने शुरू हुए और फिर उन्होंने धीरे-धीरे नींबू का आकार ले लिया, जिन्हें आप यहां देख रहे हो’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैं खुश हूं कि यहां उगाए गए नींबू लंदन जा रहे हैं.’ टोपो ने 2015 में नींबू उगाना शुरू किया और सात साल में उनकी उपज ब्रिटिश रसोई तक पहुंच गई.

अपने काजी नेमू फार्म में टोपो। फोटो: टीना दास

गति इलाके के लगभग 2,000 परिवार नींबू की खेती में लगे हुए हैं. औहता के लिए यह उपज काफी पैसा लेकर आई है. यहां ज्यादातर किसान चावल को प्राथमिक खाद्यान्न के रूप में उगाते हैं. लेकिन उनके पास नींबू के पेड़ों के लिए लगभग दो बीघा जमीन भी है. नीलाचल एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी के साथ उनका जुड़ाव 2020 में शुरू हुआ जब किसान उत्पादक कंपनी बनी. यह कंपनी काजी नेमू के लिए बाजार तलाशने और किसानों को नींबू की बेहतर कीमत दिलाने का अथक प्रयास कर रही है.

लंदन के न्यू स्पिटलफील्ड्स मार्केट में नींबू का निर्यात और वितरण का काम कीगा एक्जिम्स प्राइवेट लिमिटेड के हिस्से में है. यह फलों, सब्जियों और फूलों के लिए यूके के प्रमुख थोक बाजारों में से एक है.

कीगा एक्ज़िम्स के निदेशक कौशिक बरुआ ने कहा, ‘पहले काजी नेमू के ग्राहक वहां रहने वाले भारतीय या बांग्लादेशी होते थे. लेकिन अब हम अंग्रेजी ग्राहकों को भी इन्हें खरीदने के लिए कतार में पाते हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘इसकी सुगंध के कारण कुछ लोग इसे कॉकटेल में इस्तेमाल करना पसंद करते हैं.’

असमिया व्यंजनो की जानी-मानी शेफ कश्मीरी बरकाकती नाथ ने ईस्टमोजो के साथ एक इंटरव्यू में नींबू के स्वाद की पुष्टि की थी. उन्होंने कहा था, ‘यह (काजी नेमू) मेरी पसंदीदा सामग्री है. नींबू का एक निचोड़ दिलकश और मीठे दोनों तरह के व्यंजनों में ज़िंग जोड़ देता है और इसके छिलके में अद्भुत सुगंध है जो अधिकांश व्यंजनों में शानदार ढंग से काम करती है. मैं इसे अपने भारतीय और यूरोपीय दोनों तरह के व्यंजनों में शामिल करती हूं’

एक ‘एक्सीडेंटल’ फ्रूट

असम थालियों में परोसे जाने वाले काजी नेमू को मिली सारी प्रसिद्धी एक ‘अचानक से हुई खोज’ से शुरू हुई थी. भारत में जीआई टैग पर सूचना पुस्तिका में कहा गया है कि इस किस्म की उत्पत्ति बर्निहाट सिट्रस स्टेशन में एक चांस सीडलिंग से हुई. यह शिवसागर के हशरा गांव से चिनकाघी नाम से एकत्र किया गया उत्पाद था. काजी नेमू को 2020 में जीआई टैग मिला था.

असम के काजी नेमु के बारे में क्या खास है जिसने इसके निर्यात को प्रेरित किया?

काजी नेमु गोल, टेबल टेनिस-बॉल के आकार का है. यह उस किस्म से अलग है जो आमतौर पर उत्तर भारत में खाया जाता है. यह आकार में उससे लगभग तीन गुना बड़ा है. इसमें रस भी 1.08-2.10 ग्राम / 100 मिलीलीटर है. यह उत्पादन के अनुकूल भी है क्योंकि यह पूरे वर्ष फल देता है. साथ ही इसका फल पेड़ से नहीं गिरता है, भले ही उसका वजन कितना ज्यादा क्यों न हो. फलों को नुकसान कम होता है.

दूसरा फायदा इंटरक्रॉपिंग है, जिसका मतलब है नींबू के पेड़ों के बगल में फसल उगाना. कुछ आम तौर पर उगाए जाने वाले विकल्प पपीता, अनानास और हाल के दिनों में महंगे ड्रैगन फ्रूट हैं.

बक्सा में पैक करके लंदन भेजा जाएगा। फोटो: मानश कलिता

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एक लंबा रास्ता तय करना बाकी

काजी नेमू के लगभग 4,000 पीस लंदन पहुंचे हैं. लेकिन कहानी खत्म नहीं होती. किसानों के लिए अच्छे लाभ मार्जिन के लिए निरंतर प्रयास जरूरी हैं. नीलाचल एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ मनश कलिता ने बताया, ‘हम मूल्य संवर्धन के साथ, कच्चे फल से परे नींबू से बने प्रोडेक्ट की मार्केटिंग और बिक्री का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं. हम असम लेमन स्क्वैश बनाना चाहते हैं और इसके लिए एक छोटा उद्योग स्थापित करेंगे.’

कलिता ने कहा कि जब वे दिल्ली में नींबू और उसके पौधों को प्रदर्शित कर रहे थे, तो कई लोगों ने पौधे के लिए अनुरोध किया था. हालांकि एक इनडोर प्लांट में उपज अलग होती है, लेकिन फिर भी कई लोगों ने उसे अपने घरों में लगाने के लिए रुचि दिखाई थी.

स्पिटलफील्ड्स बाजार में काजी नेमू को टैग किया। फोटो: कौशिक बरुआ

स्थानीय उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार खोजने की कोशिशों को नरेंद्र मोदी सरकार के पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के बागवानी मिशन के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है. कलिता कहती हैं, ‘सरकार का समर्थन जबरदस्त रहा है.’

सेमिनार से लेकर कर्ज देने तक, किसान-उत्पादक कंपनियों के लिए मार्केटिंग रणनीतियों को सीखने और लागू करने के लिए प्रयासों को आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि टोपो जैसे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सके. लेकिन अभी के लिए उम्मीद करते हैं कि देश के अन्य राज्य भी असमिया काजी नेमू का स्वाद लेना चाहेंगे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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