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Saturday, 20 April, 2024
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कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की संख्या और स्थानीय भर्ती घटी, लेकिन ‘निष्क्रिय’ पाकिस्तानी घुसपैठियों ने सिर उठाया

कई सालों से आतंकियों का अड्डा माने जाने वाले दक्षिणी कश्मीर में पिछले पांच सालों के दौरान करीब 140-150 आतंकवादी सक्रिय थे लेकिन अब सुरक्षा बलों की सूची में इनकी संख्या 74 ही रह गई है.

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नई दिल्ली: केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 2016 के बाद पहली बार सक्रिय आतंकियों की संख्या घटने के साथ आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती में कमी आई है लेकिन निष्क्रिय पड़े पाकिस्तानी घुसपैठिये जरूर फिर सिर उठाने लगे हैं. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

इससे आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों के साथ-साथ रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठानों में भी सामान्य हालात की भावना बढ़ी है. सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि स्थिति में सुधार होना लगातार जारी रहेगा.

कई सालों से आतंकियों का अड्डा माने जाने वाले दक्षिणी कश्मीर में पिछले पांच सालों के दौरान करीब 140-150 आतंकवादी सक्रिय थे लेकिन अब सुरक्षा बलों की सूची में इनकी संख्या 74 ही रह गई है.

क्षेत्र में आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती घटी है. सुरक्षा बलों के आंकड़े बताते हैं कि इस साल जनवरी से अब तक दक्षिण कश्मीर में सिर्फ चार युवाओं की भर्ती हुई है, जबकि पिछले साल जनवरी-फरवरी में यह संख्या 13-14 थी.

आलम यह है कि अब दक्षिण कश्मीर में मुठभेड़ों के बाद शायद ही पथराव की कोई वारदात होती हो. सुरक्षा बलों ने बताया कि अब ऑपरेशन के दौरान फोन और इंटरनेट लाइनें भी नहीं काटी जाती हैं.

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उन्होंने आगे कहा कि आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में स्थानीय लोगों की तरफ से खुफिया सूचनाएं देने में तेजी आई है और सेना आतंकियों के तत्काल सफाये के लिए काइनेटिक ऑपरेशन पर फोकस कर रही है. इसके साथ ही नागरिक आबादी, खासकर युवाओं को सकारात्मक तरीके से मुख्यधारा में लाने के लिए नॉन-काइनेटिक ऑपरेशन पर भी ध्यान दिया जा रहा है.

सैन्य अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी कश्मीर में भी युवाओं के आतंकी संगठनों में भर्ती होने और आतंकवादी घटनाओं में कमी के साथ स्थिति अधिक सामान्य हुई है.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में पूरे कश्मीर में 142 युवक आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे, जो 2020 में 178 की तुलना में कम रहा.

2019 में, जब अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बदा सख्ती लॉकडाउन लगा था, भर्ती का आंकड़ा 117 रहा था. वहीं 2018 में यह आंकड़ा 210 रहा था.

2016 के बाद से आतंकवादी भर्ती में लगातार तेजी आई थी जब स्थानीय आतंकवादी बुरहान वानी को मार गिराया गया था और इसके बाद वहां बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे.

एलओसी (नियंत्रण रेखा) के रास्ते घुसपैठ की बात करें तो 2021 में भारत और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच संघर्ष विराम समझौते के बावजूद 31 आतंकवादी घुसपैठ करने में कामयाब रहे.

वर्ष 2020 में एलओसी के रास्ते कश्मीर सेक्टर में 36 आतंकियों ने घुसपैठ की थी. सूत्रों ने बताया कि आतंकवादियों ने घुसपैठ के लिए जम्मू से लगी नियंत्रण रेखा के साथ-साथ पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) का इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया है.

2019 में एलओसी के रास्ते 130 आतंकियों ने घुसपैठ की थी जबकि 2018 में यह आंकड़ा 143 था.

बात जहां तक मार गिराए गए आतंकवादियों की है तो 2021 में 171 आतंकी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इसमें 149 स्थानीय और 22 पाकिस्तानी दहशतगर्द शामिल हैं.

दिलचस्प बात यह है कि 2021 में 84 स्थानीय आतंकवादियों को या तो पकड़ा गया था या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया. यह आंकड़ा पिछले तीन वर्षों की तुलना में अधिक है. 2020 में जहां 81 आतंकियों की गिरफ्तारी/आत्मसमर्पण हुआ, वहीं 2019 में यह आंकड़ा 49 और 2018 में 58 रहा था.

पर्यटकों की संख्या भी यहां सामान्य स्थिति लौटने का एक संकेत देती है. 2021 में कश्मीर घाटी पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या 6.3 लाख रही, जबकि 2020 में यह 0.02 लाख और 2019 में 5.25 लाख रही थी.

जहां तक सुरक्षा बलों के जवानों के शहीद होने की बात है तो 2020 में 31, 2019 में 53 और 2018 में 47 की तुलना में 2021 में 21 जवानों ने शहादत दी.

दक्षिण कश्मीर में स्थिति

सेना की विक्टर फोर्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल प्रशांत श्रीवास्तव- जो दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के प्रभारी हैं- ने दिप्रिंट को बताया कि स्थिति बदल रही है और कहा जा सकता है ‘व्यापक सुधार’ हुआ है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि जनता के बीच ‘काफी ज्यादा उत्साह, अत्याधिक सकारात्मकता है और वह सामान्य जीवन के लिए व्याकुल हैं.’

बेहद अहम मानी जाने वाली विक्टर फोर्स का नेतृत्व कर रहे पहले पैरा ऑफिसर मेजर जनरल श्रीवास्तव कहते हैं, ‘यहां साफ दिख रहा कि लोग बदलाव का हिस्सा बनने के इच्छुक हैं. कुछ साल पहले की तुलना में स्थिति काफी सुधरी है. आतंकी भर्ती घटी है, आतंकियों का तेजी से सफाया भी हुआ है, स्थानीय लोग सूचनाएं देने के लिए आगे आ रहे हैं, पर्यटन और शिक्षण संस्थानों से जुड़े हलचलें बढ़ी हैं.’

उन्होंने कहा कि जैसा अमूमन होता था, पिछले पांच वर्षों के दौरान दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों की संख्या लगभग 150 के करीब रही थी.

उन्होंने बताया, ‘पिछले साल, यह संख्या घटकर 120-130 तक रह गई थी. इस साल जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के इतिहास में पहली बार हम यह आंकड़ा 100 से नीचे लाने में सफल रहे हैं. आज, हम कह सकते हैं कि दक्षिणी कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की संख्या 74 है.’

मेजर जनरल श्रीवास्तव ने कहा कि इसका एक बड़ा कारण यह है कि ‘आतंकवादियों को मार गिराया जाना बढ़ा है और नई भर्ती नहीं हो रही है.’

उन्होंने कहा कि पिछले साल इस क्षेत्र के करीब 120 स्थानीय युवा आतंकवादी समूहों में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि जनवरी-फरवरी 2021 में ये संख्या 13-14 थी, जबकि इस वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा सिर्फ चार रहा.

मेजर जनरल श्रीवास्तव ने बताया कि सुरक्षा बल जहां तत्काल कार्रवाई करते हुए आतंकवादियों को मार गिराने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं नागरिक आबादी, खासकर युवाओं के साथ नियमित बातचीत पर भी समान रूप से ध्यान दिया जा रहा है.


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निष्क्रिय पाकिस्तानी आतंकियों ने सिर उठाया

हालांकि, स्थिति तेजी से सामान्य होने का नतीजा यह भी रहा है कि काफी समय से निष्क्रिय पड़े रहे पाकिस्तानी आतंकवादी दक्षिण कश्मीर में में फिर सिर उठाने लगे हैं.

मेजर जनरल श्रीवास्तव ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में यह संख्या (पाकिस्तानी आतंकवादियो का मार गिराया जाना) बढ़ी ही है. हाल यह है कि पिछले साढ़े तीन महीने में नौ पाकिस्तानी आतंकी ढेर किए जा चुके हैं. इसकी एक बड़ी वजह भी है. दरअसल, भर्ती हो नहीं रही है और स्थानीय आतंकी ढेर हो चुके हैं. ऐसे में इन लोगों (पाकिस्तानी आतंकवादियों) को बाहर निकलना पड़ा है, क्योंकि उनके लिए स्थिति करो या मरो वाली हो गई है. हिंसा फैलाने के लिए उन्हें खुलकर सामने आना पड़ रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘हर बार जब वे खुलकर सामने आएंगे तो उनका सफाया कर दिया जाएगा. इनमें अधिकांश पिछले कुछ समय से यहां पर हैं और मारे गए लोगों में कुछ ऐसे आतंकी भी शामिल हैं जो 2-3 साल से यहां थे.’

विक्टर फोर्स के जीओसी ने आगे बताया कि ऑपरेशन के दौरान पथराव की घटनाओं में कमी आई है, जबकि आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में स्थानीय लोगों की तरफ से खुफिया सूचनाएं दिया जाना बढ़ा है.

उन्होंने कहा, ‘पिछले साढ़े तीन महीनों में पथराव की कोई घटना नहीं हुई है. पहले हम कई बार एहतियातन संचार माध्यमों (इंटरनेट और फोन संचार में कटौती) का स्तर घटा देते थे. लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ती.’

उन्होंने आगे बताया, ‘सिर्फ यही नहीं, हमने कुछ शीर्ष आतंकियों को मार भी गिराया लेकिन एक भी घटना ऐसी नहीं हुई जहां पथराव हुआ हो. यह बदलाव का संकेत है. जैश के एक सदस्यो को मार गिराए जाने के बाद लोग बाहर निकलकर आए और उन्होंने हमारा धन्यवाद अदा किया और कहा कि उसने उनका जीवन नरक बना रखा था.’


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उत्तरी कश्मीर में स्थिति

किलो फोर्स के जीओसी मेजर जनरल एस.एस. सलारिया, जो उत्तरी क्षेत्र में सैन्य ऑपरेशन के प्रभारी हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि यहां स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है.

उन्होंने बताया कि उत्तरी कश्मीर में भी आतंकी संगठनों में युवाओं की भर्ती और आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में कमी दर्ज की गई है.
उन्होंने कहा कि 2019 में पथराव की 250 घटनाएं हुई थीं, लेकिन 2021 में ऐसी केवल चार घटनाएं सामने आई हैं.

उन्होंने कहा, ‘अगर मैं उत्तरी कश्मीर की बात करूं तो स्थिति काफी हद तक शांतिपूर्ण है और हालात सामान्य होने की ओर बढ़ रहे हैं. आतंकी घटनाएं, पथराव, पोस्टर लगाने और आईएसआईएस के झंडे लहराना, बंद का आह्वान या हड़तालें करना भी घटा है.

मेजर जनरल सलारिया ने आगे कहा कि आर्थिक गतिविधियां और पर्यटन बढ़ा है और छात्र भी सामान्य रूप से स्कूल जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘जब मैं इन मापदंडों के आधार पर देखता हूं, तो लगता है हम सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं, स्थिति काफी हद तक शांतिपूर्ण है.’
जीओसी ने कहा कि सेना दो तरह के ऑपरेशन पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘एक निश्चित तौर पर काइनेटिक ऑपरेशन है, जो पूरी सक्रियता से आतंकवाद का मुकाबला करने पर केंद्रित है. इसमें हम खुफिया सूचनाओं के आधार पर बिना किसी ज्यादा क्षति के ऑपरेशन को अंजाम देने पर फोकस कर रहे हैं. दूसरा है नॉन-काइनेटिक ऑपरेशन, जिसमें बड़ी आबादी की क्षमताओं के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, हम उन्हें सकारात्मक तरीके से जोड़ रहे हैं. उन्हें स्किलिंग, कोचिंग क्लासेस की सुविधाएं मुहैया कराकर विभिन्न तरीके के कार्यों से जुड़ने का मौका दिया जा रहा है.’

अपने क्षेत्र में आतंकवादी भर्ती के बारे में पूछे जाने पर मेजर जनरल सलारिया ने कहा, ‘संख्या घटी है. 2020 में ऐसे युवाओं की संख्या लगभग 30 थी जो आतंकी संगठनों में भर्ती हुए. पिछले साल सिर्फ 14 युवाओं की भर्ती हुई थी और इस साल अब तक ऐसी किसी भर्ती की कोई सूचना नहीं है. एक लापता युवक है और उम्मीद है कि हम उन्हें जल्द ही वापस लाने में सक्षम होंगे.’

उन्होंने कहा कि सेना सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार के मुकाबले पर भी पूरा ध्यान दे रही है.

उन्होंने आगे कहा कि खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के जरिये युवाओं के साथ लगातार संपर्क स्थापित किए जाने के अलावा शिक्षा पर भी जोर देना इस आंकड़े को घटाने में मददगार रहा है.

सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि आने वाली गर्मियों में घुसपैठ के प्रयासों में वृद्धि देखी जा सकती है. साथ ही यह आशंका भी जताई कि ये गुट अब दक्षिणी की बजाये उत्तरी कश्मीर को अपना ठिकाना बनाने की कोशिश कर सकते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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