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Wednesday, 24 April, 2024
होमएजुकेशनडीयू कॉलेजों का दिल्ली सरकार पर पलटवार—‘फंड का कोई दुरुपयोग नहीं किया, सिसोदिया हमें इसके लिए मजबूर कर रहे’

डीयू कॉलेजों का दिल्ली सरकार पर पलटवार—‘फंड का कोई दुरुपयोग नहीं किया, सिसोदिया हमें इसके लिए मजबूर कर रहे’

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का आरोप है कि सरकार द्वारा वित्तपोषित डीयू के चार कॉलेज फंड की कमी का रोना रो रहे हैं जबकि उन्होंने पैसा अवैध तरीके से फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा कर रखा है.

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नई दिल्ली : केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की तरफ से वित्तपोषित दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के चार कॉलेजों ने वित्तीय मदद के दुरुपयोग के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आरोपों को खारिज करने के लिए गुरुवार को बाकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया.

सिसोदिया ने दिल्ली सरकार की तरफ से वित्त पोषित डीयू के छह कॉलेजों के संबंध में कराई गई स्वतंत्र ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए बुधवार को यह आरोप लगाया था. सिसोदिया के अनुसार, ऑडिट नतीजों में चार कॉलेजों दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) कॉलेज, केशव महाविद्यालय, भगिनी निवेदिता कॉलेज और शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज, में धनराशि के दुरुपयोग का संकेत मिला है.

उनकी यह टिप्पणी डीयू के 12 कॉलेजों, जो दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं, के इस दावे के बाद आई कि वे धन की कमी का सामना कर रहे हैं जिससे वेतन, बिजली और फोन बिल के भुगतान का संकट उत्पन्न हो गया है. ये कॉलेज महीनों से वित्तीय मदद मांग रहे हैं और पूर्व में सिसोदिया से मिल भी चुके हैं.

हालांकि, सिसोदिया, जो दिल्ली के शिक्षा मंत्री भी हैं, का कहना कि चार कॉलेज पैसे होने के बावजूद कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं कर रहे. उन्होंने आगे कहा कि कॉलेजों ने ‘अवैध तरीके’ धन को फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा कर रखा है.

दिल्ली विश्वविद्यालय प्राचार्य संघ (डूपा) के सदस्यों और चार कॉलेजों के प्राचार्यों ने गुरुवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एफडी में जमा धन ‘स्टूडेंट्स सोसाइटी फंड’ से निकाला गया है, जो छात्रों से लेकर जुटाया गया था.

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कॉलेजों ने कहा कि यह फंड छात्रों के कल्याण के लिए हैं, जिसका इस्तेमाल विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन, छात्रावासों के रखरखाव, प्लेसमेंट मेले आदि में किया जाता है, कर्मचारियों के वेतन पर इसे व्यय नहीं किया जा सकता.

यद्यपि दिल्ली सरकार ने पिछले महीने दावा किया था कि उसने इस साल के लिए 23 प्रतिशत धन जारी किया है, वहीं डीयू कॉलेजों के डीन बलराम पाणि ने दिप्रिंट को बताया कि कॉलेजों को अब तक 270 करोड़ रुपये वार्षिक अनुदान में से केवल 37.5 करोड़ (13.9 प्रतिशत) ही मिले हैं. उन्होंने आगे कहा कि जुलाई 2020 तक कॉलेजों को आदर्श स्थिति में 75 प्रतिशत यानी 202.5 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे.


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कॉलेजों ने आरोप नकारे

सिसोदिया ने बुधवार को एक वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में उन कॉलेजों को लताड़ लगाई थी जो फिक्स्ड डिपॉजिट में धन रखने के बावजूद ‘कमी का रोना’ रो रहे हैं.

उन्होंने कहा था, ‘कॉलेज धन की कमी का रोना रो रहे हैं और इस पर हल्ला मचा रहे हैं कि दिल्ली सरकार इसे जारी नहीं कर रही है. शुरुआती आकलन में यह बात सामने आई है कि इन कॉलेजों ने अवैध तरीके से एफडी में धन जमा कर रखा है. वे वेतन का भुगतान नहीं कर रहे हैं, विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन मिलकर राजनीति कर रहे हैं. उनके पास करोड़ों रुपये हैं, लेकिन इसके बावजूद शिक्षकों के वेतन का भुगतान नहीं कर रहे.’

सिसोदिया ने आरोप लगाया कि ऑडिटर ने पाया कि केशव महाविद्यालय के खाते में 10.52 करोड़ रुपये हैं, जबकि भगिनी निवेदिता कॉलेज के पास 2019-2020 के अंत में 2.5 करोड़ रुपये बचे थे. उन्होंने कहा कि दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज के पास 6.5 करोड़ का धनराशि शेष मिली, जबकि शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज के पास ‘2018-2019 की बैलेंस शीट में 3.5 करोड़ रुपये और एफडी में 10.45 करोड़ रुपये जमा थे.’

हालांकि, आरोपों में घिरे कॉलेजों ने कहा है कि यह समरी छात्रों के सोसायटी फंड खाते को दर्शाती है, जिसका उपयोग वेतन भुगतान में नहीं किया जा सकता.

डूपा के अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने कहा, ‘हम कॉलेजों पर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हैं और इनकी निंदा करते हैं. सिसोदिया जी अध्यापन के पेशे में रहे हैं और हम उनका सम्मान करते हैं, लेकिन प्रिंसिपल का इस्तेमाल अवैध तरीके से कुछ करने के लिए नहीं किया जा सकता है. अगर हमें किसी उद्देश्य के लिए अनुदान मिलता है, तो हम इसका इस्तेमाल केवल उसी काम के लिए करेंगे. छात्रों के कोष का उपयोग शिक्षकों के वेतन के भुगतान में नहीं हो सकता है और शिक्षा मंत्री को यह बात समझनी चाहिए.’

जसविंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार ‘दो प्रमुखों मदों के तहत अनुदान देती है- योजना और गैर-योजना.’

उन्होंने कहा, ‘मंजूरी संबंधी हर पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि धन को एक मद से दूसरे में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. उपमुख्यमंत्री यह कैसे कह रहे हैं कि स्टूडेंट सोसाइटी फंड का इस्तेमाल वेतन भुगतान में कर लिया जाए, जो कुछ विशेष गतिविधियों और उद्देश्यों के लिए छात्रों से जुटाया जाता है? धनराशि का किसी भी अन्य मद में इस्तेमाल इसका दुरुपयोग होगा जो हम नहीं कर रहे हैं, लेकिन उपमुख्यमंत्री हमें इसके लिए मजबूर कर रहे हैं.

शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज की प्रिंसिपल पूनम वर्मा ने कहा कि कॉलेजों को निशाना बनाना एक तरह से राजनीति और सार्वजनिक वित्त पोषित शिक्षा संस्थानों पर हमले की तरह है. उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार ऑडिट करना चाहती है, तो उन्हें यह देखना चाहिए कि हमें सरकार से जो फंड मिला, उसमें से हमने क्या खर्च किया है. ऑडिट कुछ सोचकर कराया गया लगता है, वे सोसाइटी के कोष पर नजर लगाए हैं.’

दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के प्रिंसिपल हेमचंद जैन ने कहा कि ये ‘बहुत गंभीर स्थिति’ है. उन्होंने कहा, ‘मेरा कॉलेज शिक्षकों के वेतन के अलावा बिजली और फोन के बिल आदि के भुगतान में चुनौती का सामना कर रहा है, और सिसोदिया जी लोगों को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हम धन के दुरुपयोग में लिप्त हैं.’


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