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भारत और रूस कड़े प्रतिबंधों के बीच रक्षा सौदों के लिए नई भुगतान प्रणाली पर काम कर रहे हैं

रूस पर लगाए गए सेकेंडरी प्रतिबंधों की वजह से नई चुनौतियों सामने आ रही हैं. इसके चलते नई दिल्ली और मॉस्को ने पैमेंट के लिए एक सरल प्रणाली पर काम करना शुरू किया है.

चित्रण: रमनदीप कौर | दिप्रिंट

मॉस्को: रूस के बैंकिंग चैनलों पर लगे और अधिक पश्चिमी प्रतिबंधों से प्रभावित, मॉस्को और नई दिल्ली अब पहले से ऑर्डर किए गए रक्षा उपकरणों संबंधी एक नई भुगतान प्रणाली पर काम कर रहे हैं. इस सौदे में तीसरी परमाणु पनडुब्बी को पट्टे पर देना भी शामिल है.

भारतीय रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि चिंता का एक अन्य क्षेत्र रुपए के मुकाबले रूसी रूबल की कीमत का बढ़ना है. इसका मतलब है कि रूस को भुगतान करना भारत के लिए और ज्यादा महंगा हो जाएगा.

पिछले साल अगस्त में रुपया और रूसी रूबल दोनों का मूल्य समान था. लेकिन रूसी रूबल आज एक रुपये के मुकाबले 0.75 पर है.

भारत-रूस रक्षा सौदों पर पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर रूस की सैन्य तकनीकी सहयोग (एफएसएमटीसी) के प्रमुख दिमित्री शुगेव ने कहा कि अनुबंधों में निर्धारित शर्तों के अनुसार ही भुगतान किया जाता है.

वह मॉस्को में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनी सेना 2022 से इतर बोल रहे थे.

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उन्होंने कहा, ‘ जो देश रूस के दोस्त नहीं हैं, उन देशों द्वारा शुरू किए गए रूसी विरोधी अभियान के परिणामस्वरूप घरेलू सैन्य-तकनीकी सहयोग संस्थाओं, सैन्य-औद्योगिक परिसर के प्रमुख उद्यम और वित्तीय संस्थान पर कई तरह के प्रतिबंध लग गए हैं. इसके चलते हथियारों के निर्यात लेनदेन में अमेरिकी डॉलर में भुगतान और यूरो को न्यूनतम कर दिया गया है.’

2019 में दिप्रिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत और रूस दोनों ने रक्षा सौदों के लिए स्थानीय मुद्रा में भुगतान करने का निर्णय लिया है.


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नई चुनौतियों की ओर ले जाते नए प्रतिबंध

रूस पिछले कुछ सालों से रक्षा सौदों के लिए भुगतान प्रणाली के रूप में रुपया-रूबल हस्तांतरण पर जोर दे रहा है. लेकिन भारत रूसी मुद्रा के गिरते मूल्य को देखते हुए इस तरह के भुगतान का अनिच्छुक था. हालांकि अब रूसी मुद्रा का मूल्य बढ़ गया है.

वैसे भारत और रूस भुगतान के लिए एक सरल प्रणाली पर काम कर रहे थे लेकिन यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर फ्रांस सहित अन्य देशों द्वारा लगाए गए सेकेंडरी प्रतिबंधों ने नई चुनौतियां पैदा कर दी हैं.

अमेरिका ने यूरोपीय संघ के साथ मिलकर स्विफ्ट- बेल्जियम स्थित सीमा पार भुगतान प्रणाली ऑपरेटर- से सात रूसी बैंकों को अलग कर दिया है. भारत पहले रूस को भुगतान करने के लिए इसी प्रणाली का इस्तेमाल कर रहा था. नए प्रतिबंध लगाने और मॉस्को को स्विफ्ट से अलग करने से भुगतान क्षमता पर प्रभाव पड़ा है.

रूसी सूत्रों ने स्वीकार किया कि कुछ भुगतान नहीं हो पाए हैं. मॉस्को और नई दिल्ली दोनों एक समाधान पर पहुंचने के लिए एक-दूसरे के संपर्क में हैं.

शुगेव ने बताया, ‘पूरी अर्थव्यवस्था की तरह आज सैन्य उत्पादों के रूसी निर्यातक भी एक नई प्रणाली पर काम कर रहे हैं. बड़े पैमाने पर काम चल रहा है. स्टेट कॉर्पोरेशन और मिलिट्री- टेक्निकल कॉर्पोरेशन हमारे देश के वित्तीय संस्थानों, हमारे विदेशी भागीदारों के साथ निरंतर सहयोग में हैं.’

उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों के खिलाफ उठाए गए कदमों में रूस ने अपने हर ग्राहक के लिए एक अनुरूप दृष्टिकोण, अनुबंधों को समाप्त करते समय आकर्षक परिस्थितियों की पेशकश, भुगतान के तरीकों को समायोजित करना, अधिक लचीली योजनाएं प्रस्तुत करना और डॉलर को छोड़ कर राष्ट्रीय सहित अन्य मुद्राओं में सौदेबाजी करना शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘रूस के FSMTC द्वारा तैयार किए गए कई प्रतिबंध-विरोधी उपायों का हमारे भागीदारों ने स्वागत किया है, क्योंकि वे ज्यादातर उनके राष्ट्रीय रणनीतिक हितों के अनुरूप हैं.’

हालांकि सूत्रों ने बताया कि बड़ा भुगतान एक मुद्दा है लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए बातचीत चल रही है कि इससे कोई डिलीवरी प्रभावित न हो.

रूस ने रूसी केंद्रीय बैंक द्वारा तैयार की गई स्विफ्ट जैसी प्रणाली के इस्तेमाल का प्रस्ताव दिया है. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसमें रूस के मैसेजिंग सिस्टम, एसपीएफएस का इस्तेमाल करके रुपया-रूबल-डिनॉमिनेटेड भुगतान शामिल हैं.

प्रस्ताव के तहत रुपए रूसी बैंक में जमा किए जाएंगे और रूबल में कन्वर्ट कर दिए जाएंगे. हालांकि, कुछ ऐसी चीजें है जिन पर अभी फैसला नहीं लिया गया है जैसे कि क्या विनिमय दर फिक्स होगी या फ्लोटिंग.

रिपोर्टर यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के गेस्ट के तौर पर रूस में है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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