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Saturday, 20 April, 2024
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स्तनपान कराने में हर्ज़ क्या: बच्चों को सार्वजनिक स्थलों पर दूध पिलाने से नहीं घबराती दिल्ली की ये महिलाएं

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सालों से डॉक्टर्स इस बात पर जोर देते आ रहे हैं की मां का दूध बच्चे के लिए अमृत है, लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान कराना माँ के लिए आसान नहीं

नई दिल्ली: हाल ही में बनी मां पहले की तरह चार दीवारी में नहीं रहती। वह मॉल में घूमती हैं मेट्रो ट्रेन और उबेर टैक्सी में सफर भी करती हैं। इसी दौरान जब भी उनका दिल का टुकड़ा भूख से बिलख उठता है तो कोई उन्हें बेफिक्र तरीके से तो कई शर्मिंदा होकर स्तनपान कराती हैं।

यह मां बच्चे का अनोखा रिश्ता दर्शाता है लेकिन अभी भी हमारे समाज में सार्वजनिक स्थान पर स्तनपान कराना अजीब तरह की प्रतिक्रियाओं को आमंत्रित करता है। यह स्थिति तो तब है जब दुनिया भर के डॉक्टर स्तनपान को छह महीने तक के बच्चे का एक मात्र पोषण मानते हैं।

वहीं मध्यम वर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की महिलाओं के पास सफर के दौरान स्तनपान कराने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है वहीं शहरी तबके की महिलाएं अपनी स्वेच्छा से स्तनपान कराती हैं।

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इस विश्व स्तनपान सप्ताह में दिप्रिंट दिल्ली की स्तनपान कराने वाली महिलाओं के पास पहुंचा और उनसे यह जानने की कोशिश की सार्वजनिक स्थान पर स्तनपान कराने का उनका अनुभव कैसा है।

मेलिंडा कौर पांच महीने के बच्चे की मां है उन्होंने बताया कि वह सार्वजनिक स्थान पर स्तनपान कराती हैं और उनके अनुसार “यह तो एक प्राकृतिक व्यवस्था है माँ के दूध से बच्चे का पोषण स्वयं प्रकृति ने निर्धारित किया है”।

“मुझे बुरा लगता है जब महिलाएं ही घूरती है और आलोचना करती हैं। मैं समझ सकती हूँ कि सभी महिलाएं सार्वजिनक स्थानों पर स्तनपान नहीं करा सकती लेकिन जो करा रही हैं उन्हें तो ना घूरे” मिलिंडा ने कहा।

मूल रूप से सिंगापुर की रहने वाली मिलिंडा गृहणी है और भारत में नौ साल से रह रही हैं। उनके अनुसार अगर लोगों की इस घूरने की प्रवृत्ति को छोड़ दिया जाए तो उन्होंने सोचा नहीं था कि भारत इतना प्रगतिशील देश होगा।

वह आगे बताती हैं कि सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान कराने में ज्यादा परेशानी नहीं आई। “मैंने हर जगह अपने बच्चों को स्तनपान कराया मॉल में प्लेन में यहां तक कि पार्क में भी।

हाल ही में मलयालम भाषा की मैगजीन गृहलक्ष्मी के मुख्य पृष्ठ पर स्तनपान कराती महिला की फोटो ने बहुत प्रतिक्रिया बटोरी। यह फोटो एक कैंपेन के तहत छापा गया था जिसमें सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान कराने को लेकर फैली गलत सोच को खत्म करना था।


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हालांकि प्रतिक्रियाएं इस बात को लेकर ज्यादा थी की मॉडल ने खुद को ढका नहीं था। ज्यादातर सोशल मीडिया के यूजर्स ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर अगर खुद को ढककर स्तनपान कराया जाए तो किसी को आपत्ति नहीं होगी। इस पर कई महिलाओं की प्रतिक्रिया आई जिसमें उन्होंने कहा कि बच्चे को ढके हुए चेहरे ने उन्हें कई बार बेचैन कर दिया।

इस कैंपेन का समर्थन स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ही मिला।

इस मैगजीन को कोर्ट में यह कह कर घसीटा गया कि इसका मुख्य पृष्ठ अश्लील है लेकिन कोर्ट ने दलील यह कहकर खारिज कर दी कि अश्लीलता “देखने वाले की नजर” में होती है।

मेलिंडा कहती हैं कि मैं स्तनपान कराने के लिए सार्वजनिक शौचालय में तो नहीं जा सकती। वहाँ कीटाणु होते हैं जिनसे बच्चा संक्रमित हो सकता है।

कंप्यूटर इंजीनियर ज्योति दुआ भी मेलिंडा की बात से इत्तेफ़ाक रखती हैं और कहती हैं कि अक्सर महिलाएं ही स्तनपान करती हुई माँ को देखकर नाक भौं सिकोड़ती हैं। ऐसी महिलाओं को अपनी आदत सुधारनी चाहिए।

वह आगे कहती हैं अगर स्तनपान कराने पर आपको शर्म आती है तो आप इससे पहले से जुड़ी गलत सोच को हवा दे रही है। मेरे ख्याल से स्तनपान कराना गर्व की बात है और इसके लिए एक अधिकार भी होना चाहिए जिसमें सार्वजनिक स्थल पर स्तनपान कराने की सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए।

“मुझे लगता है कि बच्चों को भी इसी तरह की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। माँ का दूध हर बच्चे का अधिकार है और भूख में बच्चे को स्तनपान कराना हर माँ का अधिकार” उन्होंने कहा।

रूपम गुप्ता कामकाजी होने के साथ साथ पांच महीने के बच्चे की माँ भी हैं वह कहती हैं वह सार्वजनिक स्थलों पर बेझिझक स्तनपान कराती हैं पहले तो उनका परिवार उसके विरुद्ध था पर बाद में मान गया।

“सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान कराने की सोच को लेकर पहले कुछ हिचक तो होगी लेकिन बाद में सब ठीक होगा” रूपम गुप्ता ऐसी आशा करती हैं।


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