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Friday, 19 April, 2024
होमडिफेंसअमेरिकी रक्षा सचिव बोले- चीन अपनी ‘स्थिति मजबूत करने’ में जुटा, भारत के पास क्षेत्र में ‘स्थिरता लाने की क्षमता’

अमेरिकी रक्षा सचिव बोले- चीन अपनी ‘स्थिति मजबूत करने’ में जुटा, भारत के पास क्षेत्र में ‘स्थिरता लाने की क्षमता’

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने शनिवार को सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग को संबोधित करते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के सख्त रुख को लेकर नाराजगी जाहिर की.

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नई दिल्ली: अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने शनिवार को कहा कि भारत की बढ़ती सैन्य क्षमता और तकनीकी कौशल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता लाने में मददगार (स्टैबलाइजिंग फोर्स) हो सकती है. साथ ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के सख्त रुख को लेकर नाराजगी भी जाहिर की.

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज, लंदन की तरफ से सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग में ऑस्टिन ने कहा कि चीन ‘अपने क्षेत्रीय दावों को लेकर अधिक धौंसपूर्ण और आक्रामक दृष्टिकोण’ अपना रहा है.

अमेरिकी रक्षामंत्री ने कहा, ‘हमने आने वाले समय के लिए कूटनीतिक विकल्प खुले रखे हैं और भविष्य में आक्रामकता से निपटने और उस पर काबू पाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.’

ऑस्टिन ने यह भी कहा कि चीन पूर्वी चीन सागर और दक्षिणी चीन सागर में अपनी सीमाएं बढ़ा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘पश्चिम की तरफ से हम देख रहे हैं कि बीजिंग भारत के साथ लगती सीमा पर अपनी स्थिति लगातार सख्त कर रहा है…इंडो-पैसिफिक देशों को समुद्री मिलिशिया की तरफ से राजनीतिक धमकी, आर्थिक दबाव या उत्पीड़न का सामना नहीं करना चाहिए.’

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ताइवान का जिक्र करते हुए ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिका ताइवान संबंध अधिनियम के तहत प्रतिबद्धताओं को पूरा करना जारी रखेगा, जिसमें आत्मरक्षा के लिए पर्याप्त क्षमता बनाए रखने में ताइवान की सहायता करना शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘और इसका मतलब है कि हम खुद भी ऐसे किसी भी सैन्य बल प्रयोग अथवा किसी कार्रवाई का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं जिससे ताइवान के लोगों की सुरक्षा या सामाजिक या आर्थिक व्यवस्था के लिए किसी तरह का खतरा उत्पन्न होता हो.’

चीन के अपनी हरकतों से बाज आने की जरूरत पर जोर देते हुए ऑस्टिन ने कहा, ‘हम बीजिंग की तरफ से बढ़ता दबाव देख रहे हैं…हमने ताइवान के पास उत्तेजक और अस्थिर सैन्य गतिविधियों में लगातार वृद्धि देखी है. हम फोकस ताइवान जलडमरूमध्य में शांति, स्थिरता और यथास्थिति बनाए रखने पर है. लेकिन उसके (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के) कदमों से हिंद-प्रशांत में सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि को खतरा है. यह न केवल इस क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, और दुनियाभर पर व्यापक असर डालने वाला भी है.’

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा, ‘ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखना केवल अमेरिकी हितों के लिए ही जरूरी नहीं है. बल्कि अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय है.’


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हिंद-प्रशांत क्षेत्र परस्पर जुड़ी दुनिया का केंद्रबिंदु’

उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि अमेरिका कोई संघर्ष या टकराव नहीं चाहता है, न ही वो किसी नए शीत युद्ध या क्षेत्रीय शत्रुतापूर्ण गुटबाजी के पक्ष में है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि ‘हम अपने हितों की रक्षा में कोई कदम उठाने से हिचकेंगे नहीं.’

हिंद-प्रशांत क्षेत्र को परस्पर जुड़ी दुनिया का केंद्रबिंदु बताते हुए ऑस्टिन ने कहा कि दुनियाभर की घटनाओं की गूंज पूरे क्षेत्र में सुनाई देती है.

इस बात को रेखांकित करते हुए कि इंडो-पैसिफिक में दुनिया का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आता है, उन्होंने कहा कि क्षेत्र की रक्षा के लिए निवेश की आवश्यकता है, और अमेरिका ऐसा ही कर रहा है.

अमेरिकी रक्षामंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023 के लिए बजट रिक्वेस्ट में इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक तौर पर सबसे बड़े निवेश का प्रस्ताव किया गया है. इसमें बहुपक्षीय सूचना-साझाकरण और भागीदार देशों के साथ सपोर्ट ट्रेनिंग और एक्सीपेरिमेंट के लिए 6.1 बिलियन डॉलर का प्रस्ताव शामिल है.

बजट में अंतरिक्ष और साइबरस्पेस सहित सभी क्षेत्रों में इनोवेशन को प्रोत्साहित देने पर भी विचार किया गया है.

अमेरिका की मौजूदगी और भागीदारी के साथ इन नई क्षमताओं का मतलब क्षेत्र में एकीकृत प्रतिरोधक क्षमता होना है. इससे संधि में शामिल भागीदारों और सहयोगियों को लाभ होता है. इस संदर्भ में ऑस्टिन ने खास तौर पर भारत का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘हम मानते हैं कि (भारत की) बढ़ती सैन्य क्षमता और तकनीकी कौशल क्षेत्र में स्थिरता लाने में सहायक हो सकता है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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